पिछले साल सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) पर रोक लगाई थी. सरकार के इस कदम से बांस उद्योग (bamboo industry) में उछाल आ गया है. आज बाजार में बांस से बनी क्रॉकरी खूब बिक रही है. बांक की बोतल (Bamboo Water Bottle), बांस के कप-प्लेट, चम्मच, कांटा, थाली, स्ट्रॉ जैसे उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है.

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लोगों को भी कमाई करने के लिए एक नया फील्ड खुल गया है. यहां हम बांस से जुड़े कुछ ऐसे कामों की चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें अपनाकर एक किसान से लेकर बिजनेसमैन तक अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं.

बांस की बोतल या बर्तन बनाना

सरकार ने जब सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी, तो उस समय बाजार में बांस से बने उत्पादों की बहार आ गई थी. खादी ग्रामोद्योग आयोग (khadi gramodyog commission) ने भी बांस की बोतल तैयार कर बाजार में उतारी थी.

खादी ग्रामोद्योग आयोग खादी, शहद जैसे कुटिर उद्योगों के साथ अब बांस उद्योग के विस्तार पर भी ध्यान दे रहा है. खादी ग्रामोद्योग आयोग बांस मिशन के तहत लोगों को बांस के सामान तैयार करने की ट्रेनिंग तो दे रहा है साथ ही काम शुरू करने के लिए लोन मुहैया कराने में भी मदद कर रहा है. इस बारे में और ज्यादा जानकारी आप खादी ग्रामोद्योग आयोग की वेबसाइट www.kvic.gov.in/kvicres/index.php से हासिल कर सकते हैं.

यहां से लें ट्रेनिंग

खादी ग्रामोद्योग आयोग के मुताबिक, 750 एमएल बांस की बोतल की बाजार में कीमत 300 रुपये से शुरू होती है. आजकल बाजार में इस बोतल की खूब मांग है. बास की बोतल या अन्य सामान बनाने की ट्रेनिंग आप राष्ट्रीय बांस मिशन की वेबसाइट nbm.nic.in से भी हासिल कर सकते हैं. यहां ऐसे कई संस्थानों के बारे में बताया गया है जो बांस से सामान बनाने की ट्रेनिंग देते हैं. इन संस्थानों के बारे में जानकारी इस लिंक nbm.nic.in/Hcssc.aspx से हासिल की जा सकती है. 

कितने में शुरू कर सकते हैं बांस उद्योग

बांस उद्योग में कई काम आते हैं और हर काम को शुरू करने की अलग लागत होती है. मध्य प्रदेश सरकार के मुताबिक, बांस के आभूषण बनाने की यूनिट शुरू करने की लागत 15 लाख रुपये है. अगरबत्ती यूनिट की लागत 20 लाख रुपये है.

इस बारे में ज्यादा जानकारी मध्य प्रदेश की बेंबू मिशन के इस लिंक apps.mpforest.gov.in/MPSBM/ से हासिल की जा सकती है.

बांस से बने सामान

वैसे तो हम सभी लोग जानते हैं कि टोकरी, डंडा, फर्नीचर में बांस का इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन अब बांस से बनी पानी का बोतल, हैंडीक्राफ्ट चीजें, ज्वेलरी भी बनाई जा रही है. बाजार में बांस से बने लैंप सेट की भी काफी मांग है.

बांस की खेती

मोदी सरकार ने साल 2018 में बांस को पेड़ की कैटेगरी से हटा दिया था. किसान अब बिना किसी रुकावट के आसानी से बांस की खेती कर सकते हैं. राष्ट्रीय बैंबू मिशन को तकनीकी सहायता देने के लिए बैंबू टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप (BTSG) का भी गठन किया गया है.

बांस की खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नेशनल बेंबू मिशन की वेबसाइट nbm.nic.in से ली जा सकती है. साथ ही यहां पर फारमर रजिस्ट्रेशन करके एक लिंक दिया हुआ है, इस पर आप अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर सरकार की योजनाओं का फायदा उठा सकते हैं.

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बांस पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई

किसानों की आमदनी बढ़ाने और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार लगातार काम कर रही है. इस कड़ी में सरकार बांस उद्योग को बूस्ट देने में लगी हुई है. केंद्र ने बांस के आयात पर सीमा शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है. सरकार का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत घरेलू बांस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला लिया गया है. इससे अगरबत्ती उद्योग में देशी बांस के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा.