खेत का खजाना है बांस, खेती में सरकार भी दे रही है मदद, जानें पूरी तकनीक
बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार भी बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है. इस कड़ी में सरकार ने बांस को वन संपदा की लिस्ट से हटाकर सामान्य कृषि में शामिल कर दिया है. इसके अलावा राष्ट्रीय बांस मिशन (National Bamboo Mission) भी चलाया हुआ है.
Updated on: August 05, 2020, 04.19 PM IST
नेशनल बेंबू मिशन के तहत सरकार बांस की खेती (Bamboo Farming) से लेकर उसकी बिक्री तक में मदद कर रही है. किसानों को सरकारी नर्सरी से बांस की कई तरह की किस्मों की पौध मुफ्त ही मुहैया कराई जाती हैं.
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बांस की खेती पर अनुदान
पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में बांस की खेती के लिए सरकार, किसानों को 50 फीसदी तक मदद कर रही है. इस 50 फीसदी मदद में 60 फीसदी केंद्र सरकार और 40 फीसदी राज्य सरकार का हिस्सा होता है.
पूरे भारत में 13.96 मिलियन हेक्टेयर में बांस की खेती (Bans Ki Kheti) होती है. इस इलाके में 136 किस्म के बांस पाए जाते हैं.
एक हेक्टेयर जमीन में 4-4 मीटर की दूरी पर बांस की खेती की जानी चाहिए. बांस की खेती से 4 साल बाद इनकम होनी शुरू हो जाती है. सबसे पहले बांस के कल्ले बिक्री के तैयार होते हैं. किसान हर साल एक एकड़ बांस से 25-30 हजार रुपये के कल्ले बेच सकता है.
बांस की खेती के साथ में अन्य फसलें लगाई जा सकती हैं. बांस के साथ तिल, उड़द, मूंग-चना, गेहूं, जौ या फिर सरसों की फसल लगाई जा सकती है. इस फसल से अलग से इनकम ली जा सकती है.
इस तरह से किसान हर साल 50-60 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं.
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बांस की खेती की जानकारी
बांस की खेती के बारे में ज्यादा जानकारी बेंबू मिशन की वेबसाइट nbm.nic.in से या फिर अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या फिर जिला कृषि अधिकारी से हासिल की जा सकती है.