स्टार्टअप (Startup) की दुनिया में सिंगापुर (Singapore) की एक बड़ी अहमियत है. यहां पर कंपनियों को बहुत सारी सुविधाएं मिलती हैं, जिनके चलते तमाम स्टार्टअप्स सिंगापुर में अपना बिजनेस रजिस्टर (Why Startups Register Business In Singapore) कराते हैं. हालांकि, इसी बीच सिंगापुर पुलिस ने एक ऐसा आंकड़ा जारी किया है, जो दिखाता है कि सिंगापुर घोटाले (Scams In Singapore) करने वालों की भी फेवरेट जगह बनता जा रहा है. सिंगापुर पुलिस ने रविवार को 2023 में 46,563 घोटाले के मामले मिले, जो 2022 से लगभग 46.8 प्रतिशत अधिक है.

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समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि घोटालों से पीड़ितों को पिछले साल 651.8 मिलियन सिंगापुर डॉलर (48.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर) का नुकसान हुआ. वहीं अगर बात 2022 की करें तो उस अवधि में लोगों को 660.7 मिलियन सिंगापुर डॉलर का नुकसान हुआ था. यानी मामले भले ही बढ़कर डेढ़ गुने हो गए हों, लेकिन वैल्यू में मामूली गिरावट देखी गई है.

टॉप-5 में से 4 घोटाले जुड़े हैं बिजनेस से

आंकड़ों से पता चला कि टॉप-5 घोटाले नौकरी, ई-कॉमर्स, फर्जी मित्र कॉल, फ़िशिंग और निवेश से जुड़े हुए हैं. बता दें कि सिंगापुर पुलिस ने पिछले साल घोटालों के खिलाफ 24 राज्यव्यापी प्रवर्तन गतिविधियां आयोजित की थीं. इसके तहत 9,600 से भी अधिक मनी म्‍यूल्‍स और घोटाले के संदिग्धों की जांच की गई थी.

क्यों सिंगापुर की तरफ भागते हैं स्टार्टअप?

अक्टूबर 2022 तक के आंकड़ों की बात करें तो सिंगापुर में करीब 8000 स्टार्टअप रजिस्टर थे. इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है, तो आज वह आंकड़ा बढ़ चुका होगा. सवाल ये है कि आखिर स्टार्टअप सिंगापुर की तरफ क्यों भागते हैं? ऐसा क्या मिलता है उन्हें सिंगापुर में कि वह अपना बिजनेस वहां पर रजिस्टर करते हैं और भारत में बिजनेस करते हैं. आइए जानते हैं इसकी कुछ बड़ी वजहें.

1- ईज ऑफ डूईंग बिजनेस

तमाम स्टार्टअप्स के सिंगापुर भागने की सबसे बड़ी वजह है 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस'. सिंगापुर में स्टार्टअप्स के लिए बिजनेस से जुड़े तमाम काम करना बहुत ही आसान होता है. सिंगापुर में ना सिर्फ बिजनेस शुरू करना आसान है, बल्कि उसे बंद करना भी आसान है, जबकि भारत में यह एक मुश्किल काम है. सिंगापुर में बाहर से जो पैसा आता है, वह प्रोसेस भी जल्दी होता है, जबकि भारत में इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लगता है. वहां पर मर्जर और एक्विजिशन के लिए भी अच्छा माहौल है. बता दें कि ईज ऑफ डूइंग बिजनस की 2020 की रैंकिंग में सिंगापुर दूसरे नंबर पर था, जबकि 190 देशों की लिस्ट में भारत 63वें नंबर पर था.

2- प्रोटेक्शन के कानून करता है मदद

जो भी स्टार्टअप अपनी कंपनी सिंगापुर में रजिस्टर करते हैं, उन्हें सिंगापुर की तरफ से कंप्रेहेंसिव इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन दी जाती है. इससे स्टार्टअप को फायदा होता है. ये भी एक वजह है कि दुनिया की बहुत सारी कंपनियां सिंगापुर में अपना मुख्यालय बनाती हैं और फिर पूरी दुनिया में बिजनेस करती हैं.

3- डबल टैक्सेशन का झमेला नहीं

बात भले ही किसी शख्स की हो या फिर कंपनी की, हर किसी को ये बात बहुत बुरी लगती है कि उसे भारी-भरकम टैक्स चुकाना पड़ता है. अब सोचिए अगर किसी को एक ही इनकम पर दो बार टैक्स देना पड़े तो कैसा लगेगा? तमाम कंपनियां अपने नेट प्रॉफिट से डिविडेंड देती हैं. यहां दिलचस्प बात ये है कि नेट प्रॉफिट टैक्स चुकाने के बाद ही निकलता है. वहीं डिविडेंड पर शेयर धारकों को फिर से टैक्स चुकाना पड़ता है. यानी एक ही इनकम पर दो बार टैक्स वसूला जाता है. सिंगापुर में डबल टैक्सेशन नहीं होता है, जिससे कंपनियों को फायदा होता है.

4- कॉरपोरेट टैक्स है काफी कम

सिंगापुर में कंपनियों पर काफी कम कॉरपोरेट टैक्स लगता है, जो 0-17 फीसदी के बीच है. वहीं दूसरी ओर भारत में कॉरपोरेट टैक्स 30-35 फीसदी तक लगता है. निवेशकों और बिजनेस के लिए कैपिटल गेन टैक्स भी एक बड़ा सिरदर्द बन चुका है. मौजूदा वक्त में भारत में कैपिटल गेन टैक्स 10-20 फीसदी तक है, जबकि सिंगापुर में यह टैक्स लगता ही नहीं है.