देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने करने में किसानों की अहम भूमिका हो सकती है, क्योंकि मॉनसून के इस साल मेहरबान रहने से खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार होने के साथ रबी फसलों की बुआई में भी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है.

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कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की धुरी है और अच्छी पैदावार होने से कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी, जिससे मंदी से उबरने के मार्ग खुलेंगे. कृषि पैदावार बढ़ने के साथ-साथ किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलने से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी.

केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के बाद हाल ही में रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की घोषणा की है.

किसानों की आय बढ़ने से असंगठित क्षेत्र में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था की सेहत सुधर सकती है. इसलिए किसानों की आय बढ़ाना जरूरी है.

खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान, उड़द, मूंग, कपास की नई फसल की आवक देश की प्रमुख मंडियों में शुरू हो चुकी है. रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं, चना, मसूर और सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है और दिवाली के बाद बुवाई और जोर पकड़ेगी.

उन्होंने कहा कि इस बार मानसून के आखिर में अच्छी बारिश हुई है, जिससे देशभर के जलाशयों में पानी भरा हुआ है और खेतों में नमी है, इसके अलावा दिन-रात का औसत तापमान भी रबी फसलों की बुवाई के लिए अनुकूल है. उन्होंने कहा कि गेहूं की बुवाई के लिए दिन-रात का औसत तापमान 22 डिग्री सेंटीग्रेड होना चाहिए.

मध्यप्रदेश और राजस्थान में गेहूं, सरसों और चना की बुवाई पहले ही शुरू हो चुकी है. राजस्थान के गंगानगर के एक कारोबारी ने बताया कि इस साल जौ का बेहतर दाम मिलने से किसान इसकी बुवाई में दिलचस्पी ले रहे हैं. राजस्थान के कोटा के कारोबारी उत्तमचंद ने बताया कि लहसुन का भाव काफी ऊंचा रहने के कारण इस बार इसकी बुवाई का क्षेत्र बढ़ सकता है. उन्होंने बताया कि लहसुन की बुवाई शुरू हो चुकी है.