आज के वक्त में स्टार्टअप (Startup) कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, फंडिंग विंटर (Funding Winter) का दौर भी चल रहा है. इस बीच जहां एक ओर बहुत सारे स्टार्टअप छंटनी (Layoffs) करने में लगे हुए हैं तो वहीं स्टार्टअप की दुनिया से कई बिजनेस के प्रॉफिटेबल (Profitable) होने की खबरें भी आ रही हैं. कुछ टाइम पहले ही मीशो (Meesho) ने घोषणा की कि वह मुनाफे में आ गया है और आईपीओ (IPO) की प्लानिंग कर रहा है. इससे पहले जोमैटो (Zomato) ने बताया ता कि उसने भी इस तिमाही में अपना आज तक का पहला मुनाफा दर्ज किया है. बैंक बाजार (BankBazaar) का भी कहना है कि वह जल्द ही मुनाफे में आने वाली है और उसके बाद आईपीओ लाएगी. अब आपके मन में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा होगा कि जब भर-भरकर फंडिंग (Funding) मिल रही थी, तब तो ये स्टार्टअप मुनाफे में आए नहीं. वहीं अब जब फंडिंग विंटर चल रहा है तो स्टार्टअप मुनाफे में कैसे आ रहे हैं. आइए समझते हैं इसके पीछे की वजह.

पहली वजह है छंटनी

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पिछले कुछ महीनों में आपने अगर गौर किया होगा, तो पाया होगा कि छंटनी का एक दौर सा चला है. हर स्टार्टअप छंटनी में लगा हुआ है. कोई 10 फीसदी लोग निकाल रहा है तो किसी ने आधी टीम ही बाहर कर दी है. वहीं कुछ स्टार्टअप तो अपनी 80 फीसदी टीम को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं. कुछ वक्त पहले ही रिक्रूटमेंट और स्टाफिंग फर्म CIEL HR ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार 2023 के शुरुआती 6 महीनों में ही 70 स्टार्टअप ने लगभग 17 हजार लोगों के नौकरी से निकाल दिया. वहीं छंटनी का ये सिलसिला अभी जारी ही है. आए दिन किसी ना किसी स्टार्टअप से छंटनी की खबर आ रही है. जो मीशो हाल ही में प्रॉफिटेबल हुआ है, उसने खुद कुछ महीने पहले करीब 250 लोगों को नौकरी से निकाला था. इन सारी छंटनी की वजह से कंपनियों का खर्च घटा है और उसकी वजह से भी वह मुनाफे की ओर कदम बढ़ा रही हैं.

फंडिंग विंटर भी है इसकी वजह

छंटनी की एक बड़ी वजह ये है कि अभी फंडिंग विंटर चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि यह फंडिंग विंटर अभी 6-12 महीनों तक और चलेगा. फंडिंग ना मिल पाने की वजह से बहुत सारे स्टार्टअप्स के लिए खर्चे चलाना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में इन स्टार्टअप्स ने पहला काम तो ये किया है कि अपने बिजनेस को फैलाना रोक दिया है. जितना बड़ा बिजनेस है, उसे ही ठीक से करते हुए पहले मुनाफा कमाने की कोशिश हो रही है. वहीं इन स्टार्टअप्स ने छंटनी का हवाला देते हुए अपने बहुत सारे कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है. फंडिंग विंटर के चलते कहीं से पैसे आने की उम्मीद भी बहुत कम है, इसलिए अब बिजनेस को बचाने का सिर्फ यही रास्ता है कि उसे प्रॉफिटेबल बनाया जाए या कम से कम ब्रेक ईवन तक तो ले ही जाना होगा.

आईपीओ की चल रही है प्लानिंग

फंडिंग विंटर का मतलब है कि निवेशक अब स्टार्टअप्स में कम पैसे लगा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अगर बात बाजार यानी स्टॉक मार्केट की करें तो वहां पर अभी भी पैसों को कोई कमी नहीं है. ऐसे में मीशो और बैंक बाजार जैसे तमाम बड़े स्टार्टअप्स को ये साफ दिख रहा है कि आईपीओ लाकर अभी भी मार्केट से ढेर सारा पैसा जुटाया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए अच्छे वैल्युएशन की जरूरत है, ताकि तगड़ी रकम उठाई जा सके. इस तगड़े वैल्युएशन को हासिल करने के लिए अब स्टार्टअप मुनाफे की ओर भाग रहे हैं, ताकि खुद को एक मुनाफा कमाने वाले स्टार्टअप की तरह पेश कर सकें और उन्हें बाजार से पैसा मिल सके.

मुनाफे में आने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे स्टार्टअप्स

आपको याद ही होगा कि स्विगी ने कुछ महीने पहले हर ऑर्डर पर प्लेटफॉर्म फीस लगानी शुरू की थी. अभी जोमैटो भी 2 रुपये की एक प्लेटफॉर्म फीस लगाकर कुछ अतिरिक्त पैसे कमाने की तैयारी कर रहा है और पायलट प्रोजेक्ट भी चला रहा है. जोमैटो ने अपनी कमाई बढ़ाने के लिए इसी साल की शुरुआत में जोमैटो गोल्ड को रीलॉन्च किया था. तमाम डिलीवरी वाले स्टार्टअप ऐसे किसी ना किसी सब्सक्रिप्शन मॉडल पर जा रहे हैं. खबर है कि नायका ने भी एक कन्वेनिएंस फीस लेना शुरू कर दिया है जो 29-99 रुपये तक हो सकती है. मिंत्रा भी अपने ग्राहकों से प्रति ऑर्डर एक कन्वेनिएंस फीस ले रहा है. यानी कोशिश यही है कि जैसे-तैसे अब बस मुनाफा कमाने लगें, वरना इस फंडिंग विंटर में बिजनेस को बचाना मुश्किल हो जाएगा.

करीब एक तिहाई रह गई फंडिंग राउंड की संख्या

भारतीय स्टार्टअप्स की फंडिंग (Startup Funding) में इस साल की पहली छमाही (H1) यानी जनवरी से जून की अवधि तक में करीब 72 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सामने आ रहा है, जिसे Tracxn Geo Semi-Annual Report: India Tech- H1 2023 नाम की रिपोर्ट में पब्लिश किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार पहली छमाही में भारत के स्टार्टअप्स को सिर्फ 5.5 अरब डॉलर की फंडिंग ही मिली है.

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फंडिंग राउंड की संख्या में भी गिरावट देखने को मिली है. इस साल की पहली छमाही में करीब 536 फंडिंग राउंड हुए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 1500 था, जो पिछले साल दूसरी छमाही में 946 रह गया था. Tracxn की को-फाउंडर नेहा सिंह कहती हैं कि इस गिरावट के बावजूद भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और भारत के स्टार्टअप-ईकोसिस्टम में अभी काफी तेजी से बढ़ने की क्षमता है.

करीब साल भर में खत्म हो जाएगा फंडिंग विंटर

Redseer ने तमाम स्टार्टअप निवेशकों के बीच एक सर्वे किया, जिससे पता चला कि उनमें से दो-तिहाई निवेशक मानते हैं कि फंडिंग विंटर अधिकतम 1 साल तक और चलेगा. लगभग 50 फीसदी ने तो कहा कि यह फंडिंग विंटर 6-12 महीने में खत्म हो जाएगा. वहीं 17 फीसदी तो मानते हैं कि फंडिंग विंटर और जल्दी खत्म हो सकता है. हालांकि, एक तिहाई यानी करीब 33 फीसदी निवेशकों का मानना है कि फंडिंग विंटर अभी अगले 12-18 महीने तक चलेगा.