हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने कुछ समय पहले ही राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना की शुरुआत की थी. इसके पहले चरण के तहत 23 साल से अधिक की उम्र के बेरोजगार युवाओं को ई-टैक्सी और ई-बस खरीदने पर बिना गारंटी वाला कर्ज दिया जा रहा है और साथ ही 50 फीसदी की सब्सिडी भी दी जा रही है. 6 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने राज्य के बैंकों के साथ मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वह सरकार की तरफ से चलाई जा रही है राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना के लाभार्थियों को रियायती दरों पर लोन मुहैया कराएं.

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बैंकों के साथ मुलाकात की बात खुद मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी शेयर की. उन्होंने लिखा- 'आज सार्वजनिक, सहकारी एवं निजी बैंकों के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता की. सभी बैंकों से सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए उदारता के साथ और कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाने का आग्रह किया ताकि अधिक से अधिक व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें.'

कुछ समय पहले ही हिमाचल प्रदेश की सरकार ने राज्य में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने के लिए राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्टअप योजना की शुरुआत की है. इस स्कीम के लिए 680 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है. इसके पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है और उसके तहत तमाम तरह के काम किए जा रहे हैं.

बैंकों से मिलना और लोन देने का आग्रह करना भी इसी का हिस्सा है. इस स्कीम के तरह 50 फीसदी सब्सिडी देने का फैसला इसलिए किया गया है, ताकि रोजगार बढ़ाया जा सके. मुख्यमंत्री ने सभी बैंकों से तय समय के भीतर ब्याज दरें राज्य सरकार को भेजने को भी कहा. सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पहले चरण में 500 ई-टैक्सी परमिट जारी करेगी और मांग के आधार पर इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी. बता दें कि सरकार छोटे दुकानदारों को पहले से ही 50 हजार रुपये तक के लोन पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है. मुख्यमंत्री ने इसके बारे में भी एक ट्वीट किया है.

इस योजना के तहत अगर ई-टैक्सी की खरीद में 20 लाख रुपये की लागत आती है तो उस पर राज्य सरकार की तरफ से 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इन ई-टैक्सी को तमाम तरह के सरकारी विभागों में काम पर लगाया जाएगा. राज्य सरकार इस तरह करीब 40 हजार रुपये की मासिक आय सुनिश्चित करने की योजना पर काम कर रही है. हिमाचल सरकार इसके साथ-साथ परिवहन निगम की करीब 3 हजार बसों को भी बदलना चाहती है. सरकार चाहती है कि उनकी जगह पर ई-बसों का बेड़ा खड़ा किया जाए. सरकार लगभग 350 ई-बसें जल्द ही खरीदने की योजना बना रही है और अगले तीन सालों में करीब 1500 ई-बसें खरीदने की योजना है.