देवभूमि हिमाचल प्रदेश के किसानों की आमदनी बढ़ाकर उनके जीवन स्तर में विकास को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने नवम्बर में होने वाली ‛ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट’ से पहले ‛मिनी कॉन्क्लेव’ में राजस्थान की हर्बल कंपनी ‛विनायक हर्बल’ के साथ एक बड़ा करार किया है. यह करार 100 करोड़ रुपये का है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस प्रोजेक्ट के तहत ‛विनायक हर्बल’ संस्थान हिमाचल प्रदेश में जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरुक करेगी. किसानों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्हें जड़ी-बूटियों की खेती करने के लिए तैयार किया जाएगा और किसानों के तैयार माल के लिए बाजार मुहैया कराया जाएगा.

‛विनायक हर्बल’ के सीईओ राकेश चौधरी, उनके सहयोगी मोईनुद्दीन चिश्ती और अजीत सिंह पुनिया ने इस प्रोजेक्ट पर हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ एक करार किया. 

इस एमओयू के बाद ‛विनायक हर्बल’ अगले 6 सालों में हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में औषधीय पौधों को मजबूत करने के लिए 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. 

‛विनायक हर्बल’ की इस महत्वाकांक्षी योजना से न सिर्फ हिमाचल प्रदेश के 1000 से अधिक किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे बल्कि उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा.

‛विनायक हर्बल’ देश में वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई औषधीय पौधों की हाई वैरायटी हिमाचल प्रदेश के किसानों को उपलब्ध करवाएगी. राकेश चौधरी ने बताया कि इस पहल से कंपनी से जुड़ी 70 से अधिक फार्मेसियों को अच्छी क्वालिटी की हिमालयन जड़ी-बूटियां मुहैया होंगी.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आज न केवल आर्थिक निवेश की जरूरत है, बल्कि प्रदेश की जैव विविधता को महफूज किए जाने की भी जरूरत है. स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि इस पहल से प्रदेश की वन औषधीय संपदा किसानों को बहुत फायदा होगा. 

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट मोईनुद्दीन चिश्ती ने बताया कि राजस्थान के नागौर जिले के कुचामनसिटी के छोटे से गांव राजपुरा से निकली इस कंपनी का इतना बड़ा कदम यह दर्शाता है कि अब गांवों में बसे किसान किसी से कम नहीं हैं. उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत कुटकी, कूठ, पुष्करमूल, सुगंधबाला, जटामासी, सालम पंजा, वायविडिंग, ज्योतिषमति आदि सहित बहुमूल्य हिमालयन जड़ी-बूटियों की खेती, प्रोसेसिंग और उनकी मार्केटिंग पर जोर रहेगा.