जल्द ही इस साल का बजट (Budget 2024) पेश होने वाला है. वैसे तो मई में चुनाव के चलते यह बजट सिर्फ एक वोट ऑन अकाउंट होगा, लेकिन फिर भी तमाम स्टार्टअप (Startup) को इस बजट से कई उम्मीदें हैं. यह उम्मीदें कुछ ऐसी हैं, जिनसे स्टार्टअप सेक्टर में बूस्ट देखने को मिल सकता है. साथ ही इससे तमाम स्टार्टअप फाउंडर्स को बिजनेस करने में आसानी हो सकती है. आइए जानते हैं एजुकेशन, एग्रीकल्चर और ईवी सेक्टर के स्टार्टअप इस बजट से क्या चाहते हैं.

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Physics Wallah के को-फाउंडर प्रतीक माहेश्वरी कहते हैं कि आगामी बजट में हम सरकार से शिक्षा क्षेत्र के बजट को बढ़ाने और शैक्षिक उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी स्लैब को 18% से घटाकर 5% करने की अपील करना चाहते हैं. हमारा उद्देश्य एक मजबूत आधार स्थापित करना है. देश के बच्चों के लिए, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित बच्चों के लिए. इसके अतिरिक्त, विकसित हो रही दुनिया और शिक्षा के प्रति हमारे बदलते दृष्टिकोण को देखते हुए, बड़े पैमाने पर सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए बदलाव लाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के लिए अधिक सहयोग की आवश्यकता है. रोजगार क्षमता बढ़ाने और कौशल अंतराल को कम करने के लिए सामूहिक रूप से युवा कौशल को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए जरूरी है.

Leverage .biz के फाउंडर और सीईओ अक्षय चतुर्वेदी ने कहा 2024 में विदेश में अध्ययन में बढ़ती रुचि ने वैश्विक शैक्षिक परिदृश्य को नया आकार दिया है. आगामी बजट उच्च शिक्षा क्षेत्र को नया आकार देने के लिए तैयार है, हम उन उपायों की आशा करते हैं जो वैश्विक संस्थानों के साथ सामर्थ्य, पहुंच और सहयोगात्मक पहल पर ध्यान केंद्रित करते हुए विदेश में अध्ययन क्षेत्र को पुनर्जीवित कर सकें. हम दूरदर्शी वित्तीय नीतियों की आशा करते हैं जो कामकाजी पेशेवरों और विशेष रूप से माता-पिता को कर लाभ प्रदान करती हैं, बचत को बढ़ावा देती हैं और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा को वित्तीय रूप से अधिक सुलभ बनाती हैं.

Agribid के सीईओ आशुतोष मिश्रा ने कहा, “हमें उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ग्रामीण भारत पर जोर देंगी. एक एग्रीटेक स्टार्टअप होने के नाते हमें लगता है कि बजट में किसानों के लिए कुछ लोकलुभावन उपायों से पूरे इको सिस्टम के साथ-साथ कृषक समुदाय को भी फायदा होगा. अधिक से अधिक डिजिटल अपनाने के लिए सुविधाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाना भी एजेंडे में होना चाहिए. वित्त मंत्री को कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए, ब्रांड इंडिया को आगे बढ़ाने के लिए बड़ी पहल करनी चाहिए.

BiofuelCircle Private Limited के को-फाउंडर और सीईओ सुहास बख्शी ने कहा, "हमने पिछले कुछ वर्षों में जैविक ऊर्जा क्षेत्र में अहम नीतियों में निवेश प्रतिबद्धताएं देखी हैं. इस क्षेत्र में होती बढ़त सशक्त ग्रामीण उद्योगों की मांग कर रही है और स्वाभाविक रूप से इसके लिए एक कुशल कर्मचारी वर्ग की आवश्यकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक कौशल विकास और ग्रामीण व्यावसायिक विकास के ओर बढ़ते हुए झुकाव को देखना आनंददायी होगा."

GRAM Unnati के फाउंडर और सीईओ अनीश जैन चाहते हैं कि इस बजट में कुछ ऐसी गाइडलाइन्स पर ध्यान देना चाहिए, जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके. साथ ही इस ओर भी ध्यान देना होगा कि कैसे किसानों की आय में स्थिरता लाई जा सके. सरकार ने इंश्योरेंस, सॉयल हेल्थ कार्ड समेत कई स्कीम बनाई हैं, बस उनके हर किसान तक पहुंचाने का तरीका खोजना होगा, जिससे सभी को फायदा हो सके. अनीश कहते हैं कि कनजम्प्शन वाली साइड पर fssai का रेगुलेशन काम करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि खाने की चीजों में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली चीजें ना हों. पॉलिसीमेकर्स को कुछ ऐसा ही रेगुलेशन किसानों वाली साइड यानी प्रोडक्शन की साइड पर भी बनाने होंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फसल उगाने के दौरान उसमें हानिकारक कैमिकल्स का इस्तेमाल ना हो.

ARENQ के सीईओ वी. जी अनिल ने कहा हम आगामी बजट को लेकर उत्साहित हैं और उम्मीद करते हैं कि इसमें हरित पहल और नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन करने वाली नीतियां शामिल होंगी. भविष्य की ओर देखने वाला बजट अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित कर सकता है, इलेक्ट्रिक गतिशीलता बुनियादी ढांचे में सुधार कर सकता है और लोगों के लिए टिकाऊ बिजली समाधानों का उपयोग करना आसान बना सकता है. हम चाहते हैं कि बजट नवाचार को बढ़ावा दे, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर हमारी निर्भरता कम करे और देश को पर्यावरण के अनुकूल और लचीला बनने में मदद करे. 

स्नैप ई कैब्स के फाउंडर और सीईओ मयंक बिंदल ने कहा कि FAME II सब्सिडी एक अहम योजना है. इस सब्सिडी की घोषणा 2019 में 3 साल की वैधता के साथ की गई थी. यह उम्मीद की जाती है कि सरकार इसे फिर से अगले कुछ सालों तक इसे जारी रखेगी. इसके साथ ही, ली-आयन बैटरियों पर जीएसटी को 18% से घटाकर 5% करने का प्रस्ताव है, जिससे ईवी की लागत भी कम हो जाएगी. चूंकि ईवी में बैटरियां एक प्रमुख लागत घटक हैं, इसलिए बैटरियों की लागत कम करने का कदम खरीदारों के लिए उत्पाद को अधिक आकर्षक बना देगा.

Chalo Mobility की को-फाउंडर और डायरेक्टर प्रिया सिंह कहती हैं- 'शहरों में कुशल यातायात का मुख्य कारण होता है अच्छा सार्वजनिक परिवहन, जिसमें सबसे बड़ा योगदान होता है बसों का। हमने अपने डेटा की मदद से ये निष्कर्ष निकाला है कि अगर हमें हमारे रोजमर्रा के यात्रियों की जरूरतों को बिना किसी रुकावट के पूरा करना है तो हमें सिटी बसों की संख्या दस गुना बढ़ानी पड़ेगी। हमें प्रमुख शहरों में सिटी बसों की संख्या बढ़ाने के लिए बजट आवंटन मिलने की उम्मीद है, क्योंकि वे शहरी यातायात की भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा । हम यह आशा एवं उम्मीद करते हैं कि ‘प्रधान मंत्री ई बस सेवा योजना’ और ‘फेम योजना’ के तहत ई बसों की संख्या बड़ेगी। ई बसों का पूर्ण उपयोग करने के लिए चार्जिंग की संरचना पर भी उतना ही ध्यान देना पड़ेगा जितना बसों पे। इस कार्य को जल्दी और इतने बड़े पैमाने पर करने के लिए बहुत जरूरी है कि सार्वजनिक यातायात की संरचना को तैयार करने में प्राइवेट सेक्टर का भी पूर्ण योगदान हो। इस तरह से किसी भी शहर का विकास करने में बहुत ज्यादा मदद मिलेगी.

Blive के को-फाउंडर और सीईओ समर्थ खोलकर बोले- "मुझे उम्मीद है कि सरकार ईवी सेक्टर को प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग (पीएसएल) में शामिल करेगी, जो प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों के लिए फाइनेंस को सुलभ और आसान बनाएगा. मुझे उम्मीद है कि बजट में ऐसी नीतियों की घोषणा की जाएगी, जो ईवी अडॉप्शन को बढ़ावा देंगे जैसे आईसीई वाहनों को ईवी में बदलने वाली कन्वर्जन किट्स के लिए इन्सेंटिव की घोषणा और सब्सिडी बढ़ाना, इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल अधिक किफ़ायती हो जाएंगे."

DriveX के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर नारायण कार्तिकेयन कहते हैं- "हमारा मानना है कि आगामी बजट खासतौर पर दोपहिया ऑटो उद्योग की आर्थिक स्थिति का आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. टैक्सेशन सिस्टम में सुधार से हमारे उद्योग को फायदा होगा. सरकार उपभोक्ताओं के व्यय पर ध्यान दे रही है, ऐसे में टैक्स को बढ़ाने और घटाने से सेकेंड हैंड दोपहिया वाहनों की मांग बढ़ेगी. इसके अलावा हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मौजूदा रेपो रेट को स्थिर बनाए रखने की घोषणा उल्लेखनीय है. दरों में स्थिरता बनी रहने से फाइनैंसिंग के अनुकूल विकल्प मिलेंगे और बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं के लिए दोपहिया वाहन खरीदना अधिक आसान हो जाएगा. इससे विभिन्न आर्थिक वर्गों के लिए परिवहन के साधनों को सुलभ बनाने में मदद मिलेगी. साथ ही, हमें उम्मीद है कि आगामी बजट ऑटोमोटिव उद्योग में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देगा. बजट की बात करें तो हम आपसी सहयोग के प्रयासों को लेकर आशावादी हैं जो हमारे उद्योग को गति प्रदान करेंगे. उपभोक्ता- उन्मुख दृष्टिकोण के साथ अपनी टीम और साझेदारों के साथ मिलकर आगामी बजट से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं."