अमेजन (Amazon), फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां अब बाजार में मनमाने तरीके से अपने उत्‍पाद नहीं बेच पाएंगी. उपभोक्ता (Consumer) मामलों के मंत्रालय के प्रस्तावित नियमों के मसौदे के अनुसार, ई-वाणिज्य कंपनियां अपने यहां बिकने वाले उत्पादों की कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं. उन्हें ट्रेडिंग के तरीकों का अनिवार्य तौर पर पालन करना होगा. 

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मंत्रालय ने ‘उपभोक्ता संरक्षण (ई-वाणिज्य) नियमावनर 2019’ का मसौदा जारी किया है और दो दिसंबर तक इस पर टिप्पणियां मंगाई हैं. मसौदे के अनुसार, एक ई-वाणिज्य निकाय को प्रत्यक्ष तौर पर वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें नहीं प्रभावित करनी चाहिए और समान अवसर मुहैया कराना चाहिये. 

मसौदे के अनुसार, ई-वाणिज्य कंपनियों को खुद ही उपभोक्ता की तरह पेश आकर समीक्षा लिखने, माल और सेवाओं के फीचरों और गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर परोसने से रोका गया है. ई-वाणिज्य कंपनियों को विक्रेताओं के कारोबार की पहचान, वैध नाम, भौगोलिक पता, वेबसाइट का नाम, उनके द्वारा बेचे जाने वाले उत्पाद और उनसे उपभोक्ता कैसे संपर्क करे समेत सारी जानकारियां मुहैया करानी होगी. 

मसौदे के अनुसार, ई-वाणिज्य कंपनियों को उपभोक्ताओं के निजी आंकड़ों व सूचनाओं को संरक्षित रखना होगा. ई-वाणिज्य कंपनियों को देर से डिलिवरी होने, उत्पाद में खराबी होने, नकली उत्पाद होने या गलत उत्पाद की स्थिति में सामान को वापस लेना होगा. उन्हें अधिकतम 14 दिनों के भीतर उपभोक्ताओं को रिफंड करना होगा. 

खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने प्रस्तावित मसौदे का स्वागत किया. उसने कहा कि ये नियम ई-वाणिज्य कंपनियों को अधिक पारदर्शिता अपनाने तथा उपभोक्ताओं के प्रति जवाबदेह होने पर बाध्य करेंगे.