कोरोना वायरस महामारी के इस मुश्किल दौर में भारतीय रेलवे ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत अपने 160 प्रोजेक्टों में लगभग 9 लाख श्रम दिवस के बराबर रोजगार देने की बात कही है. बड़े शहरों से अपने घरों को लौटे प्रवासी कामगारों के लिए ये बड़ी राहत होगी.

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रेलवे के 160 प्रोजेक्टों में मिलेगा काम

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव के मुताबिक रेलवे की ओर से जिन 160 प्रोजेक्टों को सेलेक्ट किया गया है ये सभी प्रोजेक्ट उन 6 राज्यों के 116 जिलों में हैं जिन्हें गरीब कल्याण रोजगार अभियान में शामिल किया गया है. रेलवे की ओर से इन 160 प्रोजेक्टों में 20 जून से 31 अक्टूबर तक 1888 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.

प्रधानमंत्री ने लांच की स्कीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून 2020 को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की है. प्रधानमंत्री ने इस अभियान की शुरुआत बिहार के खगड़िया जिले से की है. इस अभियान को  6 राज्यों के 116 जिलों में चलाया जाएगा. इस योजना के तहत 125 दिनों तक रोजगार दिया जाएगा. इस योजना पर 50 हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी. इस अभियान से गांवों का भी विकास होगा. कोरोना महामारी के चलते देशभर से अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हुए कामगारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत इन प्रवासी श्रमिकों को उनके कौशल के आधार पर उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. बिहार के 32 जिलों में ये स्कीम चलाई जाएगी.

 

गरीब कल्याण रोजगार अभियान की मुख्य बातें-

  • गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत श्रमिकों को मनरेगा के तहत काम मिलेगा. जिसकी दैनिक मजदूरी 182 रुपए से बढ़ाकर 202 रुपए कर दी गई है. इस योजना के तहत श्रमिकों को 125 दिनों तक के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.

 

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  • इस अभियान के तहत 6 राज्यों के 116 जिलों का चयन किया गया है. ये वे जिले हैं, जहां सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक वापस आए हैं. इनमें बिहार के 32 जिले, उत्तर प्रदेश के 31 जिले, मध्य प्रदेश के 24 जिले, राजस्थान के 22 जिले, ओड़िशा के 4 और झारखंड के 3 जिले शामिल हैं.
  • इस अभियान के तहत ग्रामीण विकास, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, पंचायती राज, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, सीमा सड़क, दूरसंचार और कृषि के क्षेत्र में श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा
  • यह अभियान मिशन मोड में चलाया जाएगा. जिसमें काम करने वाले श्रमिकों को राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा भुगतान किया जाएगा.
  • जिन श्रमिकों को राज्य सरकार वापस लेकर आई है, या अन्य साधनों से उन्हें वापस भेजा गया है, उनकी सूची पहले से ही सरकार के पास है और इसी के आधार पर श्रमिकों को काम दिया जाएगा.
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