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सूरज की रौशनी और हवा की ताकत से चलेगी रेल, 2030 तक रेलवे का है ये प्लान

भारतीय रेलवे (Indian Railways) 2030 तक "हरित रेलवे" (Green Railway) बनने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है. रेलवे ने  2030 तक जीरो कार्बन एमीशन (zero carbon emission) का लक्ष्य रखा है.
Updated on: July 14, 2020, 08.31 AM IST
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ट्रैक को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिफाइड किया जा रहा है

रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारतीय रेलवे ने 40,000 से अधिक रूट किलोमीटर (व्‍यस्‍त मार्गों का 63% इलेक्ट्रिफिकेशन) पूरा कर लिया है. रेलवे ने 2009 से लेकर 2014 तक 3,835 किमी की तुलना में 2014-20 के दौरान 18,605 किमी रेल मार्ग का इलेक्ट्रिफिकेशन किया है. कोविड के समय में 365 किमी महत्वपूर्ण रेलवे ट्रैकों का काम पूरा किया गया.  

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रेलवे ने 900 स्टेशनों पर लगाए प्लांट

रेलवे ने 900 स्टेशनों सहित अपनी अलग अलग इमारतों की छतों पर 100 मेगावाट क्षमता वाले सौर पैनल (solar panels) लगाए गए हैं. 400 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए प्लांट लगाने का काम तेजी से चल रहा है.  

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सोलर एनर्जी से ट्रेन चलाने की तैयारी

भारतीय रेलवे के पास 20 गीगावॉट क्षमता वाले सोलर प्लांट लगाने के लिए 51,000 हेक्टेयर भूमि है. भेल के सहयोग से बीना में 1.7 मेगावाट क्षमता वाला प्लांट लगाया जा चुका है. रेलवे इस सोलर एनर्जी से ट्रेन चलाने के लिए भी प्रयास कर रहा है.  

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रेलवे लगाएगा विंड एनर्जी प्लांट

रेलवे हवा से भी बिजली के लिए प्रयास कर रही है. रेलवे ने 103 मेगावाट क्षमता वाले बिजली के प्लांट पहले ही चालू कर लिए हैं लेकिन अगले 2 वर्षों में तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में 200 मेगावाट क्षमता वाले हवा से बिजली बनाने के लिए बड़े विंड एनर्जी प्लांट लगाए जाएंगे.  

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भवनों और स्‍टेशनों पर रौशनी के लिए खर्च

रेल मंत्रालय ने 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह हरित ऊर्जा से चलाने की बात कही है. इसके साथ ही ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कई बड़ी पहल की गई है. इलेक्ट्रिफिकेशन, लोकोमोटिव और ट्रेनों में बिजली के खर्च को कम करने के साथ ही रेलवे प्रतिष्ठानों/स्टेशनों के लिए ग्रीन एनर्जी सर्टिफिकेट देने की प्रक्रिया पर काम कर रहा है. वहीं डिब्बों में बडे पैमाने पर बॉयो टॉयलेट लगाए जा रहे हैं.