• होम
  • तस्वीरें
  • रेलवे लोकोमोटिव फैक्ट्री CLW को मिली बड़ी सफलता, लॉकडाउन के बावजूद बना डाले 100 इंजन

रेलवे लोकोमोटिव फैक्ट्री CLW को मिली बड़ी सफलता, लॉकडाउन के बावजूद बना डाले 100 इंजन

भारतीय रेलवे (Indian Railways) के चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप (CLW) ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. कोरोना वायरस महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन के बावजूद चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8 सितम्बर तक 100 रेल इंजनों का उत्पादन पूरा कर लिया है.
Updated on: September 09, 2020, 04.04 PM IST
1/5

100 वां रेल इंजन फैक्ट्री से निकला

चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप (CLW) की ओर से बनाया गया 100 वां रेल इंजन WAG9HC(32904) 8 सितंबर को फैक्ट्री से बाहर निकला. भारतीय रेलवे के मुताबिक आत्म निर्भर भारत की दिशा में ये बड़ी सफलता है. कोरोना महामारी के बीच बढ़ी मुश्किलों के बावजूद इसे बेहतरीन प्रोडक्शन माना जा रहा है.  

2/5

CLW को 70 साल हुए पूरे

भारतीय रेलवे के चितरंजन रेल इंजन कारखाने ने देश की सेवा करते हुए अपने 70 वर्ष पूरे कर लिए हैं. इस कारखाने ने स्टीम इंजन से शुरुआत कर डीजल और अब इलेक्ट्रिक इंजन को मिलाकर कुल 10,000 से ज्यादा रेलवे इंजन बनाने का काम पूरा किया जा चुका है.  

3/5

इंजन उत्पादन का बनाया रिकॉर्ड

1948 से ये रेल फैक्ट्री लगातार इंजन बना रही है. वर्ष 2019-20 में कुल 431 इंजन का निर्माण कर CLW ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है. चितरंजन लोकोमोटिव में डब्लूएपी 7 इंजन भी बनाया जा रहा है ये इंजन हेड ऑन जनरेशन तकनीक पर चलता है. इसके चलते इस इंजन में बिजली की खपत काफी कम हो जाती है. इस इंजन को राजधानी और शाताब्दी जैसी हाई स्पीड गाड़ियों में चलाया जा रहा है.  

4/5

200 किलोमीटर प्रति घंटा तक कीस्पीड से चलने वाले इंजन बनाए

चितरंजन लोकोमोटिव वर्कशॉप में हाल ही में 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलने की क्षमता वाले इंजन डब्लूएपी 5 भी बनाया गया है. इस इंजन के जरिए पुश एंड पुल तकनीकी की मदद से भी ट्रेनों को चलाया जा रहा है.  

5/5

कई तरह के इंजन बनाए हैं

इस फैक्ट्री में 6000 एचपी से लेकर 9000 एचपी तक के इंजन को बनाया गया है. इस इंजन के जरिए माल गाड़ियों को चलाया जाता है. 9000 एचपी के इंजन को 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक की स्पीड से चलाया जा चुका है.