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Chenab Rail Bridge: तस्वीरों में देखें दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज की खूबसूरती, जानिए 5 चौंकाने वाले फैक्ट्स

Chenab Bridge जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बनाया गया है. इसकी लंबाई 1315 मीटर है. इस ब्रिज की ऊंचाई 1178 फीट यानी 359 मीटर है जो एफिल टावर से भी 35 मीटर ज्यादा है.
Updated on: February 17, 2023, 04.13 PM IST
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Chenab Rail Bridge

Chenab Rail Bridge: चिनाब रेल ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज है जो जम्मू-कश्मीर में पड़ता है. यह बक्कल और कौड़ी के बीच स्थित है, जिसका निर्माण चिनाब नदी के ऊपर किया गया है. इस ब्रिज की ऊंचाई 1178 फीट यानी 359 मीटर है. इस ब्रिज को बनाने में करीब 1486 करोड़ की लागत आई है और इसका लाइफ स्पैन 120 सालों का है. अगस्त 2022 में इस ब्रिज के गोल्डन ज्वाइंट का उद्घाटन किया गया था. इसकी ऊंचाई एफिल टावर से भी 35 मीटर ज्यादा है. इसकी लंबाई 1315 मीटर है.

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Chenab Bridge engineering milestone

Chenab Bridge इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है. इसका कंस्ट्रक्शन Afcons Infrastructure की तरफ से किया गया है. यह SPG ग्रुप की कंपनी है. ब्रिज की मजबूती की बात करें तो यह जोन-V भूकंप और 266 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा को आसानी से झेल जाएगा. इस ब्रिज को बम धमाकों में भी टिके रहने लायक मजबूत बनाया गया है. 

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Chenab Bridge connects Srinagar to Rest India

Chenab Bridge की मदद से श्रीनगर को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ा गया है. फिलहाल यह ब्रिज पूरी तरह ऑपरेशनल नहीं है. चिनाब ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला सेक्शन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह ब्रिज जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा है.

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Chenab Bridge approved in 2003

चिनाब ब्रिज को बनाना इतना आसान नहीं था. साल 2003 में इसे बनाने का अप्रूवल मिला था. 2008-09 में इस ब्रिज के बनाने के पूरे प्लान को नए सिरे से तैयार किया गया. 2009 में रेलवे की तरफ से मंजूरी मिली और 2012 में निर्माण काम शुरू हुआ. कोंकण रेलवे को एग्जीक्यूटिव एजेंसी के तौर पर चुना गया.  

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Chenab Bridge is World's Highest Rail Bridge

Chenab Bridge को हिमालय के दो पहाड़ों के बीच तैयार करना बेहद कठिन रहा. यहां कनेक्टिविटी का अभाव था, जिसके कारण इन्फ्रास्ट्रक्चर की नींव रखने के लिए जरूरी संसाधनों का इंतजाम करना चुनौतीपूर्ण रहा. इलेक्ट्रिसिटी तक का अभाव था, जिसके कारण पहले लोकल स्तर पर बिजली पैदा करने की तैयारी की गई.