भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी covid 19 से लड़ने और देश के लोगों की मदद के लिए अपने सभी कारखानों को कोरोना से लड़ाई के लिए हथियार बनाने की फैक्ट्रियों में बदल दिया है. रेलवे की फैक्ट्रियों में  मास्क (Face Masks),सेनेटाइजर (Sanitizers),एप्रेन (Apron), अस्पतालों के लिए बेड आदि बनाए जा रहे हैं.

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20 डिब्बों को आइसोलेशन कोच में बदला गया

उत्तर रेलवे (Northern Railway) जरूरत को ध्यान में रखते हुए अब तक 20 एचएचबी कोचों को आइसोलेशन (ISOLATION Non AC Coaches) वॉर्ड में बदल दिया है . वहीं 31 मार्च तक दो और कोच को ISOLATION कोच में बदल दिया जाएगा. मंगलवार तक आलगबाग कारखाने में एक आईसीएफ कोच को आइसोलेशन वॉर्ड में बदल दिया जाएगा. अगले एक सप्ताह में दस डिब्बों को आईसोलेशन कोच में बदलने का फैसला लिया गया है.  

सेनेटाइजर और मास्क का उत्पादन भी किया जा रहा है

उत्तर रेलवे के सभी कारखानों में सेनेटाइजर का उत्पादन शुरू कर दिया गया है. उत्तर रेलवे के कारखाने रोज लगभग 740 liters सेनेटाइजर का उत्पादन कर रहे हैं.   वहीं उत्तर रेलवे के कारखानों में रोज लगभग 700 फेस मास्क बनाए जा रहे हैं. रेलवे की वर्कशॉप में मेडिकल स्टॉफ के लिए एप्रेन का उत्पादन भी शुरू किया गया है.  

 

मेडिकल स्टॉफ के लिए एप्रेन बनाने का भी काम शुरू

उत्तर रेलवे की जगाधरी (Jagadhari) और आलगबाग (Alambagh) वर्कशॉप में पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल पहुंचा दिया गया है. इस कच्चे माल से उत्पादन भी शुरू कर दिया गया है. अगले तीन दिनों में ये कारखाने लगभग 20 एप्रेन प्रति दिन का उत्पादन भी शुरू कर देंगे. वहीं 3 अप्रैल तक इस उत्पादन को 35 एप्रेन प्रतिदिन तक ले जाने का लक्ष्य है.