भारतीय रेलवे (Indian Railways) के दिल्ली मंडल (Delhi Division) ने 39 जोड़ी प्रीमियम तथा एक्सप्रेस गाड़ियों को हेड ऑन जनरेशन (H.O.G) प्रणाली में बदलने में सफलता पाई है. इन गाड़ियों को इस तकनीक से चलाए जाने से एक तरफ जहां बिजली की बचत हो रही है वहीं ट्रेनों में डिब्बे बढ़ाए जाने से ज्यादा लोगों को कन्फर्म सीट भी मिल रही है. अभी दिल्ली मंडल में 11 जोड़ी शताब्दी, 08 राजधानी, 02 दूरंतो, 02 हमसफर तथा 16 एक्सप्रेस गाड़ियां इस एच.ओ.जी. तकनीक के जरिए चलाई जा रही हैं.

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इस तकनीक से बच रहा है लाखों का डीजल

हेड ऑन जनरेशन तकनीक का इस्तेमाल करके उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने अपने बिजली के बिल में काफी कमी की है. रेलवे के दिल्ली मंडल के रेल प्रबंधक एस.सी. जैन ने कहा कि HOG तकनीक का इस्तेमाल करने पर डीजल की खपत नहीं होती है. इससे वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी. उन्होंने बताया कि HOG तकनीक की शुरुआत के साथ जनरेटर कारों की डीजल खपत पर हर वर्ष होने वाले लगभग 65 करोड़ रुपये के खर्च की भी बचत होगी.

ट्रेन में मिल रही है कन्फर्म सीट

बिजली की बचत के साथ ही हेड ऑन जनरेशन तकनीक का इस्तेमाल करके रेलवे एक तरफ जहां डीजल की बचत कर रहा है वहीं इससे वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी. ट्रेन में एसी, पंखे और लाइटों के लिए अलग से जनरेटर कार लगाए जाने की जरूरत न होने से इस जनरेटर कार की जगह पर एक्स्ट्रा कोच लगाया जा रहा है. इससे यात्रियों को कन्फर्म सीट आसानी से मिल रही है.

 

क्या है HOG तकनीक

फिलहाल जिन ट्रेनों में AC डिब्बे होते हैं उनमें इंजन में बिजली की आपूर्ती ओवर हेड वायर से होती है. इसके अलावा हर डिब्बे की बिजली की जरूरत को पूरा करने के लिए ट्रेन में आगे और पीछे की ओर एक जनरेट कार लगाई जाती है. इसमें बड़ा सा जनरेटर होता है जो डीजल से चलता है. रेलवे की हेड ऑन जनरेशन तकनीक (HOG) के तहत ट्रेन के सभी डिब्बों को बिजली ओवरहेड वायर से मिलती है. वहीं इन जनरेटरों की जगह यात्री डिब्बे लगाए जा सकते हैं जिससे अधिक संख्या में यात्रियों को कन्फर्म सीट मिल जाती है.