पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल हैं. इंडियन मेडकल एसोसिएशन ने भी हड़ताल का समर्थन किया है. 17 जून को IMA की ओर से हड़ताल बुलाई गई है. ऐसे में आने वाले दिनों में लोगों को इलाज के लिए और मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.

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डॉक्टरों की पिटाई से शुरु हुई हड़ताल

पश्चिम बंगाल में कोलकाता स्थित एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दो डॉक्टरों से हुई मारपीट के बाद डॉक्टरों ने 10 जून से हड़ताल की घोषणा कर दी है. अब यह प्रदर्शन पश्चिम बंगाल से निकल कर अखिल भारतीय रूप ले चुका है. देश के कई हिस्सों में पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के समर्थन में प्रदर्शन किया जा रहा है. दिल्ली में एम्से के डॉक्टरों ने विरोध में हेलमेट पहन कर काम किया गया. वहीं कई अन्य राज्यों में डॉक्टरों ने सिर व हाथ पर पट्टी बांध कर प्रदर्शन किया.

IMA ने भी हड़ताल की घोषणा की

IMA की ओर से 17 जून को बुलाई गई हड़ताल में आपात सेवाओं को छोड़ कर सभी ओपीडी सेवाएं ठप्प रखने की घोषणा की है. पश्चिम बंगाल में कुल 14 मेडिकल कॉलेज हैं. इन सभी में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं. राज्य में 04 हजार जूनियर डॉक्टर हैं. सभी हड़ताल पर हैं. पिछले चार दिनों से सरकारी अस्पतालों की इमरजेंसी में भी मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है.

डॉक्टरों ने केंद्रीय मंत्री से की मुलाकात

डॉक्टरों की मांग है कि सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी दे. इसके लिए उचित कदम उठाए जाएं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से एम्स के डॉक्टरों ने मुलाकात की. डॉक्टरों ने सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएने को कहा. वहीं डॉक्टर हर्षवर्धन ने हड़ताल को सांकेतिक रखने की अपील की है ताकि मरीजों को दिक्कत न हो.