Delhi Metro news: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) ने तीसरे फेज की सभी नई लाइन पर बिना तैयारी और लागत और लाभ का विश्लेषण किए बगैर ही ड्राइवरलेस ट्रेन के ऑपरेशन की टेक्नोलॉजी अपना ली. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सीएजी (CAG) ने गुरुवार को संसद के पटल पर रखी गई इस रिपोर्ट में कहा है कि डीएमआरसी ने त्रिलोकपुरी खंड के निर्माण से प्रभावित हो रहे लोगों के पुनर्वास की जगह भी बार-बार बदली.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शुरू में तीसरे फेज के लिए चार गलियारे को परमिशन दी थी

दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) के तीसरे चरण के क्रियान्वयन पर जारी इस रिपोर्ट में सीएजी (Comptroller and Auditor General) ने कहा है कि भारत सरकार ने शुरू में तीसरे फेज के लिए चार गलियारे को परमिशन दी थी जिसके लिए 35,242 करोड़ रुपये की सिफारिश भी की गई. लेकिन इस फेज का विस्तार कर 103.5 किलोमीटर से बढ़ाकर 160.76 किलोमीटर कर दिया गया और लागत भी बढ़कर 48,565.12 करोड़ रुपये हो गई. वर्ष 2011-19 के दौरान इस फेज के तहत डीएमआरसी ने 107.27 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड ट्रैक और 53.48 किलोमीटर लंबे भूमिगत ट्रैक का निर्माण किया.

मेजेंटा लाइन पर पहली बार बिना ड्राइवर के मेट्रो

सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि डीएमआरसी ने इस फेज में बनी सभी नई लाइन पर ड्राइवरलेस ट्रेनों के ऑपरेशन का फैसला ले लिया जबकि इसके पहले उसने न तो कोई तैयारी की और न ही लागत और लाभ का विश्लेषण ही किया. इस फेज में बनी मेजेंटा लाइन पर पहली बार बिना ड्राइवर के मेट्रो ट्रेन का ऑपरेशन पिछले साल 28 दिसंबर को शुरू हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइन-8 पर संचालित इस सेवा की शुरुआत की थी. इसी तरह 59 किलोमीटर लंबी पिंक लाइन पर चालक-रहित मेट्रो ट्रेन ऑपरेशन इस साल 25 नवंबर को ही शुरू हुआ है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

कोच की संख्या बढ़ाने की गुंजाइश खत्म

सीएजी के मुताबिक, डीएमआरसी के निदेशक मंडल ने तीसरे चरण में बनने वाली मेट्रो लाइन पर नौ कोच चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी लेकिन कुछ समय बाद ही इसे बदलकर छह कोच कर दिया गया. सीएजी ने कहा कि डीएमआरसी का यह फैसला लागत-लाभ का विश्लेषण के बगैर किया गया था. इससे भविष्य में कोच की संख्या बढ़ाने की गुंजाइश भी खत्म हो गई. इसके साथ ही सीएजी ने कहा है कि डीएमआरसी ने तीसरे फेज के प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी भी नहीं ली थी.