Bullet Train Interesting Facts: देश में आम आदमी के लिए रेलवे की सुविधाओं को लगातार एडवांस किया जा रहा है. वंदे भारत ट्रेनों से लेकर अमृत भारत स्टेशन तक हर चीज में सैलानियों को वर्ल्ड क्लास सर्विस मिलती है. लेकिन भारत में रेलवे को लेकर एक गेम चेंजर प्रोजेक्ट पूरा होने की कगार पर है. ये है देश का पहला हाई-स्पील रेल प्रोजेक्ट, यानि की मुंबई से अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन. रिपोर्ट के मुताबिक, इसका एक हिस्सा 2026 तक शुरू हो जाने वाला है. आपको बता दें कि भारत में पहली बुलेट ट्रेन जापान की शिनकानसेन ई-5 सीरीज होने वाली है. जिसके लिए भारत और जापान के बीच एक समझौता भी हुआ है. लेकिन क्या आपको पता है एक समय ऐसा भी था, जब जापान में खुद ये ट्रेन बंद होने की कगार पर थी. उस समय एक पक्षी ने जापान की बुलेट ट्रेन को एक नया जीवन दिया था. आइए जानते है बुलेट ट्रेन से जुड़ा ये मजेदार किस्सा. 

क्यों मुश्किल में थी बुलेट ट्रेन?

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बता दें कि जापान में 1 अक्टूबर, 1964 को पहली शिनकानसेन बुलेट ट्रेन को लॉन्च किया गया था. हालांकि, शुरू-शुरू में इस बुलेट की डिजाइन को लेकर कुछ इश्यू था. जब ये ट्रेन किसी सुरंग से बाहर निकलती थी, जोर के शोर के साथ निकलती थी. बुलेट ट्रेन की आवाज इतनी तेज होती थी कि आसपास के लोगों के लिए ट्रैक के पास रहना मुश्किल हो जाता था. एक्सपर्ट्स ने बताया कि ये तेज शोर ट्रेन की डिजाइन में खामी को लेकर थी. 

जापान के इंजिनियरों ने बताया कि जब भी कोई बुलेट ट्रेन सुरंग से निकलती थी तो बंद जगह के कारण हवा को आगे की तरफ धकेलती थी. इससे टनल के अंदर हवा का प्रेशर वेव बनता था. वहीं, जब ये बुलेट ट्रेन सुरंग से निकलती थी, तो 70 डेसीबल से तेज साउंड वेव जेनरेट होती थी. अधिकारियों को समस्या तो पता चल गई थी, लेकिन अभी तक इसका समाधान नहीं खोजा जा पाया था. 

किंगफिशर ने किया कमाल

बुलेट ट्रेन की इस समस्या का समाधान फिर किंगफिशर पक्षी ने किया. दरअसल, जापान रेलवे के इंजिनियर और तकनीकी विकास विभाग में महाप्रबंधक आइजी नकात्सू को किंगफिशर पक्षी को देखकर बुलेट ट्रेन के डिजाइन को बदलने का आइडिया आया. किंगफिशर पक्षी पानी में मक्षली को पकड़ने के लिए इतनी तेज रफ्तार से पानी के अंदर जाती है, जो कि पानी के कुछ छींटे ही बाहर आते हैं. 

किंगफिशर की लंबी चोंच पानी को तेजी से पीछे छोड़ने में मदद करती है और पानी में ज्यादा हलचल भी नहीं होती है. इसी तर्ज पर जापान में बुलेट ट्रेन के अगले हिस्से को फिर से डिजाइन किया गया. जापानी इंजनिनियरों की मेहनत का परिणाम ये हुआ कि न सिर्फ बुलेट ट्रेन की तेज आवाज से छुटकारा मिला, बल्कि इस नए डिजाइन में फ्यूल की भी बचत होने से बुलेट ट्रेन ज्यादा एफिशिएंट हो गई.