Amrit Bharat Train: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) 30 दिसंबर को 'पुश-पुल' तकनीक वाली पहली अमृत भारत ट्रेन को अयोध्या से हरी झंडी दिखाएंगे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नयी दिल्ली स्टेशन पर इसके कोच और इंजन का निरीक्षण करने के बाद यह जानकारी दी. वैष्णव ने प्लेटफॉर्म पर करीब आधे घंटे का वक्त बिताया और ट्रेन के इंजन व कुछ डिब्बों का निरीक्षण किया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत जल्द अयोध्या से इसे हरी झंडी दिखाएंगे. पहली अमृत भारत ट्रेन को प्रभु राम के जन्मस्थल अयोध्या से माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी से होते हुए दरभंगा के लिए चलाया जा सकता है.

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वैष्णव ने नयी ‘पुश-पुल’ तकनीक की जानकारी दी, जो उनके मुताबिक ट्रेन के संचालन को अधिक सुरक्षित बनाती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए कई नयी सुविधा शामिल की गई हैं. 

क्या है पुश-पुल तकनीक

रेल मंत्री ने कहा कि ट्रेनों को चलाने में दुनिया भर में दो तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है पहली 'वितरित बिजली प्रौद्योगिकी और दूसरी पुश-पुल तकनीक.'

 

वैष्णव ने कहा, "वितरित बिजली प्रौद्योगिकी में हर दूसरे या तीसरे डिब्बे में एक मोटर होती है, जो ट्रेन के ऊपर लगे उपकरण के जरिए बिजली की आपूर्ति से चलती है. वंदे भारत ट्रेन वितरित बिजली प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं. वहीं पुश-पुल तकनीक का मतलब है कि ट्रेन में दो इंजन होते हैं, एक आगे और दूसरा आखिर में. आगे वाला इंजन ट्रेन को खींचता है तो वहीं पीछे वाला इंजन ट्रेन को आगे की तरफ धकेलता है."

होगी समय की बचत

वैष्णव ने कहा कि ट्रेन में 'पुश-पुल' तकनीक को शामिल करने के लिए कई बदलाव किए गए हैं, जो गति को तेज करने और गति को कम करने में मदद करती हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेन की गति को बेहतर तरीके से बढ़ाना और घटाना उन पुलों, मोड़ों और अन्य स्थानों पर समय बचाने में मदद करेगा, जहां ट्रेनों की गति कम होती है. उन्होंने कहा कि अगर अमृत भारत ट्रेन दिल्ली से कोलकाता के बीच चलती है तो दूरी तय करने में पारंपरिक ट्रेन की तुलना में लगभग दो घंटे कम समय लगेगा. 

हर महीने बनेंगी 20-30 अमृत भारत 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद रेलवे चार से पांच महीने तक ट्रेन का सामान्य परिचालन करेगा और देखेगा कि कहीं कोई तकनीकी दिक्कत तो नहीं है. वैष्णव ने कहा कि इसके बाद हर महीने इस मॉडल की 20 से 30 ट्रेन तैयार की जाएंगी. हमने वंदे भारत के साथ भी यही किया. हमने एक साल तक ट्रेन चलाई और फिर उत्पादकता बढ़ाते हुए इसमें सुधार किया. उन्होंने कहा कि बाद में चलाई जाने वाली ट्रेनों में सामान्य श्रेणी से लेकर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी तक की व्यवस्था होगी.