Year Ender 2019: वर्ष 2019 हेल्थ इंश्योरेंस (Health insurance) इंडस्ट्री के लिए बेहद खास रहा, क्योंकि इस साल कुछ नई पॉलिसी की शुरुआत के साथ ही कई नए ट्रेंड्स और बदलाव देखने को मिले. मसलन इरडा (IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में स्टैंडर्डाइजेशन ऑफ एक्सक्लूशंस जरूरी कर दिया. किसी भी उद्योग के विकास और उसके भविष्य को तय करने में रेगुलेशंस (Regulations) की अहम भूमिका होती है. इस साल भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने विभिन्न हेल्थ इंश्योरेंस रेगुलेशंस शुरू किए हैं, जो इस क्षेत्र में कई बदलाव लेकर आए.

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इस साल फरवरी में इरडा ने सभी गैर-जीवन बीमा कंपनियों (जनरल और हेल्थ) के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की थी. स्टैंडर्ड हेल्थ प्रोडक्ट अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के दोनों तरह के खर्चों को कवर करेगा. साथ ही उपभोक्ताओं के पास अब आयुष योजना के तहत उपचार लेने का भी विकल्प होगा. स्टैंडर्ड पॉलिसी में बीमित न्यूनतम राशि (Sum Insured Minimum) सीमा 50 हजार रुपये और अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये होगी.

अक्टूबर 2019 में इरडा ने स्टैंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस (Standard Health Insurance) पॉलिसी में स्टैंडर्डाइजेशन ऑफ एक्सक्लूशंस के लिए दिशानिर्देश जारी किए. इसमें एक्सक्लूशंस की एक लिस्ट तैयार की जाएगी और सिर्फ सूचीबद्ध बीमारियों को ही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बाहर रखा जाएगा. इसका मतलब यह है कि अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सभी संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के लिए आपको कवर करने वाला एक ऑल-इंक्लूसिव प्रोडक्ट होगा. आयु से संबंधित बीमारियां जैसे घुटने की रिप्लेसमेंट, मानसिक बीमारी, मोतियाबिंद सर्जरी, अल्जाइमर और पार्किंसंस आदि जिन्हें पहले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बाहर रखा गया था, अब बीमा कंपनी द्वारा कवर किया जाएगा.

पालिसीबाजार डॉट कॉम के हेल्थ इंश्योरेंश के प्रमुख अमित छाबड़ा ने कहा कि दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी बीमारी या रोग जिसको 48 महीने पहले तक डॉक्टर ने डाइग्नोस किया है उसका हेल्थ कवर जारी करने से पहले पीईडी (PED) के तहत वर्गीकृत किया जाएगा. इसके अलावा पॉलिसी जारी होने से 48 महीने पहले तक कोई भी बीमारी या रोग जिसके लिए किसी डॉक्टर द्वारा किसी भी प्रकार की इलाज की सलाह दी गई थी, वह भी पीईडी के तहत रखा जाएगा. साथ ही पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर यदि कोई गंभीर बीमारी हो गई है उसे भी प्री-इग्जिस्टिंग डिजीज यानी पहले से मौजूद बीमारियों के तहत वर्गीकृत किया जाएगा.

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मेंटर हेल्थ केयर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इरडा ने मानसिक बीमारियों और इससे संबंधित कई समस्याओं को बीमा कवरेज में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, एक्सपोजर ड्राफ्ट के तहत यह स्पष्ट कर दिया गया है कि बीमाकर्ता उन पॉलिसीधारकों को कवरेज से इनकार नहीं कर सकते, जिन्होंने अतीत में ओपियोइड या एंटी-डिप्रेसेंट का उपयोग किया है. साथ ही बीमा कंपनी क्लिनिकल डिप्रेशन, पर्सनैलिटी या न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर्स, सोशियोपैथी और साइकोपैथी के पीड़ित लोगों को कवरेज से इनकार नहीं कर सकतीं.

छाबड़ा ने कहा कि इरडा ने नए सर्कुलर में पॉलिसीधारकों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के समय या रिन्यू के समय थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर चुनने की अनुमति दी है. ऐसा इस उद्देश्य से किया गया है कि पॉलिसीधारक को सबसे अच्छी सेवा मिल सके और संपूर्ण हेल्थ इंश्योरेंस इकोसिस्टम सतर्क रहे. बीमा कंपनियों से कहा गया है कि वे पॉलिसीधारक को टीपीए की सूची उपलब्ध कराएं. जिससे पॉलिसी लेते या उसके नवीनीकरण के समय वे अपनी पसंद का टीपीए चुन सकें.