Insurance Planning Mistakes: लाइफ इंश्‍योरेंस (Life insurance) अपने और अपने परिवार के सदस्‍यों को कठिन समय में फाइनेंशियल प्रोटेक्‍शन देने के मकसद से लिया जाता है. इसलिए जरूरी है कि जब भी लाइफ इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट खरीदें, उसमें पूरी सावधानी बरतें. आमतौर पर जाने-अनजाने लाइफ इंश्‍योरेंस लेने में कई गलतियां हो जाती हैं. आदित्‍य बिड़ला लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी लिमिटेड के चीफ एक्‍चुरियल ऑफिसर अनिल कुमार सिंह ने इंश्‍योरेंस प्‍लानिंग के दौरान आमतौर पर होने वाली ऐसी 7 गलतियों के बारे में बताया है, जिनसे हमें बचना चाहिए. 

इंश्‍योरेंस खरीदने में देरी करना

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इंश्‍योरेंस प्‍लानिंग में आमतौर पर सबसे बड़ी गलती फाइनेंशियल प्‍लान में लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी को शामिल नहीं करना होती है. लाइफ में कई तरह के जोखिम और अनिश्चितताएं हैं. ऐसे में सही समय पर सेफगार्ड बनाना बेहद जरूरी है. इसके अलावा, उम्र बढ़ने और हेल्‍थ कंडीशन में बदलाव के साथ लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी के रेट भी बढ़ जाते हैं. इसलिए जितनी जल्‍दी मुमकिन हो, लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी ले लेनी चाहिए.

ग्रुप लाइफ इंश्‍योरेंस पर ही निर्भर रहना 

बेसिक ग्रुप लाइफ इंश्‍योरेंस में कई ऐसे बेनेफिट्स हैं, जो कंपनी में काम करने के दौरान ही मिलते हैं. इनमें अमूमन सम-एश्‍योर्ड भी पर्याप्‍त नहीं होता है. साथ ही कंपनी छोड़ने पर ही कवरेज समाप्‍त हो जाता है. इसलिए यह सलाह है कि ग्रुप लाइफ इंश्‍योरेंस के अलावा पर्सनल लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी जरूर रखें.

लाइफ इंश्‍योरेंस को टर्म इंश्‍योरेंस न समझें 

अमूमन लोगों के बीच एक आम मिथक यह है कि लाइफ इंश्‍योरेंस किसी व्‍यक्ति के नहीं होने पर उसके परिवार को फाइनेंशियली प्रोटेक्‍शन देता है. जबकि, लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी परिवार के अर्निंग मेम्‍बर की मृत्‍यु या डिसएबलिटी पर न केवल इनकम रिप्‍लेसमेंट का ऑप्‍शन है, बल्कि यह लॉन्‍ग टर्म सरवाइवल का पावरफुल टूल भी है. इस तरह के फाइनेंशियल इन्‍स्‍ट्रूमेंट्स में लंबी अवधि में रेगुलर निवेश होता है और अलग-अलग जरूरतों के मुताबिक एक फंड भी तैयार होता है.

आज के समय में अधिकांश लाइफ इंश्‍योरेंस पॅलिसी में निवेश पर फुल या पार्शियल रिटर्न की गांरटी मिलती है. कुछ लाइफ इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट्स को अलग-अलग गंभीर बीमारी के रिस्‍क से प्रोटेक्‍ट करने के मकसद से भी डिजाइन किया गया है. 

 

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पॉलिसी लेने से पहले जरूरी तुलना न करना

टेक्‍नोलॉजी के इस दौर में आसानी से इंश्‍योरेंस पॉलिसीज की तुलना की जा सकती है. कोई भी व्‍यक्ति ऑनलाइन तुलना कर अपने लिए सही इंश्‍योरेंस पॉलिसी चुन सकता है. इसमें पॉलिसी के फायदे, क्‍लेम सेटलमेंट रेश्‍यो, कंपनी की साख और कीमत की तुलना शामिल है. 

कम लाइफ इंश्‍योरेंस लेना

लाइफ इंश्‍योरेंस का मुख्‍य मकसद नुकसान या आमदनी बंद हो जाने पर फाइनेंशियल सपोर्ट लेना है. अगर जरूरत पर मिलने वाली रकम काफी कम है, तो इससे परिवार के लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी. इसलिए जब भी आप लाइफ इंश्‍योरेंस कवरेज ले, उसमें मौजूदा देनदारी और खर्चों के अलावा भविष्‍य की जरूरतों को भी ध्‍यान में रखे. सम-एश्‍योर्ड वैल्‍यू इतनी होनी चाहिए कि वह इन सभी लक्ष्‍यों को पूरा करने में सक्षम हो. इसमें यह सलाह रहती है कि लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी में किसी भी व्‍यक्ति को अपनी कुल आमदनी का कम से कम 10 गुना सम-एश्‍योर्ड लेना चाहिए.  

नॉन-वर्किंग पति/पत्‍नी का कवरेज न लेना 

लाइफ इंश्‍योरेंस चुनने से पहले अपने और अपने परिवार के सदस्यों की लाइफ से जुड़ी सभी अनिश्चितताओं का वैल्‍युएशन करना जरूरी है. आपके जीवनसाथी की अचानक मृत्‍यु पर, भले ही वो नॉन-वर्किंग हो, आपके परिवार और आपकी कमाई करने की क्षमता को प्रभावित हो सकती है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि चाइल्डकेयर जैसी जिम्मेदारियों के लिए समय निकालने की जरूरत पड़ती है. इसलिए जीवनसाथी के लिए एक बेहतर तरीके से प्‍लान की गई इश्‍ंयोरेंस पॉलिसी जरूरी है. यह एक स्‍टैंडअलोन पॉलिसी या आपकी पॉलिसी के साथ ज्‍वाइंट कवर के रूप भी हो सकता है. 

अपनी पॉलिसी को न जानना 

लाइफ इंश्‍योरेंस पॉलिसी में एक कॉमन गलती यह होती है कि लोग बिना पॉलिसी को पूरी तरह समझे ही उसे खरीद लेते हैं. पॉलिसी से जुड़े सभी पहलू जैसेकि राइडर्स, यूनिक बेनेफिट्स की भी जानकारी कर लेनी चाहिए. 

 

(Disclaimer: The views/suggestions/advices expressed here in this article is solely by investment experts. Zee Business suggests its readers to consult with their investment advisers before making any financial decision.)