आप अगर घर खरीदने की सोच रहे हैं तो अब रेटिंग के आधार पर बिल्डर का चुनाव कर सकेंगे. इससे तय समयसीमा में घर मिलने की संभावना बढ़ जाएगी और धोखा खाने से भी बच पाएंगे. दरअसल, घर खरीदने वालों की सुविधा को देखते हुए उत्तर प्रदेश रीयल एस्टेट रेगुलेटर ने बिल्डर और हाउसिंग प्रोजेक्ट की रेटिंग करने का फैसला किया है. बिल्डर को यह रेटिंग 0 से 5 के पैमाने पर जारी की जाएगी. आज लाखों लोग देशभर में बिल्डर और डेवलपर को पैसे देने के बाद भी घर का कब्जा पाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वजह आप भी जानते हैं बिल्डर की तरफ से मिलने वाला धोखा. 

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पहली रेटिंग सितंबर 2019 में

बताया जा रहा है कि छोटे-बड़े बिल्डर की रेटिंग का काम नए साल की शुरुआत यानी जनवरी में हो सकती है. इस पहल से तमाम बिल्डर्स की हकीकत सामने आएगी. कौन बिल्डर सही है कौन नहीं, इसका आकलन हो सकेगा. उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटर की तरफ से पहली रेटिंग सितंबर 2019 में जारी होने की उम्मीद है. यह रेटिंग लोगों की राय या टिप्पणी और रेरा कानून के आधार पर प्रदान की जाएगी. बताया जाता है कि रेटिंग के लिए थर्ड पार्टी की नियुक्ति की जाएगी. 

यहां के ग्राहकों को होगा विशेष फायदा

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटर की तरफ से किए जा रहे इस पहल से पूरे उत्तर प्रदेश में प्रोपर्टी या घर खरीदने वालों को सहूलियत होगी. मनी कंट्रोल की खबर के मुताबिक, खासकर राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में घर खरीदने की तैयारी करने वालों को इसका फायदा मिलेगा. उल्लेखनीय है इन क्षेत्रों में घर या प्रोपर्टी की मांग अधिक है. यहां बिल्डर की तरफ से मिले धोखा की वजह से हजारों ग्राहकों को घर नहीं मिल सका है. इस रेटिंग में बिल्डर और प्रोजेक्ट दोनों को शामिल किया जाएगा.

डीएलएफ ने बनाई अलग नीति

लोगों को मकान पर कब्जा मिलने में होने वाली देरी और अन्य झंझटों से बचने के लिए रीयल एस्‍टेट फर्म डीएलएफ ने अगस्त में तय किया कि अब से वह केवल उन्हीं फ्लैटों की बिक्री करेगी जो पूरी तरह बनकर तैयार होंगे और जिनके लिये कब्जा प्रमाण पत्र भी मिल चुका होगा. कंपनी ने अपने नए कारोबारी मॉडल में इसी नीति को अपनाया है. रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा बदलाव हो सकता है.