आज के समय में बढ़ते मेडिकल खर्चों को देखते हुए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस जरूरी है. एक कॉम्प्रिहेंसिव हेल्‍थ इंश्‍योरेंस आपको अचानक मेडिकल/हॉस्पिटाइलेजशन के खर्चों को कवर करता है. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस लेते समय कुछ बातों को ध्‍यान में रखना चाहिए. ऐसा इसलिए क्‍योंकि एक छोटी-सी चूक से जरूरत पड़ने पर आपका क्‍लेम रिजेक्‍ट हो सकता है. इसलिए अगर आप भी हेल्थ इंश्योरेंस लेने का प्लान कर रहे हैं तो आपको कई जरूरी बातों को ध्यान में रखना होगा ताकि भविष्य में दिक्कत न हों. आइए जानते हैं ऐसे 5 कारण ज‍िनके बारे में जानकर आपको क्‍लेम के समय क‍िसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी.

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1. वेट‍िंग पीर‍ियड (Waiting period)

पॉलिसी खरीदने के बाद बीमा कवर का फायदा उठाने के लिए एक न‍िश्‍च‍ित अवधि तक इंतजार करना होगा. इसे वेटिंग पीरियड कहते हैं. वेटिंग पीरियड के दौरान ग्राहक किसी तरह का क्लेम नहीं कर सकता है. अगर आपने किसी मेडिकल इमरजेंसी में समय सीमा से पहले क्लेम किया तो आपका दावा खारिज कर दिया जाएगा.

2. पहले से मौजूद बीमार‍ियां (Pre-existing diseases)

कई हेल्‍थ इंश्‍योरेंस देने वाली कंपन‍ियां पॉलिसी बेचते समय पहले से मौजूद किसी भी बीमारी को कवर नहीं करतीं. यदि आप इन बीमारियों के कारण बीमार पड़ जाते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है तो आपकी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कंपनी आपके इलाज का खर्च वहन नहीं कर पाएगी. ऐसे में यद‍ि आप क्‍लेम करते हैं तो यही संभावना ज्‍यादा है क‍ि यह खारिज हो जाए. अधिकतर मामलों में क्लेम रिजेक्ट होने की वजह पहले से मौजूद बीमारी के बारे में न बताना है. 

3. क्लेम प्रोसेस

गलत तरीके से भरे गए आवेदन पत्र, दस्तावेज की कमी के कारण आपका क्‍लेम र‍िजेक्‍ट हो सकता है. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रोसेस को समझने के लिए आप पहले बीमा कंपनी से संपर्क कर लें औऱ सभी नियम शर्तें ध्यान से समझ लें. इससे क्लेम रिजेक्ट होने की संभावना कम हो जाती है.

4. पॉलिसी पीरियड

एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी आमतौर पर एक वर्ष की अवधि के लिए वैध होती है. एक वर्ष के अंत में, पॉलिसी समाप्त हो जाएगी. एक पॉलिसीधारक के रूप में, समाप्त हो चुकी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी किसी काम की नहीं है. ऐसे में आपको पॉलिसी रिन्यू कराने की जरूरत है. अगर आर समय पर पॉलिसी रिन्यूवल नहीं कराते तो मेडिकल इंमरजेंसी होने पर आपका क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा. 

5. इन बीमारियों को नहीं मिलता कवर

ज्यादातर कंपनियां कुछ हेल्थ प्रॉब्लम को अपने इंश्योरेंस कवर में शामिल नहीं करती है. उनमें डेंटल प्रॉब्लम, कॉस्मेटिक सर्जरी, नजर का ऑपरेशन, इनफर्टिलिटी और Abortion और HIV/AIDS शामिल हैं.