अपने घर का सपना सभी देखते हैं. इसके लिए बैंक और एनबीएफसी लोन भी आसानी से देते हैं. लेकिन आप जितनी राशि का मकान खरीद रहे हैं, बैंक उस पूरी राशि के बराबर लोन नहीं देते हैं. आमतौर पर मकान की कीमत का 70% से 90% तक बैंक लोन देते हैं. बाकी राशि का इंतजाम खरीदार खुद करते हैं. इसे ही हाउनपेमेंट कहा जाता है. इसका इंतजाम व्यक्तिगत स्रोत से करना पड़ता है.

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घर लेने के लिए डाउन पेमेंट का इंतजाम करने में कई लोगों को दिक्कत पेश आती है. लेकिन अगर आप महंगी प्रापर्टी लेने जा रहे हैं, तो डाउन पेमेंट भी ज्यादा हो जाता है. इसके लिए शर्ट टर्म का निवेश काम आता है. इसके अलावा इक्विटी जैसे इनवेस्टमेंट भी काम आते हैं, क्योंकि इनसे कभी भी पैसा निकाला जा सकता है. अच्छा होगा कि आप पहले ही अपने खर्च पर अंकुश लगाकर कुछ धनराशि बचाकर रखें. गैर जरूरी खर्च पर लगाम लगाकर रखिए और नियमित रूप से बचत कीजिए.

आप अपनी जीवन बीमा पॉलिसी या प्राविडेंट फंड पर लोन भी ले सकते हैं. इस पर बहुत आसानी से लोन मिल जाता है और ब्याज भी बहुत कम देना पड़ता है. सबसे अच्छी बात ये है कि इस चुकाने की कोई समय सीमा नहीं होती है, आप अपनी सुविधा के हिसाब से इसे चुका सकते हैं. इससे डाउन पेमेंट का बोझ कुछ कम हो जाएगा.

गोल्ड लोन के जरिए भी डाउन पेमेंट के कुछ हिस्से का इंतजाम किया जा सकता है. दोस्तों और परिवारवालों की मदद भी आप ले सकते हैं. एक विकल्प पर्सनल लोन लेने का भी है, लेकिन ये बहुत महंगा है. पर्सनल लोन की ब्याज दर बहुत अधिक होती है.

अधिक से अधिक डाउन पेमेंट करने के कई फायदे हैं. इससे आप बैंक के साथ ब्याज दरों को लेकर मोलतोल कर सकते हैं. डाउन पेमेंट जितना अधिक होगा, लोन की राशि उतनी कम होगी. ऐसे में आपको कम राशि पर ब्याज देना पड़ेगा.