नौकरीपेशा लोगों के लिए किसी भी साल के शुरुआती तीन महीने खास तौर से फरवरी और मार्च काफी महत्‍वपूर्ण होते हैं. यही वह वक्‍त होता है जब आम तौर पर उनकी आंखें टैक्‍स सेविंग को लेकर खुलती है. हालांकि, इस आदत की वजह से जल्‍दबाजी में गलत निर्णय भी टैक्‍स प्‍लानिंग करने के दौरान ले लिया जाता है. इक्विटी लिंक्‍ड सेविंग्‍स स्‍कीम यानी ELSS आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्‍स सेविंग का बेहतरीन विकल्‍प है.

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लॉक-इन अवधि भी है सिर्फ 3 साल

रिटर्न के मामले में भी अगर आप किसी और विकल्‍प जैसे बैंक एफडी, एनएससी, यूलिप, एंडोमेंट प्‍लान आदि से इसकी तुलना करेंगे तो आप पाएंगे कि ELSS के आगे ये कहीं नहीं ठहरते हैं. दूसरी और सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि ELSS की तुलना में सारे विकल्‍पों की लॉक-इन अवधि प्राय: पांच साल है. आपको बता दें कि आप 3 साल बाद ELSS से अपने पैसे निकाल सकते हैं.

आज हम आपको बताएंगे कि ELSS की श्रेणी में वे कौन-कौन से टैक्‍स सेविंग फंड हैं जिन्‍होंने 3 साल में बेहतरीन रिटर्न दिया है.

SIP के जरिए निवेश करने में है फायदा

सिस्‍टेमेटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान यानी SIP के जरिए आप एक नियमित अंतराल पर अनुशासित तरीके से निवेश करते हैं. इससे शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का जोखिम आपके निवेश पर कम हो जाता है. जब बाजार में तेजी होती है तो निवेश की राशि के बदले आपको कम यूनिट आवंटित किए जाते हैं और बाजार में मंदी के दौरान आपको म्‍युचुअल फंड के ज्‍यादा यूनिट मिलते हैं. दूसरे शब्‍दों में कहें तो म्‍युचुअल फंड के यूनिट्स का खरीद मूल्‍य औसत हो जाता है. इसे रूपी कॉस्‍ट एवरेजिंग कहते हैं.