आप नौकरी करते हैं या फिर डेली वेजेस (Daily wages) पर काम करने वाले हैं. हर नौकरीपेशा के लिए सरकार ने कुछ नियम और कानून बनाए हैं. ये नियम और कानून हमें नौकरी में न्यूनतम वेतन (Minimum Salary) का हक देते हैं और कई अधिकार भी देते हैं. टैक्‍स एक्‍सपर्ट मनीष गुप्‍ता के मताबिक इन कानूनों में मोदी सरकार भी एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. जी बिजनेस की खास पेशकश में मनी गुरु में आज हम समझेंगे न्यूनतम वेतन का गणित और सरकार क्या सुधार करने की तैयारी कर रही है. 

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न्यूनतम वेतन अधिनियम क्या है?

एक्ट का नाम- न्यूनतम वेतन अधिनियम,1948 है

एक्ट में रोजगार के लिए न्यूनतम वेतन का प्रावधान

काम करने वालों का शोषण रोकने के लिए व्यवस्था

संगठित और गैर-संगठित सेक्टर कानून की दायरे में

न्यूनतम वेतन में समय-समय पर बदलाव की व्यवस्था

स्टेट एक्ट है, हर राज्य न्यूनतम वेतन करता है तय

कैसे तय होता है न्यूनतम वेतन?

श्रमिकों के लिए अलग-अलग न्यूनतम दरें की जाती हैं तय

रोजगार अनुसूचि और वर्गों के आधार पर होता है वेतन तय

वयस्क, किशोर, बच्चों और प्रशिक्षुओं के लिए एक्ट में व्यवस्था

एक हफ्ते में कितने दिन काम?

एक्ट में हफ्ते में काम करने के घंटे भी किए गए हैं तय

एक हफ्ते में 48 घंटों से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकता

48 घंटों के साथ ही हफ्ते में 1 दिन की छुट्टी भई अनिवार्य

छुट्टी के दिन काम करने पर कंपन्सेटरी ऑफ देना जरूरी

कंपन्सेटरी ऑफ नहीं तो ओवरटाइम मिलना चाहिए  

ओवरटाइम के लिए वेतन दोगुनी देना होगा

एक दिन में 9 घंटे से ज्यादा के लिए काम नहीं ले सकते

दिन में 9 घंटे की नौकरी में 1 घंटा आराम देना भी जरूरी

परफॉर्मेंस के चलते कटौती

न्यूनतम वेतन दर से कम दर पर काम नहीं लिया जा सकता

न्यूनतम वेतन में से वैधानिक कटौती के अलावा कोई कटौती नहीं

परफॉरमेंस की वजह से कोई कटौती करना है गैरकानूनी

इम्प्लॉयर की जिम्मेदारी

इम्प्लॉयर काम मुहैया न करा सके तो भी वेतन देना होगा

कर्मचारी खुद अगर काम न करना चाहे तो वेतन नहीं देना होगा

इम्प्लॉयर को कर्मचारियों का रिकॉर्ड रखना जरूरी है    

रजिस्टर में कर्मचारियों से लिया गया काम, भुगतान की जानकारी

सरकार का नया श्रम सुधार!

सरकार ने लाया है 'कोड ऑन वेजेस' बिल लाया है

सभी क्षेत्रों के मजदूरों का वेतन तय करना है मकसद

अधिसूचना जारी होने के साथ विधेयक हो चुका है लागू

'कोड ऑन वेजेस' बिल पहली बार 2017 में लोकसभा में पेश हुआ

मजदूरी विधेयक संहिता

मजदूरी विधेयक संहिता लेता है पुराने 4 कानूनों की जगह

सरकार रेलवे सहित कुछ नियोजनों के लिए तय करेगी न्यूनतम मजदूरी

राज्य सरकारें अन्य सभी रोजगार के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करेंगी

केंद्र सरकार पूरे देश में समान न्यूनतम वेतन निर्धारित करेगी

राज्य तय न्यूनतम वेतन से कम निर्धारित नहीं कर पाएंगे

हर पांच साल में सरकार न्यूनतम वेतन कर सकती है संशोधित

विधेयक में विवादों के समाधान के लिए अपीलीय प्राधिकार का भी प्रावधान

केंद्रीय सलाहकार बोर्ड और राज्य सलाहकार बोर्ड का होगा गठन

कानून, जिनकी जगह लेगा नया विधेयक  

मजदूरी का भुगतान अधिनियम, 1936,

न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948,

बोनस भुगतान अधिनियम 1965,

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

कवरेज

विधेयक के दायरे में संगठित और गैर-संगठित दोनों क्षेत्र

निजी और सरकारी संस्थान के कर्मचारी भी होंगे शामिल

रेलवे, खदान, ऑइल जैसे क्षेत्र भी होंगे शामिल

रेलवे, खदान जैसे क्षेत्र के लिए वेतन से जुड़े फैसले केंद्र के हाथ में  

अन्य कर्मचारियों के मामलों में फैसले लेंगी राज्य सरकारें

मजदूरी में वेतन, भत्ता, मुद्रा के रूप में बताए गए सभी घटक शामिल

कर्मचारी को मिलने वाला बोनस या यात्रा भत्ता नहीं होगा शामिल

न्यूनतम मजदूरी सीमा

नौकरी पेशा के जीवन स्तर में सुधार के लिए कदम उठाएगी सरकार

सरकार देशभर में एक समान न्यूनतम मजदूरी करेगी तय

न्यूनतम वेतन तय करने के लिए बनेगी त्रिपक्षीय कमिटी

ट्रेड यूनियन, इम्प्लॉयर और राज्य सरकार के प्रतिनिधि होंगे शामिल

ओवरटाइम

केंद्र या राज्य सरकार काम के घंटे कर सकती है तय

आम दिन पर तय घंटों से ज्यादा काम पर ओवरटाइम

अतिरिक्त काम के लिए भी ओवरटाइम दोगुना हो

रोजाना की तय मजदूरी का दोगुना हो ओवरटाइम  

कब आएगी सैलरी?

विधेयक में किया गया है सैलरी के भुगतान का भी इंतजाम

कर्मचारियों को सिक्कों, करेंसी नोट और चेक से कर सकते हैं ट्रांसफर

ऑनलाइन ट्रांसफर के जरिये भी कर सकते हैं सैलरी का भुगतान  

भुगतान का वक्त इम्प्लॉयर की तरफ से तय होगा

मासिक वेतन वालों को हर महीने 7 तारीख तक देना होगा वेतन

साप्ताहिक आधार पर काम करने वालों को आखिरी दिन भुगतान जरूरी