ये बिल्कुल ताज़ा है. एकदम नया हथकंडा. दिल्ली-एनसीआर इलाके में खूब आजमाया जा रहा है. अभी तो बारिश से मौसम थोड़ा खुशनुमा है. लेकिन ये वाले मैसेज तब आ रहे थे जब सूरज जैसे आग उगल रहा था. गर्मी से लोग बेहाल थे. हर तरफ यही बात हो रही थी कि मानसून हमारी तरफ मेहरबान कब हो रहा है. उस मैसेज में खुली धमकी थी- ‘आज रात 9.30 बजे आपका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा क्योंकि आपका बिल बकाया है. सेटलमेंट चाहते हैं तो दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल कीजिए.’ मुझे भी यही मैसेज आया था. ये मैसेज किसी को भी एक पल के लिए परेशान कर सकता था. लेकिन, ऐसे में ही होता है आपकी समझदारी और विवेक का टेस्ट.

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बंगाल और उड़ीसा में बैठकर खेला कर रहे जालसाज

मैसेज देखकर पहला खयाल आया- ‘यार, लेकिन मैंने तो बिल वक्त पर जमा कर दिया था.’ कन्फर्म करने के लिए मैंने अपने UPI ऐप पर जाकर ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड देखा. जून 2022 का अमाउंट कुछ दिन पहले ही जमा किया जा चुका था. फिर मैंने चेक किया कि मैसेज आया किस नंबर से है. एंड्रॉयड फोन से हो नंबर डायल किया. फोन उठा तो नहीं लेकिन कॉल कटते ही ट्रूकॉलर ने बता दिया कि इस नंबर को कई लोग SPAM रिपोर्ट कर चुके हैं. अब मैंने वो नंबर मिलाया जिस पर कॉल करने को कहा गया था. यहां भी ट्रूकॉलर पहले ही आगाह कर रहा था कि ये कोई इलेक्ट्रिक बिल पेमेंट फ्रॉड (Electricity bill payment fraud) है. मैंने सोचा बात करके देखते हैं. शुरू में नंबर बिज़ी था. खास बात ये है कि एंगेज होने की सूचना उड़िया भाषा में मिल रही थी. अचानक कॉल उठी तो मैंने अनजान बनते हुए कहा- ‘भाई साहब, मुझे मैसेज आया है कि मेरा बिजली का बिल जमा नहीं हुआ है और मेरा कनेक्शन कटने वाला है. आप तो बिजली विभाग से हैं ना, ज़रा चेक करके बताइए.’ उसने कहा- ‘हां. मैं बिजली विभाग से हूं, आप बिल कैसे जमा करते हैं?’ उसकी हिंदी का लहजा भी उड़िया था. मुझसे रहा नहीं गया. मैंने कहा- ‘मैं ऑनलाइन जमा करता हूं लेकिन एक बात बताइए- मैं तो दिल्ली के पास रहता हूं, आप उड़ीसा से बोल रहे हैं, मेरा केस आपके पास कैसे चला गया?’ उसको समझ में आ गया कि यहां उसका लूप-लपेटा नहीं चलेगा. फोन कट गया.  

54,000 रुपए साइबर ठग ने लूटे नहीं, खुद गुप्ता जी ने गंवा दिए!

ये तो हुआ मेरे साथ. लेकिन, गाजियाबाद के संजय गुप्ता ऐसे ही मैसेज के चक्कर में 54,000 रुपए गंवा बैठे. थाना कविनगर में जो मामला दर्ज हुआ उसके मुताबिक गुप्ता जी अपने परिवार के साथ घूमने निकले थे. 13 जून को उन्हें मैसेज मिला कि उनका बिजली का बिल जमा नहीं हुआ है, जिसके चलते उनका कनेक्शन कटने वाला है. कार्रवाई से बचना है तो दिए गए नंबर पर कॉल करना होगा. जिस नंबर से मैसेज आया था वो भी प्राइवेट था, जिस नंबर पर कॉल करने को कहा गया था वो भी प्राइवेट था. लेकिन, गुप्ता जी के दिमाग की घंटी नहीं बजी. उन्होंने दिए गए नंबर पर कॉल कर दिया. उन्होंने कहा- ‘मैंने तो बिल जमा कर दिया है, और अमाउंट भी इतना ज्यादा नहीं है जितना आपने मैसेज में बताया है’. खुद को बिजली विभाग का बाबू बताने वाले जालसाज ने कहा- ‘आप फिक्र न करें, आपकी पेमेंट अपडेट नहीं हुई है. मैं अभी कर देता हूं. बस आप एक छोटा सा काम कीजिए. मैं आपको एक लिंक भेजता हूं. वो ऐप डाउनलोड कीजिए और उसके बाद सिर्फ 10 रुपए का ट्रांजैक्शन कीजिए.’ 

रिमोट ऐक्सेस देने वाले ऐप्स को अच्छी तरह जान लीजिए

जो ऐप उसने भेजा उसका नाम है AnyDesk. गुप्ता जी ने ऐप को डाउनलोड किया और उस पर जो पिन नंबर आया था वो जालसाज को बता दिया. उन्हें पता नहीं था कि ऐसा करके वो अपने मोबाइल स्क्रीन का ऐक्सेस दे रहे हैं. यानी अब उनके मोबाइल स्क्रीन पर जो भी होगा उसे वो फ्रॉड अपनी स्क्रीन पर देख सकता है. AnyDesk और TeamViewer जैसे कई ऐप्स हैं जिनका इस्तेमाल कंप्यूटर इंजीनियर्स करते हैं. इनकी मदद से वो आपके लैपटॉप या डेस्कटॉप का रिमोट ऐक्सेस लेते हैं कहीं से भी बैठकर आपका कंप्यूटर ठीक कर सकते हैं. लेकिन, हर अच्छी सुविधा का इस्तेमाल कहीं न कहीं बुरे मकसद के लिए भी होता है, इन ऐप्स के साथ भी वही कहानी है. जालसाज धोखे से ये ऐप डाउनलोड कराते हैं और आपके खाते पर हाथ साफ कर देते हैं. उसने गुप्ता जी से सिर्फ 10 रुपए का ट्रांजैक्शन करने को कहा था, लेकिन इस ट्रांजैक्शन के दौरान गुप्ता जी की यूजर आईडी, पासवर्ड से लेकर OTP तक वो अपने स्क्रीन पर देख सकता था, नोट कर सकता था. इन्हीं डीटेल्स की मदद से उसने गुप्ता जी के खाते से 54,000 हजार रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लिए.

अंत में कॉमन सेंस ही काम आता है

ऐसी धोखेबाजी से बचना कोई मुश्किल नहीं है. बस थोड़ा चौकन्ना रहने की जरूरत है. बढ़ते ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के इस दौर में साइबर ठगों की बाढ़ आ चुकी है. इसलिए वर्चुअल दुनिया में आपको फूंक-फूंक कर कदम रखना है. बिजली कनेक्शन काटने की धमकी वाला, KYC अपडेट कराने वाला या डेबिट या क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करने जैसा कोई मैसेज आए तो सबसे पहले तो देखें किसने भेजा है. प्राइवेट नंबर से मैसेज हो, प्राइवेट नंबर पर कॉल करने को कहा गया हो तो बिल्कुल ध्यान न दें. बल्कि उस विभाग की वेबसाइट या कस्टमर केयर नंबर से चेक करें. ऑनलाइन बिल पेमेंट करते हैं तो अपनी UPI आईडी पर चेक करें कि मैसेज में लिखी गई बात सही भी है या नहीं. कोई अनजान शख्स आपको लिंक भेजकर कोई भी ऐप डाउनलोड करने को कहे, हरगिज न करें. और सबसे जरूरी बात- कोई भी सरकारी विभाग आपको फोन पर लटका कर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने को नहीं कहेगा, चाहे वो 1 रुपए का ही क्यों न हो. ऐसा कोई कर रहा है तो समझ लीजिए कुछ तो गड़बड़ है. 

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