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Gratuity: कैसे कैलकुलेट होती है ग्रेच्युटी की रकम? नौकरी करते हैं तो जानें सब कुछ

gratuity eligibility: ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है.
Updated on: August 04, 2021, 02.13 PM IST
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क्या है ग्रेच्युटी

किसी कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड (PF) के अलावा ग्रेच्युटी भी मिलती है. दरअसल, ग्रेच्‍युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है. अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है, तो उसे एक तय फॉर्मूले के हिसाब से ग्रेच्‍युटी की रकम मिलेगी. 

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कब होंगे ग्रेच्‍युटी के हकदार 

ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. मौजूदा नियम के मुताबिक, अगर कोई व्‍यक्ति किसी कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है. यानी, अगर, 5 साल बाद कंपनी छोड़ते हैं तो आपको ग्रेच्‍युटी मिलेगी. 

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क्‍या कहता है पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972

पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के मुताबिक, इसका फायदा उस कंपनी के हर इम्‍प्‍लॉई को मिलता है जहां साल में रोजाना कम से कम 10 से ज्‍यादा एंप्‍लॉई काम करते हैं. अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है. वहीं, अगर कोई कंपनी या संस्था ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आती है, लेकिन वह चाहे तो ग्रेच्युटी का फायदा अपने इम्‍प्‍लॉई को दे सकती है. 

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कैसे कैलकुलेट होती है रकम

ग्रेच्‍युटी कैलकुलेट करने का एक एक तय फॉर्मूला है. कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया). अब मान लीजिए कि किसी इम्‍प्‍लॉई ने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया. उस इम्‍प्‍लॉई की अंतिम सैलरी 75000 रुपये (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है, तो उसको करीब 8.65 लाख रुपये बतौर ग्रेच्‍युटी ((75000) x (15/26) x (20)= 865385 रुपये) मिलेगी. ग्रेच्‍युटी कैलकुलेशन के फॉर्मूले में हर महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्यु​टी का कैलकुलेशन होता है. 

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ग्रेच्‍युटी: यह भी जान लें 

ग्रेच्‍युटी के फार्मूला के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी छह महीने से ज्यादा काम करता है तो उसकी कैलकुलेशन एक साल के तौर पर की जाएगी. जैसेकि, अगर कोई कर्मचारी 7 साल 8 महीने काम करता है, तो उसे 8 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्‍युटी की रकम बनेगी. वहीं, अगर 7 साल 3 महीने काम करता है तो उसे 7 साल ही माना जाएगा.