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Personal Loan लेते समय इन 6 बातों को किया अनदेखा, तो समझिए गले पड़ जाएगी मुश्किल

Personal Loan Tips: अगर आप पर्सनल लोन लेने का सोच रहे हैं तो इसके पहले आपको कुछ पॉइंट्स पर रिसर्च जरूर करनी चाहिए, इससे आप ज्यादा बेहतर Borrower बन पाएंगे और लोन को लोन की तरह ही ट्रीट कर पाएंगे, न कि बोझ की तरह.
Updated on: April 18, 2024, 04.27 PM IST
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1. लोन मिलेगा या नहीं

आपको पर्सनल लोन मिलेगा या नहीं, ये कई बातों पर निर्भर करता है. पर्सनल लोन पर कॉलेटरल की शर्त नहीं होती है, लेकिन बैंक आपको पहले परखते हैं, जिसके बाद ही वो उसे लोन जारी करते हैं. इसमें आपकी उम्र, आपकी इनकम और आपका क्रेडिट स्कोर सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. आमतौर पर 15,000 से 25,000 रुपये महीना की सैलरी हो तो बैंक आपको लोन दे देते हैं. बैंक ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप लोन लेकर चुकाने की स्थिति में हैं या नहीं. और आपकी सैलरी के हिसाब से आपको कितना लोन जारी किया जा सकता है. 21 से 60 साल के बीच के लोगों को लोन जारी किया जाता है. साथ ही ये भी देखा जाता है कि आप अपनी नौकरी में कितने लंबे समय से हैं. आमतौर पर 1 साल के अनुभव को वरीयता दी जाती है

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2. सिबिल स्कोर

बैंक लोन देने से पहले आपका सिबिल स्कोर जरूर देखते हैं. CIBIL Score 3 डिजिट का एक स्कोर होता है जो 300 से 900 के रेंज में आता है, इससे ये देखा जाता है कि आप कर्ज लेकर कितनी आसानी से चुका देते हैं, या आपकी कर्ज लेन-देन की आदत कैसी है. सिबिल स्कोर में आपकी क्रेडिट हिस्ट्री होती है. आपके क्रेडिट रिपोर्ट में आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट रेटिंग देखी जाती है. बैंक पर्सनल लोन जारी करने के लिए 750 के ऊपर के स्कोर को वरीयता देते हैं. आप ऑनलाइन बड़ी आसानी से अपना क्रेडिट स्कोर चेक कर सकते हैं.

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3. पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट

पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करने से पहले आपको ये चेक कर लेना चाहिए कि कौन सा बैंक कितनी ब्याज दर पर लोन ऑफर कर रहा है. आपके लोन अमाउंट के हिसाब से लोन पर अलग-अलग ब्याज दरें हो सकती है. इंटरेस्ट रेट बड़ा फैक्टर है क्योंकि इसी से यह कैलकुलेट होता है कि आपको प्रिंसिपल लोन अमाउंट पर आपको कितना ब्याज चुकाना होगा.

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4. EMI पर क्या राहत है

पर्सनल लोन में दो भाग होते हैं- प्रिंसिपल अमाउंट यानी मूलधन और इस मूलधन पर इंटरेस्ट यानी ब्याज दर. आपको इन्हें किस्तों या EMI (Equated Monthly Instalments) में चुकाना होता है. आप लोन ले रहे हैं तो इसका कैलकुलेशन कर लें कि आपको हर महीने कितनी EMI भरनी होगी. कुछ बैंक या NBFCs आपको स्टैंडर्ड EMI अमाउंट के साथ-साथ फ्लेक्सिबल EMI का ऑप्शन भी देते हैं. स्टैंडर्ड ईएमआई के तहत आप हर महीने एक बंधी-बंधाई किस्त चुकाते हैं. वहीं फ्लेक्सिबल ईएमआई में आप कम किस्त से शुरू करके धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हैं. 

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5. लोन चुकाने की शर्तें क्या हैं?

पर्सनल लोन चुकाने के पहले आपको लोन अमाउंट टेन्योर पूरा होने से पहले चुकाने यानी लोन प्रीपेमेंट की शर्तें भी चेक कर लेनी चाहिए. कई बैंक या NBFCs लोन के प्रीपेमेंट पर पेनाल्टी लगाते हैं. यानी आपको लोन की अवधि पूरी होने से पहले ही लोन का पैसा चुका देने पर जुर्माना देना पड़ता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बैंक को आपको लोन देकर हर महीने ब्याज मिल रहा है, आप जल्दी लोन चुका देते हैं, तो उसके पास ये पैसा आना बंद हो जाता है. आप लोन जारी करवाने से पहले ये पता कर सकते हैं कि अगर आप वक्त से पहले लोन चुकता करना चाहें तो क्या आपको जुर्माना भरना पड़ेगा.

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6. बैंक का ट्रैक रिकॉर्ड

बैंकों का ट्रैक रिकॉर्ड भी चेक करना जरूरी है. आपको पहले लेंडर का ट्रैक रिकॉर्ड चेक कर लेना चाहिए कि वो बाजार में कितने वक्त से है, कितना मजबूत है, ग्राहकों का अनुभव कैसा रहा है. पर्सनल लोन आपकी कई जरूरतों को पूरा कर सकता है और अब ये अलग-अलग प्लान्ड और अनप्लान्ड जरूरतों के लिए अवेलेबल भी हैं, ऐसे में आपको इसके लिए अप्लाई करने से पहले ऊपर बताई गई बातों पर अच्छे से सोच-समझ लेना चाहिए.