नया नियम: अब बिकेगी सिर्फ 22, 18 और 14 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी, खरीदने के पहले चेक कर लें ये नंबर
Gold hallmarking: देश के 256 जिलों से 16 जून से हॉलमार्किंग की व्यवस्था शुरू कर दी गई है.
Updated on: June 16, 2021, 11.29 AM IST
ज्वैलरी बनाने में ज्यादातर इस्तेमाल 22 कैरेट गोल्ड का ही होता है. 22 कैरेट में 22 भाग सोना होता है और बाकी दो में दूसरी धातुएं जैसे सिल्वर, जिंक, निकल और दूसरी मिश्रित धातुएं होती हैं. इसे 91.67 फीसदी शुद्ध सोने के तौर पर भी जाना जाता है. मिश्रित धातुओं के होने से यह कठोर बनता है और इसलिए इसे ज्वैलरी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, इससे वह टिकाऊ बनती है. ज्वैलर्स की ओर से 22 कैरेट के लिए 916 नंबर का इस्तेमाल किया जाता है.
18 कैरेट के सोने में 75 फीसदी सोना और 25 फीसदी दूसरी धातुओं जैसे तांबा, चांदी मिली होती हैं. इस तरह के सोने को स्टोन स्टडेड ज्वैलरी बनाने और दूसरी डायमंड ज्वैलरी बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. यह 22 कैरेट सोने के मुकाबले कम महंगी होती है. इसका रंग हल्का पीला होता है. यह 22 या 24 कैरेट के मुकाबले ज्यादा मजबूत होता है. ज्वैलर्स 18 कैरेट के लिए 750 नंबर का इस्तेमाल करते हैं.
14 कैरेट के सोने में 58.5 फीसदी शुद्ध सोना और बाकी दूसरी धातुओं का मिश्रण होता है. 14 कैरेट के लिए 585 नंबर का उपयोग किया जाता है.
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क्या है गोल्ड हॉलमार्किंग?
- हॉलमार्किंग सोने की शुद्धता जानने का तरीका
- BIS सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट देता है
- BIS- ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स
- हॉलमार्क वाली ज्वेलरी पर BIS की मुहर
- ज्वेलरी किस साल बनी है लिखा जाता है
- हॉलमार्क का साल और हॉलमार्किंग सेंटर का भी जिक्र
- शुद्धता की कैरेट बताने के लिए सोने पर K लिखा होता है
- अनिवार्य हॉलमार्किंग से ग्राहकों का फायदा
- सोने के खरीदारों के साथ धोखा नहीं होगा
24 कैरेट 99.9%
23 कैरेट 95.8%
22 कैरेट 91.6%
21 कैरेट 87.5%
18 कैरेट 75.0%
17 कैरेट 70.8%
14 कैरेट 58.5%