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टैक्स नियमों में मिली बड़ी राहत, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी covid 19 के खिलाफ शुरू किए गए अभियान के चलते आम लोगों को मुश्किल का सामना न करना पड़े इसके लिए वित्त मंत्रालय ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर को लेकर कई राहतें दी हैं. सरकार की इन महत्वपूर्ण घोषणाओं को लेकर सरकार ने 31 मार्च, 2020 को एक अध्यादेश जारी किया है. इसमें टैक्स और बेनामी अधिनियमों के तहत समय सीमाएं बढ़ाने के प्रावधान किए गए हैं.
Updated on: April 01, 2020, 09.16 PM IST
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इस वजह से लिया गया फैसला 

दुनिया के कई देशों में नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के फैल जाने से बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत हो गई है. इसे ध्‍यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार सहित विभिन्न सरकारों ने इसे महामारी करार दिया है.  इसको फैलने से रोकने के लिए ‘सामाजिक दूरी बनाए रखने’ को स्‍पष्‍ट रूप से सबसे अच्छा तरीका माना गया है.  इसे  ध्‍यान में रखते हुए देश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है.  इस तरह की परिस्थितियों में नियमों के पालन में मुश्किल आ सकती है. इसको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने 24 मार्च, 2020 को कई बड़े ऐलान किए थे. इन घोषाओं को लागू करने के लिए अध्यादेश जारी किया गया है.       

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इन महत्वपूर्ण कामों की समय सीमा बढ़ाई गई 

वित्‍त वर्ष 2018-19 (आकलन वर्ष 2019-20) के लिए मूल के साथ-साथ संशोधित आयकर रिटर्न भी दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है.   आधार कार्ड और पैन को आपस में जोड़ने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है.    

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आयकर अधिनियम के तहत मिली कई रियायतें

आईटी अधिनियम के सेक्शन-VIए-बी, जिसमें धारा 80सी (एलआईसी, पीपीएफ, एनएससी इत्‍यादि), 80डी (मेडिक्लेम), 80जी (दान), आदि शामिल हैं, के तहत कटौती का दावा करने के लिए निवेश/भुगतान करने की तिथि बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी गई है.वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इन धाराओं के तहत कटौती का दावा करने के लिए 30 जून 2020 तक निवेश/भुगतान किया जा सकता है.   आईटी अधिनियम की धारा 54 से 54जीबी तक के तहत कैपिटल गेन के संबंध में रोलओवर लाभ/कटौती का दावा करने के लिए निवेश/निर्माण/खरीद करने की तिथि भी 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है.  अत: 30 जून 2020 तक किए गए निवेश/निर्माण/खरीद वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान होने वाले पूंजीगत लाभ से कटौती का दावा करने के पात्र होंगे.   आईटी अधिनियम की धारा 10एए के तहत कटौती का दावा करने वाली एसईजेड इकाइयों (यूनिट) के लिए ऑप्रेशन शुरू करने की तिथि भी उन इकाइयों के लिए 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है, जिन्हें 31 मार्च, 2020 तक आवश्यक इजाजत मिल गई.  विभिन्न प्रत्यक्ष करों और बेनामी कानून के तहत अधिकारियों द्वारा आदेश या नोटिस जारी करने की तिथि भी 30 जून, 2020 तक बढ़ा दी गई है.   ये निर्देश दिए गए है कि 9% का घटा हुआ ब्याज आयकर (जैसे अग्रिम कर, टीडीएस, टीसीएस), समकारी लेवी, प्रतिभूति लेन-देन कर (एसटीटी), कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) का भुगतान नहीं करने पर लिया जाएगा (जिनका भुगतान 20 मार्च 2020 से 29 जून 2020 तक किया जाना है), बशर्ते कि यह भुगतान 30 जून 2020 तक कर दिया जाए. इसके अलावा, इनका भुगतान न करने पर कोई जुर्माना लगाने या किसी अन्य तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी.     ‘विवाद से विश्वास योजना’ के तहत भी तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है.इस योजना के तहत घोषणा और भुगतान बगैर अतिरिक्त अदायगी के ही 30 जून 2020 तक किया जा सकता है.  

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अप्रत्यक्ष कर को लेकर दी गई ये रियायतें

मार्च, अप्रैल और मई 2020 के लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दिया गया है.   केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत जहां भी अपील दाखिल करने, रिफंड आवेदन करने, इत्‍यादि की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है.   सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत जहां भी अपील दाखिल करने, रिफंड आवेदन करने, इत्‍यादि की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है.   जहां भी सेवा कर से संबंधित अपील दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 मार्च 2020 से लेकर 29 जून 2020 तक है, उसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया गया है.   ‘सबका विश्वास कानूनी विवाद समाधान योजना 2019’ के तहत फायदा लेने के लिए भुगतान करने की तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ा दी गई है. करदाताओं को अपने विवादों को हल करने के लिए अधिक समय दिया गया है.  

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सरकार के पास सुरक्षित रहेंगे अधिकार 

इन टैक्स और बेनामी अधिनियमों के तहत समय सीमा बढ़ाने के अलावा CGST अधिनियम, 2017 में एक धारा शामिल की गई है जिसके तहत रिफंड दावे दाखिल करने, अपील दायर करने और अन्य कामों के लिए निर्धारित तारीखों को बढ़ाने का अधिकार सरकार को दिया गया है, जैसा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशों पर अधिनियम के तहत निर्दिष्ट, निर्धारित या अधिसूचित किया गया है.