Income tax: वित्तीय वर्ष 2019-20 तक आप परंपरागत टैक्स स्लैब के मुताबिक इनकम टैक्स (Income tax) छूट पाते आए हैं या टैक्स पेमेंट करते आए हैं. लेकिन वित्तीय वर्ष 2020-21 से अब सरकार ने एक नया टैक्स स्लैब (New tax slab) भी पेश कर दिया है. ऐसे में टैक्सपेयर्स के सामने यह सवाल खड़ा है कि वह पुराने स्लैब को अपनाए या नए स्लैब को. बता दें, नया टैक्स स्लैब किसी व्यक्तिगत या अविभाजित हिन्दू परिवार (HUF) के लिए ऑप्शनल है. इसे फाइनेंस एक्ट 2020 के तहत लाया गया है. नए स्लैब में रेट काफी कम कर दिए गए हैं. हालांकि, नई दरें किसी खास टैक्स छूट और टैक्स में कटौती की कॉस्ट पर आती हैं, जो अभी पुराने स्लैब में उपलब्ध हैं.

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नया स्लैब तब है फायदेमंद

इनकम टैक्स पेयर्स के लिए नया स्लैब सिर्फ तभी फायदेमंद है जब पहले के तय छूट और कटौती के कारण टैक्स सेविंग कम हो. हर वह कर्मचारी जिसने छूट वाली टैक्स स्लैब को चुना है उसे अपने एम्प्लॉयर को हर पिछले सालों की जानकारी देनी होगी. कोविड-19 (Covid-19) के चलते लॉकडाउन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे समझना जरूरी है.

 

78,000 रुपये तक का फायदा

भारत में जारी कोरोनावायरस महामारी के कारण कर्मचारियों की इनकम पर असर पड़ सकता है. इसमें सैलरी कट और दूसरी आशंकाएं बड़ी वजह हैं. साथ ही वह लंबे समय के लिए किए गए निवेश के दम पर कैश का इंतजाम कर सकते हैं. नया टैक्स स्लैब में उनको राहत मिलेगी, जो कम रेट वाले टैक्स सिस्टम को चुनना चाहते हैं और लंबे समय में निवेश करने के लिए तैयार नहीं हैं. अभी की परिस्थिति में नए स्लैब में बिना किसी निवेश के भी मैक्सिमम 78000 रुपये तक का टैक्स रिलीफ मिल सकता है. नया स्लैब कर्मचारियों को विपरीत परिस्थिति में भी उनके हाथ में पैसा उपलब्ध कराता है, ताकि बुरे वक्त में भी वह अपना निर्वाह कर सकें.

दोनों ऑप्शन चुनना किसके लिए फायदेमंद

डॉ. सुरेश सुराना कहते हैं कि जिनकी अच्छी इनकम है या सेविंग के लिए पर्याप्त पैसे हैं, वह दोनों स्लैब पर फायदे का कैलकुलेशन करते हुए विचार कर सकते हैं. फिर भी अगर कर्मचारी के पास फाइनेंशिय ईयर खत्म होने से पहले निवेश के मकसद से पर्याप्त पैसे हैं वह किसी खास ऑप्शन में पैसे निवेश कर सकते हैं और टैक्स रिटर्न में पुराने स्लैब को भी फायदे को देखते हुए चुन सकते हैं.

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जिनकी बिजनेस से इनकम है, वह हमेशा फायदेमंद स्लैब को ही चुने, क्योंकि टैक्स स्लैब को एक ही बार बदल सकते हैं. इसलिए हर किसी को अपना वर्तमान समय, इनकम का लेवल और निवेश क्षमता, लिक्विडिटी और फंड की जरूरत और संकट में जोखिम मोल लेने की क्षमता का आकलन करते हुए स्लैब सलेक्ट करना चाहिए.

(Dr. (CA) Suresh Surana, Founder, RSM India)