पिछले कुछ दिनों से अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई हुई है. इस सुस्ती का सीधा असर शेयर बाजार और निवेशकों पर पड़ रहा है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखकर आम निवेशक उलझन में है. निवेशक को यह समझ में नहीं आ रहा है कि इक्विटी में निवेश को जारी रखें या फिर उसे रोक दें. कुछ निवेशक तो यह भी पूछ रहे हैं कि क्या इक्विटी से डेट फंड में शिफ्ट किया जाए. 

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म्यूचुअल फंड और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट प्रकाश रंजन सिन्हा बाजार की चाल और निवेशकों की उलझन पर कहते हैं कि आजकल इकनॉमिक स्लोडाउन पर जोर-शोर से चर्चा हो रही है. ऐसा नहीं है कि इकनॉमिक स्लोडाउन कोई लाइलाज बीमारी है. इसका भी समाधान है. 

इकनॉमिक स्लोडाउन हमारे जीवन का ही एक हिस्सा है, इसलिए इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है. आज स्लोडाउन है तो कल इसमें तेजी भी आएगी. अर्थव्यवस्था को हम सब मिलकर चलाते हैं. और हर आदमी तरक्की चाहता है. इसलिए अर्थव्यवस्था में सुधार जल्द ही देखने को मिलेगा. 

 

जब आप इक्विटी में निवेश करते हैं, इक्विटी ग्रोथ एसेट माना जाता है और यह अर्थव्यवस्था से ज्यादा जुड़ा हुआ है. इसलिए इसमें जोखिम भी ज्यादा होते हैं. जबकि डेट फंड इनकम वाले फंड होते हैं. डेट फंड में कुछ न कुछ ब्याज आपको मिलता रहेगा. इसलिए जब अनिश्चिता का दौर होता है डेट फंड में ही निवेश करना चाहिए और वह भी शॉर्ट टर्म के लिए. ध्यान रखें कि उसी डेट में निवेश करें जिसकी क्रेडिट क्वालिटी अच्छी हो. एक साल के कम अवधि वाले डेट में निवेश करना फायदे का सौदा होगा. इक्विटी की बता करें तो स्मॉल और मिड कैप खराब प्रदर्शन कर रहा है.

 

अगर आपको 3 से 5 साल के अंदर पैसा चाहिए तो आपका निवेश डेट फंड में होना चाहिए, न कि इक्विटी में. 5 या 7 साल के बाद पैसा चाहिए तो हमेशा इक्विटी में निवेश करें. शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए सबसे बड़ा जोखिम अर्थव्यवस्था से हैं. इसलिए अर्थव्यवस्था पर हमेशा नजर बनाकर रखें. 

इक्विटी में भी जब आप अपने टारगेट के करीब पहुंच रहे हैं तो ऐसे में अर्थव्यवस्था को जांच-परख कर डेट फंड में अपने पैसे को ट्रांसफर कर दें. इससे ग्रोथ का भी आपको फायदा मिलेगा और आपका पैसा भी सुरक्षित हो जाएगा.