Loan on LIC Policy: इमरजेंसी में पैसों की जरूरत है तो ज्‍यादातर लोग पर्सनल लोन का सहारा लेते हैं या फिर अपनी किसी पॉलिसी को तुड़वाकर पैसों का इंतजाम करते हैं. लेकिन अगर आपने LIC पॉलिसी ली है तो आप इस पॉलिसी पर भी लोन ले सकते हैं. एलआईसी पर लिया लोन आमतौर पर पर्सनल लोन की तुलना में सस्‍ता पड़ता है, साथ ही री-पेमेंट भी काफी आसान होता है. ऐसे में आपको हर महीने EMI चुकाने की टेंशन नहीं होती. यहां जानिए LIC की लोन सुविधा से जुड़े तमाम नियम और खूबियां-

लोन के फीचर्स

  • एलआईसी पॉलिसी पर मिलने वाला लोन सुरक्षित लोन की श्रेणी में आता है क्‍योंकि लोन गारंटी आपकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी होती है. ऐसे में बहुत पेपर वर्क की जरूरत नहीं होती और लोन जल्दी मिल जाता है.  ग्राहक सिर्फ 3 से 5 दिन की अवधि में ही लोन की राशि प्राप्त कर सकता है.
  • एलआईसी पर लोन का एक फायदा तो ये है कि आपको अपनी पॉलिसी को सरेंडर नहीं पड़ता. ऐसे में आपको बीमा से मिलने वाले फायद खत्म नहीं होते हैं.
  • ये लोन पर्सनल लोन के मुकाबले सस्‍ता है, साथ ही इसे लेते समय प्रोसेसिंग फीस या हिडन चार्जेज नहीं लगते हैं. ऐसे में लोन की अतिरिक्त लागतों से बचत हो जाती है.

काफी आसान है रीपेमेंट

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एलआईसी पॉलिसी पर अगर आप लोन लेते हैं तो इसका रीपेमेंट काफी आसान होता है. इसमें लोन चुकाने वाले को अच्‍छा खासा टाइम मिलता है क्‍योंकि लोन की अवधि न्यूनतम छह महीने से लेकर इंश्योरेंस पॉलिसी की मैच्योरिटी तक हो सकती है. ऐसे में ग्राहक के लिए अच्‍छी बात ये है कि इस लोन पर हर महीने ईएमआई चुकाने की टेंशन नहीं होती. जैसे-जैसे पैसे जमा होते जाएं, आप उसके हिसाब से पैसे दे सकते हैं. लेकिन एक बात ध्‍यान रहे कि वार्षिक ब्‍याज इसमें जुड़ता रहेगा. अगर कोई ग्राहक 6 महीने की न्यूनतम अवधि के भीतर लोन का निपटान करता है, तो उसे 6 महीने की पूरी अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करना होता है.

लोन चुकाने के 3 ऑप्‍शन

  • पूरे मूलधन को ब्याज के साथ चुकाएं.
  • बीमा पॉलिसी की मैच्योरिटी के समय क्लेम अमाउंट के साथ मूलधन का निपटान करें. ऐसे में अब आपको केवल ब्याज राशि चुकानी होगी.
  • सालाना ब्याज राशि चुकाएं और मूल राशि को अलग तरीके से चुकाएं.

लोन से जुड़े नियम

  • इंश्योरेंस पॉलिसी के एवज में लोन सिर्फ कुछ चुनिंदा पॉलिसी जैसे कि ट्रेडिशनल और एंडोमेंट पॉलिसी के एवज में ही मिलता है. 
  • लोन की राशि सरेंडर वैल्‍यू के हिसाब से तय की जाती है. आपको पॉलिसी की सरेंडर वैल्‍यू का 80 से 90 फीसदी तक लोन मिल सकता है.
  • लोन पॉलिसी की ब्‍याज दर पॉलिसी होल्‍डर के प्रोफाइल पर निर्भर करती है. आमतौर पर ये 10 से 12 फीसदी तक होती है.
  • पॉलिसी पर लोन देते समय बीमा कंपनी आपकी पॉलिसी को गिरवी रख लेती है.
  • लोन वापस न करने पर या लोन की बकाया राशि पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू से अधिक हो जाने पर कंपनी को आपकी पॉलिसी समाप्‍त करने का अधिकार है.
  • अगर आपकी बीमा पॉलिसी लोन चुकाने से पहले मैच्‍योर हो जाती है है तो आपकी राशि से बीमा कंपनी लोन की राशि काट सकती है.

लोन के लिए कैसे करें अप्‍लाई

पॉलिसी के बदले लोन लेने के लिए आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से अप्‍लाई कर सकते हैं. ऑफलाइन के लिए आपको एलआईसी ऑफिस में जाकर केवाईसी डॉक्‍यूमेंट्स के साथ लोन के लिए आवेदन करना होगा. वहीं ऑनलाइन अप्‍लाई करने के लिए LIC ई-सेवाओं के लिए रजिस्ट्रेशन करें. इसके बाद अपने अकाउंट में लॉग-इन करें. इसके बाद चेक करें कि आप बीमा पॉलिसी बदले लिए जाने वाले लोन को प्राप्त करने के लिए योग्य है या नहीं. यदि हैं, तो लोन की नियम, शर्तें, ब्याज दरें आदि के बारे में अच्‍छे से पढ़ लें. इसके बाद एप्लीकेशन सबमिट करें और KYC दस्‍तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करें.