नौकरीपेशा लोगों के लिए सबसे जरूर डॉक्युमेंट है सैलरी स्लिप. इसमें आपके पैसे से जुड़ी हर जानकारी होती है. आपकी सैलरी कितनी है और इसमें से कितनी कटकर आपके हाथ में आई है, सैलरी स्लिप से जान सकते हैं. यदि इसमें आपको कुछ समझ न आए तो आप कंपनी एचआर से संपर्क कर सकते हैं. आपको सैलरी में जितने भी अलाउंस मिलते हैं, उनमें सबसे जरूरी बेसिक सैलरी अलाउंस होता है.

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आपका पीएफ कितना कटेगा यह इसी अलाउंस पर निर्भर करता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपकी सैलरी स्लिप में क्या-क्या होता है. आपके अकाउंट में आने से पहले ही सैलरी का एक बड़ा हिस्सा कट जाता है. यह अमाउंट पीएफ और दूसरी स्कीम्स का होता है. कंपनियों में अलग-अलग फेसिलिटीज के हिसाब से भी फंड डिडक्ट किया जाता है.

बेसिक सैलरी

बेसिक सैलरी, किसी के भी सैलरी स्ट्रक्चर का सबसे जरूरी हिस्सा होता है. बेसिक सैलरी पर ही निर्भर करता है कि पीएफ और दूसरे अलाउंस का डिडक्शन कितना होगा. आपकी बेसिक सैलरी पूरी तरह से यानी 100 परसेंट टैक्स के दायरे में आती है.

हाउस रेंट अलाउंस (HRA)

हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में नौकरी करने वाले को हाउस रेंट के लिए अलाउंस मिलता है. HRA वैल्यू आपकी जॉब लोकेशन पर डिपेंड करती है. यदि आप किसी मेट्रो सिटी में जॉब कर रहे हैं तो आपका HRA ज्यादा होगा. यदि आप अपने खुद के घर में रह रहे हैं तो 100 परसेंट एचआरए टैक्स के दायरे में आएगा. वहीं, यदि आप रेंट से रहते हैं तो टैक्स से छूट मिलेगी.

कन्वीयंस अलाउंस (CA)

यह ट्रैवल अलाउंस होता है. घर से ऑफिस पर आने-जाने का जो खर्च आता है, उसे इसमें क्लेम किया जा सकता है. 

मेडिकल अलाउंस

मेडिकल पर होने वाले खर्चे मेडिकल अलाउंस में आते हैं. हालांकि, इसके लिए मेडिकल बिल का प्रूफ देना होता है. सालाना 15 हजार रुपए मेडिकल पर खर्च टैक्स के दायरे से बाहर है. 

लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)

छुट्टियों के दौरान ट्रैवलिंग का जो खर्चा आता है वो लीव ट्रैवल अलाउंस के तहत आता है. इस अलाउंस में आपकी फैमिली मेंबर के ट्रैवल का खर्चा भी शामिल किया जाता है. यदि आप इसमें प्रूफ जमा कर देते हैं तो इस पर टैक्स में छूट मिलती है.

बोनस/वैरिएबल-पे

ईयरली बोनस या परफॉर्मेंस के रूप में यह मिलता है. हालांकि, हर कंपनी में अलग-अलग नियमों के अनुसार ये दिया जाता है. ज्यादातर कंपनियां इसे परफॉर्मेंस बेस्ड रखती है.

प्रॉविडेंट फंड (PF)

पीएफ बेसिक सैलरी का 12 परसेंट कटता है. यह अमाउंट हर महीने आपकी सैलरी से काटा जाता है. इसमें जितना अमाउंट आपकी सैलरी से कटता है, उतना ही आपके कंपनी के खाते से भी कटता है. हालांकि, जाते दोनों आपके ईपीएफ खाते में ही हैं.

प्रोफेशनल टैक्स

यह टैक्स कुछ राज्यों में वसूला जाता है. इसमें कितना अमाउंट कटेगा, यह आपकी सैलरी पर डिपेंड करता है.

इनकम टैक्स

यह टैक्स हर महीने कटता है. इस टैक्स डिडक्शन को TDS के नाम से जाना जाता है. यह अमाउंट इम्प्लॉयर की तरफ से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को दिया जाता है. हालांकि, टैक्स सेविंग निवेश के जरिए आप इसे कम कर सकते हैं.