ITR Filing: वित्‍त वर्ष 2022 के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख (ITR Filing last date) 31 जुलाई 2022 है. हरेक सैलरीड या इंडिविजुअल टैक्‍सपेयर जिनकी सालाना इनकम 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा है, उन्‍हें इनकम टैक्‍स रिटर्न (Income Tax Return) करना होता है. कई बार ऐसा होता है कि इनकम टैक्‍स रिटर्न फाइल करने के बावजूद इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट से नोटिस आ जाता है. यह नोटिस इनकम टैक्‍स एक्‍ट के अलग-अलग सेक्‍शन के अंतर्गत आता है. एक्‍सपर्ट मानते हैं कि टैक्‍स नोटिस मिलने पर घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप सही तरीके से नोटिस पढ़कर, समझकर उसका जवाब दें. 

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CA पंकज जैन कहते हैं, इनकम टैक्स नोटिस दरअसल एक लिखित कम्‍युनिकेशन है, जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से एक टैक्सपेयर को उसके टैक्स अकाउंट से जुड़ी दिक्‍कतों के बारे में अलर्ट करता है. टैक्‍स डिपार्टमेंट अलग-अलग वजहों जैसे इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने और न करने को लेकर, अससेमेंट करने के मकसद से या कुछ खास डीटेल की जानकारी के लिए के लिए नोटिस भेज सकता है. ज्यादातर इनकम टैक्स नोटिस नियमित तौर पर भेजे जाते हैं. अगर आपने अपनी इनकम नहीं छुपाई है या समय पर रिटर्न  दाखिल किया गया है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है.  इनकम टैक्स रिटर्न समय पर दाखिल करने के बाद भी व्यक्ति को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस मिल सकता है. 

जैन कहते हैं, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी नोटिस/आदेश अथंटिकेट जरूर करें. ऐसे किसी भी नोटिस का जवाब देने से पहले, यह वेरिफाई करना जरूरी है कि जारी किया गया नोटिस/आदेश असल है और इनकम टैक्स अथॉरिटी की ओर से www.incometax.gov.in पर ई-फाइलिंग पोर्टल से जारी किया गया है. 

इन सेक्‍शन में मिल सकता है टैक्‍स नोटिस 

Intimation under Section 143(1)

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सीपीसी की ओर से प्रोसेस्‍ड होने के बाद, असेसी को यह बताने के लिए जानकारी दी जाती है कि क्या उस पर कोई टैक्‍स देनदारी है या किसी तरह का रिफंड बना है. या फिर कोई रिफंड या डिमांड नहीं है. यह जान लें कि अगर कोई टैक्‍स डिमांड है, तो यह नोटिस उस साल के अंत से एक साल के भीतर जारी की जानी चाहिए जिसमें रिटर्न फाइल किया गया है. 

Notice under Section 143(2)

इस नोटिस का मकसद असेसी को यह जानकारी देना है कि फाइल किया गया रिटर्न स्‍क्रूटनी के लिए चुना गया है. डीटेल जांच के बाद असेसमेंट अफसर (AO) कुछ बातों की जानकारी सुनिश्चित करेगा. 

• अंडरस्‍टेटमेंट ऑफ इनकम 

• ज्‍यादा नुकसान का क्‍लेम 

• कम टैक्‍स का भुगतान 

असेसमेंट अफसर को यह नोटिस उस एसेसमेंट ईयर के पूरा होने के 6 महीने के भीतर भेजना होता है. 

Notice under Section 139(9) : (Defective Return)

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ऐसा हो सकता है कि टैक्‍सपेयर से कुछ चीजें छूट गई हो या उसमें कुछ गलतियां हो गई हैं. ये गलतियां रिटर्न को "डिफेक्टिव" बनाती है और टैक्‍स डिपार्टमेंट की ओर से सेक्‍शन 139 (9) के अंतर्गतर डिफेक्टिव रिटर्न का नोटिस जारी किया जाता है. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की सेक्‍शन 139(9) में कहा गया है कि जब रिटर्न डिफेक्टिव पाया जाता है, तो AO गलती को सुधारने के लिए निर्धारिती (assessee) को 15 दिनों का समय देता है. इसलिए, एक बार सेक्‍शन 139(9) के अंतर्गत एक नोटिस प्राप्त होने के बाद, सभी खामियों को ठीक करते हुए एक संशोधित रिटर्न 15 दिनों के भीतर फाइल करना होता है. 

Notice under Section 142(1)

इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 142(1) के अंतर्गत नोटिस दो हालातों जारी किया जा सकता है. 

1. उस मामले में जहां रिटर्न फाइल किया जाता है, लेकिन AO को अतिरिक्त जानकारी और डॉक्‍यूमेंट की जरूरत होती है. 

2. रिटर्न फाइल नहीं किया गया है और AO रिटर्न फाइल कराना चाहता है. 

अधिकारी को फेयर असेसमेंट करने में सक्षम बनाने के लिए सूचना मांगी जाती है. इस नोटिस का जवाब न देने पर प्रत्‍येक विफलता के लिए 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. 1 साल तक अभियोजन या दोनों झेलना पड़ सकता है. 

इसलिए, एक बार धारा 142(1) के अंतर्गत नोटिस मिलने पर अगर आपने रिटर्न फाइल नहीं किया है, तो फाइल करना होगा. अगर, AO कुछ अतिरिक्त जानकारी/डॉक्‍यूमेंट चाहता है, तो उसे तय समय में देना होगा. 

Notice under Section 148

अगर AO यह समझता है कि इनकम का सही ढंग से खुलासा नहीं किया गया और इसलिए, कम टैक्स का पेमेंट किया गया है. ऐसे में कानूनन रिटर्न फाइल नहीं किया जा सकता है. इसे इनकम छुपाने का असेसमेंट कहा जाता है। इन हालातों में, AO के पास इनकम का असेस या रीअसेसस करने का अधिकार होता है. ऐसा करने से पहले अधिकारी को निर्धारिती को इनकम की डीटेल पेश करने के लिए एक नोटिस देना होता है. इसके लिए नोटिस सेक्‍शन 148 के प्रावधानों के अंतर्गत जारी किया गया है. 

फाइनेंस एक्ट 2021 में संशोधन के मुताबिक, 1 अप्रैल 2021 से, AO टैक्‍सपेयर के असेसमेंट को फिर से ओपन कर सकता है. इसकी एक समय सीमा तय है. सामान्य मामलों में उपयुक्त असेसमेंट साल की समाप्ति से तीन साल तक है. लेकिन, अगर असेसमेंट अफसर के पास एक वित्‍त वर्ष 50 लाख या इससे ज्‍यादा की इनकम छुपाने का मैटियिरल साक्ष्‍य है, तो वह संबंधित असेसमेंट ईयर समाप्‍त से तीन साल से ज्‍यादा और 10 साल तक के मामले को दोबारा ओपन कर सकता है. 

Notice under Section 156 (Demand)

इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 156 के अंतर्गत नोटिस तक भेजा जाता है, जब किसी भी आदेश के चलते कोई टैक्स, ब्याज, जुर्माना, या कोई अन्य राशि देय होती है. डिमांड के लिए सेक्‍शन 156 टैक्स नोटिस में देय रकम का जिक्र होगा. 

यह डिमांड नोटिस आम तौर पर सेक्‍शन 143(1) के अंतर्गत एक इंटिमेशन नोटिस के साथ या असेसमेंट आदेश के साथ होता है, जिसे स्‍क्रूटनी के बाद जारी किया जाता है. सेक्‍शन 156 डिमांड नोटिस में मांगी गई रकम का भुगतान टैक्‍सपेयर को नोटिस मिलने की तारीख के 30 दिन के भीतर करना होता है. 

Notice under Section 245

अगर AO को यह लगता है कि टैक्‍सपेयर ने पिछले सालों के लिए टैक्स का भुगतान नहीं किया है और वह उस डिमांड के खिलाफ चालू साल के रिफंड को सेट ऑफ करना चाहता है, तो धारा 245 के तहत एक नोटिस जारी किया जा सकता है। हालांकि, डिमांड और रिफंड का एडजस्‍टमेंट तभी किया जा सकता है, जब टैक्‍सपेयर को उचित नोटिस और सुनवाई का मौका दिया गया हो. 

नोटिस का जवाब देने की समय सीमा नोटिस मिलने की तारीख से 30 दिन है. अगर आप उपरोक्त समय सीमा के अंदर जवाब नहीं देते हैं, तो AO इसे सहमति के रूप में मान सकता है और असेसमेंट के साथ आगे बढ़ सकता है. इसलिए, नोटिस का जवाब जल्द से जल्द देना चाहिए.

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क्‍यों मिलता है इनकम टैक्‍स नोटिस?

रिटर्न दाखिल नहीं करना

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उन लोगों को नोटिस भेजता है, जिन्होंने ITR फाइल नहीं किया है. अगर रिटर्न तय तारीख के बाद लेकिन आकलन वर्ष के बाद फाइल किया जाता है, तो इनकम टैक्स अधिकारी देरी के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 से 5000 रुपये तक का पेनल्‍टी लगा सकता है. वहीं, अगर रिटर्न 31 दिसंबर के बाद फाइल किया जाता है, तो 10,000 रुपये का पेनल्‍टी देनी होगी.

मिसमैच इन टैक्स रेट

कभी-कभी, फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS में टैक्स रेट में अंतर होता है. फॉर्म में कोई अंतर होने पर डिपार्टमेंट फॉर्म 26AS को सही मानेगा. आंकड़ों के मिसमैच होने का चलते यह हो सकता है कि इम्प्लॉयर सैलरी से काटे गए या किसी और के अकाउंट में जमा किए गए टैक्स को जमा करना भूल गया हो.  दोनों ही मामलों में, संशोधित रिटर्न के लिए इम्प्लॉयर से परामर्श करें. 

हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स

अलग-अलग हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन्स के बारे में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बताना चाहिए. टैक्स को नियमों और रेग्‍युलेशन के मुताबिक लगाया गया है, इसे सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है. 

जीवनसाथी के नाम पर निवेश 

ऐसे कई व्यक्ति हैं जो टैक्स से बचने के लिए अपने परिवार, बच्चों या जीवनसाथी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं. इन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करना जरूरी है. 

स्‍क्रूटनी नोटिस 

इनकम टैक्‍स डिपार्टमेंट की ओर से स्‍क्रूटनी असेसमेंट किए जाने की स्थिति में नोटिस जारी किया जा सकता है. 

इनकम टैक्स नोटिस मिले तो क्‍या करें? 

जब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजता है, तो आमतौर पर लोग उसे डील नहीं कर पाते हैं. अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से कोई नोटिस मिलता है, तो इन इनकम टैक्स नोटिसों को हैंडल के लिए कुछ जरूरी कदम उठा सकते हैं. 

सावधानी से हैंडल करें: जब भी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से कोई नोटिस मिलता है; उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. टैक्स पेमेंट को नजरअंदाज करने पर 10,000 रुपये या उससे ज्यादा का जुर्माना देना पड़ सकता है. 

प्रूफ: अगर पोस्ट के जरिए नोटिस प्राप्त होता है, तो लिफाफे को सुरक्षित रखना चाहिए क्योंकि यह भविष्य के उद्देश्यों के लिए प्रूफ के रूप में काम करेगा. 

चेक DIN: अगर नोटिस ई-मेल या ऑनलाइन जरिए मिलता है तो; डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) की जांच जरूर कर लें. 

वजहों की जांच करें: अगर इनकम टैक्स नोटिस मिला है, तो नोटिस के वजहों की जांच करें. रिटर्न की गलत फाइलिंग, TDS, e-TDS रिटर्न ऑनलाइन में गलती या कोई अन्य वजह से नोटिस मिल सकता है.  

वैलिडिटी: अलग-अलग तरह के नोटिसों की अलग-अलग समय अवधि की वैलिडिटी होती है. जैसेकि, स्‍क्रूटनी असेसमेंट का नोटिस 6 महीने के अंदर दिया जाना होता है. अगर इसे बाद में दिया जाता है तो आवेदन को अमान्य माना जाता है. 

अपने डॉक्यूमेंट इकट्ठा करें: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा पूछे गए डॉक्यूमेंट्स को इकट्ठा करना शुरू करें. 

लेटर की तैयारी: सभी डॉक्‍यूमेंट्स के साथ लेटर को जोड़ना चाहिए, जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमें टको भेजने की जरूरत है. 

स्वीकृति: सभी डॉक्‍यूमेंट्स की दो प्रतियां रखें. 

तय समय में जवाब दें: सभी जवाब तय समय पर दी जानी चाहिए. अगर जरूरी हो, तो समय सीमा बढ़ाने के लिए कहा जा सकता है. 

प्रोफेशनल की सलाह लें: स्‍क्रूटनी असेसमेंट जैसे गंभीर मामलों में हमेशा चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे प्रोफेशनल से सलाह लें. इससे नोटिस को समय पर और अधिक सटीक रूप से दाखिल करने में मदद मिलेगी. आईटी विभाग के नोटिस न तो घबराना चाहिए और न ही नजरअंदाज करना चाहिए. आमतौर पर, थीसिस नोटिस का जवाब नहीं देने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है.

अगर कोई स्‍क्रूटनी नोटिस मिले तो क्‍या करें 

1. नोटिस की अवधि और समय सीमा का ध्यान रखें. वित्तीय वर्ष के अंत से 6 महीने की समय सीमा के अंदर एक जांच नोटिस का पालन करना चाहिए. 

2. नोटिस की कई प्रतियां बनाएं. 

3. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को एक कवर लेटर के साथ आवश्यक सभी जरूरी दस्तावेज जमा करें. 

4. रिकॉर्ड के लिए AO से एक स्वीकृति पर्ची (acknowledgment slip) की मांग करें. 

ईमानदार करदाताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं

सीए पंकज जैन का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति ने सही समय पर इनकम रिटर्न फाइल किया है और टैक्स का भुगतान किया है, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आमतौर पर ऐसा कोई नोटिस नहीं भेजता है. हालांकि, अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिलता है, तो टैक्सपेयर को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जरूरी दस्तावेजों के साथ जारी किए गए प्रश्नावली का जवाब देना जरूरी है. ऐसे किसी नोटिस का जवाब देने से पहले, अगर किसी निर्धारिती को कोई संदेह है, तो एक पेशेवर (सीए) की सलाह जरूर लें. इससे अनावश्यक कानूनी झंझटों से बचा जा सकता है.