IRDA जल्‍द ऐसी व्‍यवस्‍था करने जा रहा है जिससे नौकरीपेशा लोगों को मेडिक्‍लेम मुफ्त मिले. IRDA चेयरमैन सुभाष खुंटिया ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वह MSME के कामगारों के लिए भी बीमा उत्पाद पेश करें. उन्होंने कहा कि MSME के साथ मिलकर कंपनियां इसके लिए सस्ती बीमा पॉलिसी पेश कर सकती हैं. खुंटिया ने CII के कार्यक्रम में कहा-मैं बीमा कंपनियों से और उत्पाद बनाने का आग्रह करुंगा.

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खुंटिया के मुताबिक कंपनी अगर कर्मचारी को 10 हजार रुपये प्रति माह वेतन दे सकती है तो ऐसे में वह 5 लाख रुपये की हेल्‍थ बीमा पॉलिसी भी दे सकती है. इसके प्रीमियम पर ज्‍यादा खर्च भी नहीं आएगा.

IRDA के मुताबिक, कंपनियां आसानी से प्रीमियम का बोझ सहन कर सकती हैं. MSME कामगारों को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने को लेकर यह बहुत बड़ा कदम हो सकता है.

खुंटिया के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर के प्रति लोगों में गलत धारणाएं है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में जरूरत से ज्यादा डायगनोस्टिक किया जाता है क्योंकि जापान जैसे विकसित देश में महिलाओं में सी सेक्शन का आंकड़ा सिर्फ 20% है, लेकिन भारत के कई राज्यों में ये आंकड़ा 80 से 90 परसेंट तक है. खुटिंया का यह भी मानना है कि देश में हेल्थ रेगुलेटर की कमी है, इसलिए हॉस्पिटल्स की क्वालिटी कंट्रोल पर काम करना जरूरी है जिसमें हॉस्पिटल्स को खुद आगे आकर सही डिस्क्लोजर देना चाहिए. 

खुंटिया ने इंश्योरेंस कंपनियों को सुझाव दिया है कि कंपनियों को डायबिटिज, किडनी और कार्डिक जैसी बीमारियों के कवरेज की चुनिंदा पॉलिसी लॉन्च करनी चाहिए. साथ ही कंपनियों को सीनियर सिटीजन के लिए स्पेशल पॉलिसी बनाने पर विचार करना चाहिए. 

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IRDAI देश में फर्जी क्लेम को कम करने पर भी बड़े पैमाने पर काम कर रहा है क्योंकि भारत में हेल्थ इंश्योरेंस में कुल क्लेम का 15 परसेंट यानी 800 करोड़ के क्लेम फ्रॉड होते हैं, जिससे सामान्य पॉलिसी होल्डर्स को नुकसान हो रहा है और फ्रॉड क्लेम को रोकने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों से लेकर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी साथ मिलकर सेंटरलाइज डेटा बेस तैयार कर रहे है. हेल्थ इंफोरमेंश सिस्टम में इंश्योरेंस कंपनियां, TPA, हॉस्पिटल, NDHM साथ जुड़ेंगे. नए सिस्टम के जरिए फ्रॉड करने वालों को सीधा ब्लैकलिस्ट किया जाएगा.