Housewife investment tips: किसी भी घरेलू महिला के सेविंग्स अकाउंट होते हैं रसोई में रखे वो डब्बे जिनका इस्तेमाल कम होता है, बिस्तर या अलमारी का वो कोना जहां हर किसी पहुंच आमतौर पर नहीं होती है. अगर कहें कि एक घरेलू महिला एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानर भी होती है तो कतई गलत नहीं होगा.

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अगर उसकी इसी फाइनेंशियल प्लानिंग में थोड़ा सा परफेक्शन का तड़का और लग जाए तो निश्चित ही वह छोटी-छोटी बचत से अपना बड़ा सपना पूरा सकती है.

घरेलू महिला की फाइनेंशियल प्लानिंग में परफेक्शन का तड़का लगाने के लिए हमारे साथ हैं फाइनेंशियल एडवाइजर ममता गोदियाल. चीनी-चावल के डब्बों वाली बचत को कैसे बैंक के फिक्स्ड डिपोजिट या म्यूचुअल फंड के सिप में बदला जाए, इसके बारे में ममता (Mamta Godiyal) तफ्सील से चर्चा कर रही हैं.

जनवरी का महीना चल रहा है और सरकार देश चलाने के लिए बजट की तैयारियों में जुटी हुई है. ऐसे में एक घरेलू महिला भी अगर बजट बनाकर कुछ प्लानिंग के साथ चले तो उसे बचत के साथ रिटर्न भी मिलेगा, इसमें कोई शक नहीं है.

पति की पॉकेट से इन्वेस्टमेंट प्लान तक (Financial Planning Tips For Housewives)

घर बैठी महिलाएं भी पति की पॉकेट से बचाए पैसे को सही तरीके से निवेश करें तो घर संभालने के साथ-साथ घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में भी अपना बड़ा सहयोग दे सकती हैं. सही फाइनेंशियल प्लानिंग से महिलाएं अपने लिए अच्छा-खासा पैसा इकट्ठा कर सकती हैं.

तैयार करें खर्चों की डायरी

- सबसे पहले घर के सभी खर्चों को एक जगह लिख लें.

- पिछले 3 महीने के खर्चों को एक डायरी में लिखना चाहिए.

- इन खर्चों की स्टडी करें और उन रेगुलर खर्चों को टिक करें जो बचाए जा सकते हैं.

- उन खर्चों का पता लगाएं जिन्हें आप कर रहे हैं, लेकिन उन पर कंट्रोल किया जा सकता है.

- छोटे-छोटे खर्चों का पता लगाएं जो रेगुलर तो नहीं हैं, फिर भी कभी-कभी हो जाते हैं.

खर्चों की स्टडी है जरूरी (Coordinating Income and Expenses)

डायरी में खर्चे दर्ज होने के बाद इन तमाम खर्चों को अच्छी तरह से स्टडी करें. तीन महीने के तमाम खर्चों की स्टडी करने के बाद ये बात आपको क्लीयर हो जाएगी कि कौन से खर्चे जरूरी हैं और कौन से ऐसे खर्चे हैं जिन पर कंट्रोल किया जा सकता है. रोजाना के खर्चों का ध्यान से अध्ययन करें कि किन चीजों को रोका जा सकता है. कंट्रोल किए जाने वाले खर्चों का भी अलग से हिसाब लिखें.

तीन महीने के खर्चों की स्टडी के बाद उन खर्चों की लिस्ट एक लिस्ट बना लें जो घर चलाने के लिए जरूरी हैं और वे खर्चे जो हो तो रहे हैं लेकिन उन्हें कंट्रोल किया जा सकता है.

सही प्लानिंग और व्यहार से कंट्रोल करें खर्चे (Expenditure Planning)

अब आपने ये तो जान लिया कि कौन से रेगुलर खर्चों में कटौती की जा सकती है और कभी-कभी होने वाले फालतू खर्चे क्या हैं, जिन्हें रोका जा सकता है.

अब समस्या है इन खर्चों को कंट्रोल करने में. क्योंकि ये ऐसे खर्चे हैं जो जरूरी तो नहीं है लेकिन जब आप बाजार जाते हैं तो जरूरी लगने लगते हैं. और आखिरकार खर्च हो ही जाते हैं.

ऐसे खर्चों पर लगाम लगाने के लिए ममता गोदियाल मजबूत प्लानिंग और व्यवहार में बदलाव लाने की सलाह देती हैं. साथ ही नियमित खर्चों का भी एक टाइम टेबल बनाने की बात कहती हैं.

टाइम टेबल से फायदा यह होगा कि जो नियमित खर्चें हैं उनमें से भी कुछ बचत की जा सकती है. जैसे स्कूल की फीस, बिजली का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल समेत कुछ ऐसे नियमित खर्चे हैं जिनका समय पर पमेंट करने पर इन पर लगने वाली पेनल्टी से बचा जा सकता है. और पेनल्टी बचाना ही आपके लिए अच्छी-खासी बचत हो सकता है.

कोशिश करें कि घर खर्चे के लिए मिलने वाली पॉकेट मनी का कम से कम 25 फीसदी हिस्सा बचाया जाए.

शॉपिंग के लिए जरूरी टिप्स (Shopping Tips)

- हमेशा बिना जरूरत की शॉपिंग से बचें.

- जिस चीज की जरूरत हो, वहीं खरीदें.

- घर से निकलते समय सामान की लिस्ट बनाकर ले जाएं.

- जो लिस्ट में सामान है केवल उसी को खरीदें.

- ऑफर के चक्कर में एक समान के साथ चार चीजें खरीद कर न लाएं

- सेल या फेस्टिवल ऑफर के चक्कर में न पड़ें, इन ऑफर के लिए पति का इस्तेमाल करें.

उदाहरण से समझें बात

ममता इसका उदाहण देते हुए समझाती हैं कि अगर किसी महिला को उसके पति घर खर्च के लिए 10,000 रुपये महीना देते हैं और वह महिला तमाम खर्चे पूरे करने के बाद 1,000 रुपये बचा लेती है. अगर वही महिला अपने खर्चों की डायरी तैयार कर फालतू के खर्चों पर रोक लगाए तो निश्चित ही वह 1,000 रुपये से ज्यादा की बचत कर सकती है. अगर आप इस तरह से 500 रुपये भी अलग से बचाती हैं तो यह बचत साल में 6000 रुपये होती है. आप 12,000 रुपये सालाना की बचत पहले से ही कर रही हैं तो इस तरह आपकी एक साल की कुल बचत बढ़कर 18,000 रुपये हो जाएगी.

इस तरह की छोटी-छोटी बचत से आप एक बड़ी रकम इकट्ठा कर सकती है और इस पैसे से अपने शॉर्ट या फिर लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल टारगेट को पूरा किया जा सकता है.

बचत को निवेश करें (Invest your Savings)

अब बारी आती है बचत के निवेश की. आपने पति से मिलने वाली पॉकेट मनी से हर महीने होने वाली बचत को 1000 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपये तो कर लिया है, लेकिन उसे निवेश नहीं किया है तो आपकी सारी मेहनत बेकार हो सकती है. क्योंकि महीने के आखिर में अचानक आने वाले खर्चों को पूर्ति के लिए चीनी या चावल के डब्बे वाली वो गुल्लक (Gullak) ही काम आती है जिनमें आपने ये पाई-पाई इकट्ठा करके ये पैसे जोड़े हैं.

क्योंकि घर में बचाकर रखा पैसा आपको रिटर्न नहीं देता है, बल्कि समय पर घर में ही खर्च हो जाता है. यानी बचत भी हाथ से गई.

इन्वेस्टमेंट प्लानिंग (Investment Plan for Womens)

इसलिए बचत के साथ-साथ निवेश की भी प्लानिंग (Investment Plan) होनी चाहिए. आप इन पैसों को एक प्लानिंग के तहत निवेश कर सकते हैं. अगर आपको इन्वेस्टमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो अपने बैंक के सेविंग्स अकाउंट ही पैसा जमा करें. इससे यह होगा कि आपकी बचत, एक तो अचानक आ पड़ने वाले खर्चों से महफूज रहेगी और दूसरा बैंक में भले ही कम सहीं लेकिन कुछ तो ब्याज मिलेगा.

आपने ठीक-ठाक बचत कर ली है तो आप इसे फिक्स्ड डिपोजिट में भी डाल सकते हैं. यहां सेविंग्स अकाउंट से कुछ ज्यादा रिटर्न मिलेगा.

अगर आप 500 रुपये महीना भी बचा रहे हैं तो इस पैसे को घर में रखने के बजाय बैंक में आरडी कर सकते हैं. ये सारे गारंटिड फंड होते हैं. यहां आपको ब्याज तो कम मिलता है लेकिन पैसे की सुरक्षा की पूरी गारंटी मिलती है.

नॉन गारंटिड फंड्स (Investment in Non Guaranteed funds)

किसी जानकार की मदद से आप अपनी इस छोटी सी बचत को शेयर मार्केट (Share Market) या म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं. यहां निवेश से फायदा यह होता है कि आप महंगाई से खुद को अच्छी तरह से डील कर पाते हैं. यहां रिटर्न तो अच्छे आते हैं लेकिन रिस्क भी रहता है. इसलिए यहां निवेश के लिए धैर्य और जानकारी का होना बहुत जरूरी है.

गारंटिड फंड से नॉन गारंटिड फंड में निवेश (Investment in Guaranteed funds)

आप ज्यादा मुनाफा भी चाहते हैं और रिस्क भी नहीं लेना चाहते तो इसके लिए आपको थोड़ी समझदारी दिखानी होगी. आपने जो थोड़े-थोड़े पैसे जोड़कर बड़ी बचत की है, उसका फिक्स्ड डिपोजिट करवा लें. ऐसा प्लान लें जिसमें आपको हर महीने ब्याज मिलता रहे. अब इस ब्याज को सिप के जरिये म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. इस तरह से आपकी बचत तो महफूज रहेगी ही साथ ही म्यूचुअल फंड से आपको रिटर्न भी मिलता रहेगा.

इस तरह इन टिप्स का फायदा उठाकर आप अपने रसोई के सेविंग्स अकाउंट से निकल कर बैंक अकाउंट या फिर भी डीमैट अकाउंट होल्डर बन सकते हैं.

 

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