अगर आप हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेने जा र‍हे हैं या ले चुके हैं, तो अब इसमें मानसिक बीमारियों को भी कवर किया जाएगा.  बीमा नियामक भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority of India- IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Health Insurance Policy) के तहत मानसिक बीमारी (Mental Illness) को शामिल करने का बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि ये नियम सभी बीमा कंपनियों पर लागू होगा. ऐसे में आप भी पॉलिसी लेते समय ये जरूर देख लें कि उसमें मानसिक बीमारियों को कवर किया गया है या नहीं?

मेंटल हेल्‍थ को कवर करने के लिए 2017 में आया था कानून

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बता दें कि इंश्योरेंस पॉलिसी में मेंटल हेल्थ से संबंधित बीमारियों को शामिल करने के लिए 2017 में कानून आया था. लेकिन मनमानी के चलते तमाम बीमा कंपनियों ने मानसिक बीमारियों को इसमें शामिल नहीं किया था. वहीं बीमा नियामक संस्था IRDAI ने भी अगस्त 2018 में सभी बीमा कंपनियों को कहा था कि उन्‍हें शारीरिक और मानसिक बीमारियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही  मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 अधिनियम के प्रावधानों का तत्काल प्रभाव से पालन करने का निर्देश दिया था. लेकिन फिर भी मानसिक बीमारियों को इंश्‍योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत नहीं लाया गया. 

 IRDAI ने बीमा कंपनियों को लगाई फटकार

अब IRDAI ने इस मामले में बीमा कंपनियों को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि सभी इंश्योरेंस प्रोडक्ट मानसिक बीमारी से जुड़ा कवर देंगे और मेंटल हेल्थकेयर अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का पालन करेंगे. बीमा कंपनियों से 31 अक्टूबर 2022 से पहले इस अनुपालन की पुष्टि करने का अनुरोध किया जाता है. अब नई पॉलिसी में मानसिक बीमारियों से संबंधित दावों को खारिज नहीं किया जा सकता, साथ ही इसे पुरानी बीमा पॉलिसियों में भी लागू किया गया है. 

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मानसिक बीमा कवर की शर्त भी जानें

मानसिक बीमारी का कवर लागू तभी होगा, जब बीमा पॉलिसी लेने के बाद मानसिक बीमारी हुई हो. ऐसी स्थिति में मरीज के अस्पताल में भर्ती होने और इलाज का खर्च स्वास्थ्य बीमा कंपनी को वहन करना होगा. मानसिक रोगों में डिप्रेशन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों को भी कवर किया जाएगा. लेकिन अगर व्‍यक्ति पॉलिसी लेने से पहले ही मानसिक रोगी है, तो उसकी बीमारी को पॉलिसी में कवर नहीं किया जाएगा. 

क्‍या है मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017

मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 (Mental Healthcare Act) का उद्देश्य है कि मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी पॉलिसी के दायरे में लाया जाए ताकि रोगियों को सही स्वास्थ्य देखभाल और सर्विसेज मिल सके. आईआरडीएआई सर्कुलर के अनुसार, इसके लिए सभी बीमा कंपनियों को 31 अक्टूबर 2022 तक सभी इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स ऐसे बनाने होंगे जो मेंटल इलनेस या मानसिक बीमारियों को कवर कर सकें. इस हिसाब से ये नियम अब 1 नवंबर से लागू हो चुका है.