दिल्ली क्षेत्र की बीमा ओम्बुड्समैन सुनीता शर्मा ने सोमवार को कहा कि बीमा कंपनियों को बीमा पॉलिसी की गलत तरीके से बिक्री पर लगाम लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ग्राहक ही राजा हैं और ग्राहकों के कारण ही बीमा कंपनियां अस्तित्व में हैं. कंपनियों को उत्पादों की गलत बिक्री से बचना चाहिए.

ओम्बुड्समैन ने किस बात पर जताई आपत्ति?

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LIC की पूर्व प्रबंध निदेशक रहीं सुनीता शर्मा ने कहा कि आमतौर पर ग्राहकों को बीमा पॉलिसी देखने और उस पर विचार के लिये जो छूट अवधि होती है, उस समय तक संबंधित कंपनियां उनसे जुड़ी रहती हैं और उसके बाद गायब हो जाती हैं. इसके कारण ग्राहक उसके बाद गलत बिक्री का दावा नहीं कर सकते. पॉलिसीधारकों को अपने नियमों और शर्तों की समीक्षा करने और स्वीकार्य नहीं होने पर उन्हें वापस करने के लिये पॉलिसी प्राप्त होने की तारीख से कम से कम 15 दिन का समय मिलता है. वहीं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ली गयी पॉलिसी के मामले में यह अवधि 30 दिन है.

बीमा लोकपाल जीवन और गैर-जीवन बीमा कंपनियों के खिलाफ लोगों की शिकायतों के निपटान के लिये एक अर्ध-न्यायिक शिकायत निवारण व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि बीमा कंपनियों से पॉलिसी के नियम एवं शर्तों से जुड़ा दस्तावेज (सेल्फ कंटेन्ड नोट) समय पर नहीं आता है. ऐसे में यह सलाह दी जाती है कि इन्हें 10 दिन के निर्धारित समय के भीतर ग्राहकों को भेजा जाना चाहिए.

 

थर्ड पार्टी एडमिन की भूमिका की जांच की भी जरूरत

सुनीता शर्मा ने कहा कि इसके अलावा तीसरा पक्ष प्रशासकों (टीपीए) की भूमिका की समीक्षा करने की भी जरूरत है क्योंकि कई मामलों में बीमाकर्ता उनसे प्रभावित होते हैं. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सभी 17 बीमा लोकपाल कार्यालयों में प्राप्त शिकायतों की कुल संख्या 55,946 थी. इनमें से बीमा लोकपाल के कार्यालयों ने 51,625 या 92.28 प्रतिशत का निपटान किया. उन्होंने बीमा लोकपाल दिवस के मौके पर विभिन्न संबंधित पक्षों से बात करते हुए कहा कि दिल्ली केंद्र ने 2022-23 में प्राप्त सभी 5,257 शिकायतों का निपटान किया. उल्लेखनीय है कि 11 नवंबर को 'बीमा लोकपाल' संस्थान की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है.