अगर आपने भी अपने फॉर्म-16 (Form-16) या एआईएस (AIS) स्टेटमेंट में दिखने वाले आंकड़ों के हिसाब से अधिक टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) क्लेम कर लिया है तो हो सकता है कि आपको टैक्स नोटिस (Income Tax Notice) आ जाए. कई बार लोग कुछ ज्यादा ही टैक्स डिडक्शन क्लेम कर देते हैं, लेकिन जब बाद में आयकर विभाग (Income Tax Department) को लगता है कि कुछ टैक्स डिडक्शन ठीक नहीं हैं. तो फिर उसकी तरफ से लोगों को अतिरिक्त टैक्स की मांग करते हुए नोटिस भेजा जाता है. ऐसे मामलों में दो बातें हो सकती हैं. या तो आयकर विभाग की मांग सही होगी या फिर आपकी तरफ से भरा गया आईटीआर (ITR) सही होगा. आइए जानते हैं इन दोनों परिस्थितियों में आपको आयकर विभाग के नोटिस का जवाब कैसे देना चाहिए.

आयकर विभाग कैसे भेजता है नोटिस?

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एक बार जब आईटीआर वेरिफाई हो जाता है, तो उसके बाद आयकर विभाग की तरफ से उसकी प्रोसेसिंग शुरू होती है. इसके तहत सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट अपनी प्राथमिक जांच में आईटीआर को अपने खुद के रिकॉर्ड से Form 16, Form 26AS, AIS, TIS आदि का इस्तेमाल करते हुए वैलिडेट करता है. आईटीआर प्रोसेस हो जाने के बाद आयकर विभाग की तरफ से सेक्शन 143(1) के तहत लोगों को नोटिस जारी किए जाते हैं. कोई मिसमैच होने की सूरत में या तो टैक्स रिफंड होता है या फिर अतिरिक्त टैक्स की डिमांड की जाती है.

आयकर विभाग के नोटिस का कैसे दें जवाब?

आपके पास आयकर विभाग की तरफ से कई वजहों से नोटिस आ सकता है. हो सकता है कि आपने आईटीआर भरते वक्त कोई गलती कर दी हो. इसकी वजह से आपकी तरफ से टैक्स कैलकुलेशन में कोई गलती हुई हो सकती है. ऐसे में आयकर विभाग नोटिस जारी करता है और अतिरिक्त टैक्स की मांग करता है. वहीं हो सकता है कि आयकर विभाग से कैलकुलेशन में गलती हुई हो और आपको नोटिस आ गया हो. ऐसे में सबसे पहले तो आपको नोटिस का रिव्यू करना चाहिए और तमाम जानकारियां और कैलकुलेशन चेक करना चाहिए. आइए जानते हैं इन दोनों ही हालात में आपको आयकर विभाग को कैसे जवाब देना चाहिए.

अगर आयकर विभाग की मांग सही है तो...

अगर आयकर विभाग की तरफ से आया नोटिस आपको सही लगता है यानी आपको लगता है कि आपकी तरफ से ही गलती हुई है और आयकर विभाग की टैक्स डिमांड ठीक है तो आपको टैक्स भरना ही होगा. ऐसी हालत में आपको अतिरिक्त टैक्स पेनाल्टी के साथ चुकाना होगा.

अगर आयकर विभाग की मांग गलत है तो...

मुमकिन है कि आयकर विभाग की तरफ से कैलकुलेशन में गड़बड़ हुई हो या कोई चीज वह सही से समझ ना पाया हो. ऐसे में आपको आयकर विभाग की मांग से असहमत होना होगा और नोटिस का जवाब देना होगा. आपका टैक्स डिमांड के नोटिस से अहमति जताना ही काफी नहीं. आपको जवाब देते वक्त तमाम दस्तावेज भी सबमिट करने होंगे. आप सेक्शन 154(1) के तहत आईटीआर की रीप्रोसेसिंग या एप्लिकेशन रेक्टिफिकेशन का आवेदन कर सकते हैं. आप टैक्स नोटिस का जवाब देते वक्त 'full' या 'in part' का विकल्प चुन सकते हैं. full का मतलब है कि आप आयकर विभाग के असेसमेंट से पूरी तरह से असहमत हैं, जबकि in part विकल्प चुनने का मतलब हुआ कि आप आयकर विभाग के असेसटमें के कुछ हिस्से से असहमत हैं. टैक्स नोटिस के जरिए आयकर विभाग एक तरह का मौका देता है, जिसके तहत यूजर्स किसी भी तरह के मिसमैच को एक्सप्लेन कर सकें.