इनकम टैक्स एक्ट 1961 के तहत एग्रीकल्चर इनकम (Agriculture Income) पर टैक्स (Tax) छूट मिलती है. हालांकि, पॉल्ट्री फार्मिंग, डेयरी और लाइव स्टॉक फार्मिंग को एग्रीकल्चर इनकम नहीं माना जाता है. ऐसे में इस तरह की एक्टिविटीज पर टैक्स लगता है. एग्रीकल्चर इनकम को लेकर तमाम राज्यों की अलग-अलग पॉलिसी है. एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स सिर्फ राज्य सरकार लगा सकती है. केंद्र सरकार किसी भी एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स नहीं लगा सकती है. अधिकतर एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स नहीं लगता है, जबकि कुछ पर टैक्स लगता है.

क्या होती है एग्रीकल्चर इनकम?

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अगर किसी एग्रीकल्चर लैंड पर खेती की जाती है, तो उससे मिले पैसे को एग्रीकल्चरल इनकम कहा जाता है. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 21ए के तहत एग्रीकल्चरल इनकम वह होती है, जब खेत का इस्तेमाल एग्रीकल्चर के लिए होता है. अगर खेत में बनी हुई किसी बिल्डिंग से रेंट मिलता है तो वह भी एग्रीकल्चर इनकम होता है. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि उस बिल्डिंग का इस्तेमाल एग्रीकल्चरल एक्टिविटी के लिए ही होना चाहिए. उस बिल्डिंग से होने वाली कमाई को एग्रीकल्चर इनकम नहीं माना जाता है, अगर उसका इस्तेमाल एग्रीकल्चरल ऑपरेशन के लिए ना हो रहा हो.

एग्रीकल्चरल गुड्स के प्रोडक्शन से हुई इनकम को भी एग्रीकल्चर इनकम कहा जाता है. एग्रीकल्चरल गुड्स वह होते हैं जिन्हें सीधे बाजार में नहीं बेचा जा सकता, उसे बेचने से पहले उनकी प्रोसेसिंग की जरूरत होती है. जैसे ओट्स को सीधे बाजार में नहीं बेचा जा सकता, उससे पहले उसकी भूसी निकालनी होती है यानी प्रोसेसिंग करनी होती है. एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस को उगाने या उसे बेचने से हुई इनकम एग्रीकल्चरल इनकम होती है, जैसे टमाटर उगाने से हुई कमाई को एग्रीकल्चर इनकम कहते हैं. किसी एग्रीकल्चरल लैंड को बेचने से हुई इनकम भी एग्रीकल्चरल इनकम होती है. अगर सरकार की तरफ से किसी एग्रीकल्चर लैंड का अधिग्रहण किया जाता है, तो उससे मिले पैसे भी एग्रीकल्चर इनकम होती है. 

किस इनकम को नहीं माना जाता एग्रीकल्चर इनकम?

एग्रीकल्चर इनकम पर सभी स्टेट टैक्स नहीं लगते हैं सिर्फ कुछ ही राज्य हैं जो एग्रीकल्चर इनकम पर भी टैक्स लगते हैं टैक्स लगाने वाले राज्यों में असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल हैं. अलग-अलग राज्यों में टैक्स लगाने की शर्तें भी अलग-अलग हैं. गेहूं, धान, सब्जियों आदि पर कोई टैक्स नहीं लगता है, वहीं बागवानी और प्लांटेशन पर कुछ राज्यों में टैक्स लगता है, क्योंकि इन्हें कमर्शियल क्रॉप माना जाता है. अगर आपकी भी एग्रीकल्चर इनकम कम होती है तो आपको पहले यह चेक करना होगा कि आप जिस राज्य में रहते हैं, उस राज्य में एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स लगाने के नियम क्या हैं. अगर आपकी एग्रीकल्चरल इनकम टैक्स के दायरे में आती है तो उसी हिसाब से टैक्स का भुगतान करें.

कुछ खास एग्रीकल्चर इनकम पर एक तय हिस्से पर टैक्स चुकाना पड़ता है और बाकी पर छूट मिलती है. जैसे चाय कॉफी और रबड़ की खेती में यह नियम लागू होता है. उदाहरण के लिए चाय के मामले में कुल एग्रीकल्चरल इनकम का 40 फीसदी टैक्स के दायरे में आता है, जबकि बचे हुए 60 फीसदी पर टैक्स छूट मिलती है. इस पर आपको अपने स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होता है.

कैसे फाइल करें एग्रीकल्चर इनकम का आईटीआर?

इनकम टैक्स एक्ट के तहत एग्रीकल्चरल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन इसके बावजूद आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना जरूरी है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का मतलब यह नहीं है कि आपकी कमाई पर टैक्स लगेगा या वह टैक्सेबल हो जाएगी. यह सिर्फ आपकी एग्रीकल्चरल इनकम की पारदर्शिता और डॉक्युमेंटेशन की जरूरत को ध्यान में रखते हुए नियम बनाया गया है. अगर आपकी एग्रीकल्चरल इनकम 5000 रुपये तक है, तो आप आईटीआर-1 फॉर्म भर सकते हैं. वहीं अगर आपकी एग्रीकल्चरल इनकम 5000 रुपये से अधिक है तो आपको आईटीआर-2 फॉर्म भरना चाहिए और उसमें शेड्यूल E1 को जरूर भरना चाहिए.