अगर आप भी एनपीएस (NPS) के जरिए इकनम टैक्स (Income Tax) में छूट का फायदा हासिल करना चाहते हैं तो आपके पास निवेश के लिए अब बस कुछ ही महीने बचे हैं. एनपीएस में निवेश करने पर आपको टैक्स छूट मिलती है, ये तो अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि इसमें कई तरीकों से निवेश किया जा सकता है. एनपीएस में आप एक-दो नहीं बल्कि तीन तरीकों से निवेश कर सकते हैं. इससे एक तो आपका रिटायरमेंट (Retirement Planning) कॉर्पस बड़ा होता जाएगा और ऊपर से आपको टैक्स में भी छूट मिलेगी.

इन 3 तरीकों से एनपीएस में कर सकते हैं निवेश

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किसी भी कर्मचारी को एनपीएस पर जो टैक्स छूट मिलती है, वह 80CCD के तहत मिलती है. इसमें भी दो सब-सेक्शन हैं. पहला है 80CCD(1) और दूसरा है 80CCD(2). यहां आपको बता दें कि 80CCD(1) का एक और सब सेक्शन हैं 80CCD(1B). इस तरह आप 80CCD(1), 80CCD(2) और 80CCD(1B) यानी कुल मिलाकर 3 तरीकों से निवेश कर सकते हैं. आइए इन तीनों सेक्शन को अलग-अलग समझते हैं.

1- 80CCD(1) में कैसे और कितना निवेश?

इसके तहत आप एक साल में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं. यह निवेश आपको खुद करना होगा और 80 सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं.

2- 80CCD(1B) के तहत 50 हजार रुपये पर टैक्स छूट

अगर आप 80CCD(1B) में निवेश करते हैं तो आप इसमें अधिकतम 50 हजार रुपये तक पर टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं. यह टैक्स छूट 80सी की सीमा से अलग होती है. यानी अगर आपका 80सी का कोटा पूरा भर जाता है और आप उसके बाद भी एनपीएस में निवेश करते हुए टैक्स छूट पाना चाहते हैं तो आप  80CCD(1B) का सहारा ले सकते हैं. इस तरह इन दो तरीकों से आप एनपीएस में करीब 2 लाख रुपये निवेश कर के उस पर टैक्स छूट पा सकते हैं.

3- 80CCD(2) में निवेश की कोई लिमिट नहीं

सेक्शन 80CCD(2) के तहत आपको 2 लाख रुपये के अतिरिक्त निवेश पर भी टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, यह निवेश आप खुद नहीं करते, बल्कि आपका एंप्लॉयर यानी नियोक्ता करता है. इसके तहत आपको एंप्लॉयर की तरफ से आपके एनपीएस में किए गए निवेश पर छूट मिलेगी. तमाम बिजनेस इस निवेश को अपने प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट में बिजनेस एक्सपेंस की तरह दिखाकर टैक्स छूट पाते हैं. इसके तहत आप अपनी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी तक एनपीएस में निवेश करवा सकते हैं और उस पर आपको टैक्स छूट मिलेगी. वहीं अगर आप सरकारी कर्मचारी हैं तो यह आंकड़ा आपके लिए 14 फीसदी तक हो सकता है.

ध्यान रखें कुछ बातें

सैलरी से यहां मतलब आपकी बेसिक सैलरी और आपको मिलने वाले महंगाई भत्ते से है, ना कि आपको मिलने वाले बाकी अलाउंस से है. 10 फीसदी या 14 फीसदी कटौती का कैल्कुलेशन बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते तक सीमित रहेगा. मतलब भले ही आपका सीटीसी 10 लाख हो, लेकिन अगर आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर 3 लाख रुपये ही है तो आप को सिर्फ 30 हजार रुपये (10 फीसदी कटौती होने पर) तक का ही फायदा मिलेगा. वहीं 2020-21 से यह नियम भी लागू हो चुका है कि अगर एनपीएस, प्रोविडेंट फंड और सुपर एनुएशन फंड में नियोक्ता की तरफ से दिया जाने वाला योगदान 7.5 लाख रुपये से अधिक है तो उस पर करदाता को टैक्स चुकाना होगा. उस अतिरिक्त निवेश पर कमाए गए ब्याज या डिविडेंड पर भी आपको टैक्स चुकाना होगा.