अगर आप भी एक करदाता (Taxpayers) हैं तो आपको ये जानना जरूरी है कि कुछ करदाताओं के लिए डेडलाइन (Deadline) निकल चुकी है. ये डेडलाइन इनकम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (Income Tax Audit Report) जमा करने की थी, जो 30 सितंबर को समाप्त हो चुकी है. वहीं इन टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरने (ITR Filing) की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है. अगर आपको भी टैक्स भरने के लिए इनकम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करनी जरूरी थी और आप ऐसा करने से चूक गए हैं तो अब आपको पेनाल्टी (Penalty) चुकानी होगी. यानी आप रिपोर्ट तो अभी भी जमा कर सकते हैं, लेकिन जुर्माने (Late Fees) के साथ. आइए जानते हैं किसे कराना होता है ऑडिट और कितना लगता है जुर्माना.

किसे करवाना होता है टैक्स ऑडिट?

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आयकर अधिनियम की धारा 44एबी के तहत अगर आप कोई बिजनेस करते हैं, जिसका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा है तो आपको टैक्स ऑडिट कराना होगा. हालांकि, अगर आपने धारा 44एडी के तहत प्रिज्म्पटिव टैक्सेशन स्कीम का फायदा लिया है और आपका टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से कम है तो आपको टैक्स ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है. वहीं अगर आप एक प्रोफेशनल सर्विस देते हैं और आपकी सालाना ग्रॉस रिसीप्ट 50 लाख रुपये से अधिक है, तो भी आपको टैक्स ऑडिट कराना होगा.

किन दस्तावेजों की होती है जरूरत?

टैक्स ऑडिट के लिए कैश बुक होनी जरूरी है, जिसमें सारी कैश रिसीप्ट और पेमेंट का हिसाब-किताब हो. इसके अलावा आपके पास एक जर्नल बुक होनी चाहिए, जिसे मर्केंटाइल अकाउंटिंग सिस्टम के आधार पर मेंटेन किया गया हो. साथ ही एक लेजर बुक होनी चाहिए, जिसमें डेबिट-क्रेडिट की एंट्री होनी चाहिए. इतना ही नहीं, तमाम बिल्स की कार्बन कॉपी भी होनी चाहिए. यानी आपके पास पैसों के आने और जाने से जुड़े तमाम दस्तावेज होने जरूरी हैं.

समय से टैक्स ऑडिट नहीं कराने पर क्या होगा?

जब भी बात टैक्स ऑडिट की आती है तो दो चीजों पर ध्यान देना चाहिए. पहला है ऑडिट रिपोर्ट, जिसके लिए आपको अपने खाते 30 सितंबर तक ऑडिट कराने जरूरी होते हैं. वहीं दूसरा है आईटीआर, जिसे फाइल करने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है. ध्यान रहे कि ये आईटीआर उन लोगों के लिए, जिन्हें टैक्स ऑडिट कराना जरूरी होता है. जिसे टैक्स ऑडिट कराना जरूरी होता है, अगर वह ऐसा नहीं करता तो उसका इनकम टैक्स रिटर्न डिफेक्टिव मान लिया जाता है. उसे सेक्शन 139 (9) के तहत डिफेक्टिव आईटीआर के लिए ऑटोमेटिक तरीके से नोटिस भेज दिया जाता है. अगर आखिरी तारीख तक कोई शख्स टैक्स ऑडिट नहीं कराता है तो उसे जुर्माना देना होता है.

कितनी देनी होगी पेनाल्टी?

इनकम टैक्स एक्ट के तहत ऑडिट रिपोर्ट देर से जमा करने पर आपको कुल सेल्स या टर्नओवर या ग्रॉस रिसीप्ट का 0.5 फीसदी तक जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. इसका जुर्माना अधिकतम 1.5 लाख रुपये हो सकता है. यानी अगर आपकी सेल्स का 0.5 फीसदी 1.5 लाख से अधिक आता है तो आपको 1.5 लाख रुपये ही जुर्माना देना होगा और अगर कम आता है, तो कम जुर्माना चुकाना होगा.