कोरोना काल में वाइट-कॉलर जॉब्स करने वालों को बड़ा झटका लगा था. बहुत सारे लोगों की नौकरी अचानक से चली गई. बहुत से लोगों की सैलरी (Salary) में तगड़ी कटौती हुई. ऐसे भी बहुत से लोग थे, जो कोरोना काल में अपने होमटाउन चले गए और फिर वहीं पर कुछ काम ढूंढने लगे. इसके चलते अचानक से गिग वर्किंग (Gig Worker) के कॉन्सेप्ट ने तेजी पकड़ ली. बहुत सारे लोग गिग वर्कर्स बन कर अपने घर पर ही रहते हुए या वहां के आस-पास कहीं काम करने लगे. आपको बता दें कि गिग वर्कर सिर्फ सामान की डिलीवरी करने वाले या ओला-उबर की कार-बाइक चलाने वाले ही नहीं हैं, दूसरे स्किल वाले लोग भी गिग वर्कर्स होते हैं, जैसे पेटीएम-फोनपे के क्यूआर कोड लगाना, इंश्योरेंस या लोन सेल करना आदि. गिग वर्किंग में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो काफी अच्छा कमाते हैं, ऐसे में उन पर टैक्स (Income Tax) भी लगता है. आइए जानते हैं कि गिग वर्कर्स पर कैसे लगता है टैक्स.

गिग वर्कर्स पर कैसे लगता है टैक्स?

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अगर आप गिग वर्कर हैं तो आप पर टैक्स एक नौकरीपेशा व्यक्ति पर लगने वाले टैक्स की तुलना में अलग तरीके से लगेगा. इसके चलते आप नौकरीपेशा लोगों की तरह आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म नहीं भर सकते हैं. ना ही आप नौकरीपेशा लोगों की तरह 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं, क्योंकि उनकी इनकम सैलरी के रूप में उनके खाते में नहीं आती है. हालांकि, अपने खर्चों के हिसाब से आप कुछ डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. गिग वर्कर को income from business and profession के तहत आयकर फाइल करना होगा.

क्या होता है टैक्स स्लैब, कौन सा फॉर्म भरना होता है?

गिग वर्कर के लिए भी टैक्स का वही स्लैब होता है जो एक नौकरी पेशा के लिए होता है. यानी स्लैब में तो कोई फर्क नहीं है, लेकिन डिडक्शन दोनों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. गिग वर्कर पर टैक्स बिल्कुल वैसे ही लगता है, जैसे फ्रीलांसिंग या कंसल्टिंग से कमाई करने वालों पर लगता है. गिग वर्कर्स को आईटीआर-3 फॉर्म भरना होता है. वहीं अगर आपने प्रीजम्पटिव स्कीम चुनी है तो आपको आईटीआर-4 फॉर्म (सुगम) भरना होगा. यह आईटीआर-3 की तुलना में बहुत आसान है, जिसमें आपको प्रॉफिट एंड लॉस और बैलेंस शीट की डिटेल्स भरनी पड़ती हैं. हालांकि, अगर सालाना कमाई 50 लाख रुपये से ज्यादा है और आप अपने नुकसान को कैरी फॉर्वर्ड करना चाहते हैं तो आईटीआर-3 फॉर्म ही भरना होगा.

क्या होती है प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम?

फ्रीलांसर और कंसल्टेंट या गिग वर्कर इस स्कीम को चुन सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडी के तहत प्रीजम्पटिव स्कीम ऐसे प्रोफेशनल्स के लिए होती है, जिन्हें एक साल में 75 लाख रुपये से अधिक नहीं मिले हों. इसके तहत ये प्रोफेशनल्स अपनी आय का 50 फीसदी यानी आधी इनकम को बिजनेस इनकम की तरह दिखा सकते हैं और फिर उसी के हिसाब से टैक्स कैल्कुलेशन होता है. अगर कोई फ्रीलांसर या गिग वर्कर presumptive taxation को चुनता है तो वह कोई भी बिजनेस इनकम से जुड़ी हुई डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाएगा.

आईटीआर भरने की क्या होती है आखिरी तारीख?

गिगवर्कर के लिए भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2023 ही होती है. हालांकि, अगर वह किसी ऐसे प्रोफेशन में है, जो सेक्शन 44एबी के तहत ऑडिट के दायरे में आता है तो आखिरी तारीख बदल कर 31 अक्टूबर 2023 हो जाती है. ऐसे में फ्रीलांसर या गिग वर्कर को 30 सितंबर 2023 तक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट सबमिट करनी होती है.

Advance Tax का रखना होता है खास ख्याल

एक गिग वर्कर को मिलने वाली कमाई पर जरूरी नहीं है कि टीडीएस कटा हो या पर्याप्त टीडीएस कटा हो. ऐसे में उसे एडवांस टैक्स का खास ख्याल रखना चाहिए. अगर किसी गिग वर्कर की टैक्स लाएबिलिटी 10 हजार रुपये से अधिक बनती है तो उसे हर तिमाही में एडवांस टैक्स भरना होगा. यह एडवांस टैक्स 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च को भरा जाता है.