दिवाली (Diwali) का सीजन चल रहा है. दिवाली के सीजन (Diwali Season) का मतलब होता है, खूब खाना-पीना और तोहफे देना. इन दिनों अपने प्रियजनों को उपहार (Gift) भी देने का चलन है. लोग अच्छे-अच्छे उपहार देकर अपने प्रियजनों को खुश रखने की कोशिश करते हैं. 

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लेकिन आपको पता है कि गिफ्ट के लेनदेन पर भी आयकर विभाग (Income Tax) के अधिकारियों की नजर होती है. इसलिए अगर आप अपने प्रियजनों को कोई महंगा गिफ्ट देने के का प्लान बना रहे हैं तो पहले गिफ्ट के लेनदेन से जुड़े इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों के बारे में भी जानकारी जरूर ले लें.

किसी खास मौके पर गिफ्ट लेने और देने का चलन बड़ा आम है. किसी की शादी हो या बर्थडे, एनिवर्सरी हो या कोई त्योहार, अपने करीबियों और रिश्तेदारों को आप भी गिफ्ट देते होंगे और लेते भी होंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि गिफ्ट के लेन-देन पर भी टैक्स लगता है. 

नकद रुपये में गिफ्ट लेना, ज़मीन या मकान, शेयर, ज्वेलरी, पेंटिंग, मूर्ति आदि ऐसे गिफ्ट होते हैं जो इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं. 

अगर आपने पति/पत्नी को गिफ्ट दिया है या फिर अपने भाई या बहन को महंगा गिफ्ट दिया है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आता है. पति/पत्नी का भाई या बहन, माता/पिता के भाई या बहन, दादा-दादी या नाना-नानी, पति/पत्नी के दादा-दादी या नाना-नानी, बेटा या बेटी, भाई/बहन का पति या पत्नी से मिलने वाले गिफ्ट भी टैक्स के दायरे से बाहर होता है.

इसके अलावा शादी पर मिला गिफ्ट, वसीयत के जरिए मिलने वाला गिफ्ट, किसी अच्छे काम के लिए स्थानीय प्रशासन से मिला गिफ्ट, किसी शिक्षण संस्थान से मिला गिफ्ट, चैरिटेबल संस्था से मिला गिफ्ट या फिर रिश्तेदार से मिला गिफ्ट भी टैक्स के नियमों से बाहर होते हैं.

क्या हैं नियम?

- रिश्तेदारों से मिलने वाला गिफ्ट टैक्स दायरे से बाहर.

- शादी, त्योहार में माता-पिता से कोई गिफ्ट पर टैक्स नहीं.

- एक साल में गिफ्ट 50,000 रुपये से कम तो टैक्सेबल नहीं.

- 50,000 रुपये से ज्यादा गिफ्ट आय का हिस्सा माना जाएगा.

- पचास हजार से ज्यादा नकद मिलने पर टैक्स देना पड़ेगा.

- दो लाख से ज्यादा गिफ्ट कैश में लिया तो नियम अलग.

- 2 लाख के ऊपर कैश पर धारा 269 ST के तहत पेनाल्टी.

ब्लड रिलेशन में मिलने वाला गिफ्ट टैक्स फ्री होता है. माता-पिता, भाई-बहन से गिफ्ट पर टैक्स नहीं लगता है. फिर चाहे गिफ्ट 50,000 रुपये से ज्यादा हो तब भी टैक्स फ्री होता है.

गिफ्ट की डीड होनी चाहिए 

गिफ्ट डीड एक डॉक्यूमेंट होता है. गिफ्ट डीड का इस्तेमाल किसी गिफ्ट के लेन-देन के समय होता है. डीड से मिले हुए गिफ्ट के मालिकाना हक पर विवाद नहीं होता है. डीड मे तोहफा लेने और देने, दोनों का नाम होना चाहिए.चल संपत्ति पर गिफ्ट डीड जरूरी नहीं होती है. अचल संपत्ति लेन-देन में डीड जरूर बनवाएं. गिफ्ट देने के पहले डीड बनवाएं.