मोदी सरकार ने 2019 के बजट में कहा है कि जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है उन्‍हें टैक्‍स नहीं देना होगा. इसके अलावा जो इंडीविजुअल टैक्‍सपेयर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक की बचत एक वित्‍त वर्ष में कर लेता है उसे भी कोई टैक्‍स नहीं देना होगा. इस प्रकार 6.5 लाख रुपये तक की आय आयकर के दायरे से बाहर रहेगी. कार्यवाहक वित्‍त मंत्री पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में इसका प्रस्‍ताव किया है. यहां यह समझने की जरूरत है कि पीयूष गोयल ने इसके लिए रिबेट शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है न कि एग्‍जेम्‍पशन का. आपकी इनकम से कितना टैक्‍स कटेगा यह जानने से पहले यह समझना जरूरी है आखिर एग्‍जेम्‍पशन और रिबेट में आखिर क्‍या फर्क है?

एग्‍जेम्‍पशन और रिबेट में अंतर

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

टैक्‍स छूट (Exempmtion)

आय के कुछ स्रोत ऐसे होते हैं जिनपर टैक्‍स में छूट मिलती है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो ऐसे स्रोतों से होने वाली आय पर टैक्‍स देने की जरूरत ही नहीं होती है. टैक्‍स देनदारी का कैलकुलेशन करते समय छूट वाली ऐसी आय को आपकी कुल सैलरी या आय के अन्‍य स्रोतो में से सबसे पहले घटाई जाती है. उदाहरण के तौर पर HRA कुछ खास नियमों के अधीन टैक्‍स छूट के दायरे में आता है.

टैक्‍स रिबेट (Rebate)

छूट और कटौती के बाद जो आय बच जाती है उस पर आपको टैक्‍स देना होता है. टैक्‍स की गणना करने के बाद रिबेट आपको इनकम टैक्‍स की राशि के भुगतान में राहत देता है. यह वह राशि होती है जिस पर करदाता को टैक्‍स नहीं देना होता है. उदाहरण के तौर पर धारा 87A के तहत मिलने वाला रिबेट. इसके अनुसार, मौजूदा प्रावधानों के तहत अगर आपकी सालाना आय 3 लाख रुपये से तक है तो आप 2,500 रुपये तक के रिबेट का दावा कर सकते हैं.

मान लीजिए किसी व्‍यक्ति की कमाई 5 लाख रुपये है और उसे 50,000 रुपये का HRA मिलता है. छूट के बाद उसकी आय 4.5 लाख रुपये होगी. अगर हम मान लें कि धारा 80C के तहत उसने 1.5 लाख रुपये के डिडक्‍शन का फायदा उठाया है तो उसकी कुल आय 3 लाख रुपये होगी जिस पर टैक्‍स देना होगा. 5% के हिसाब से उसे 2,500 रुपये टैक्‍स देना होगा. 2,500 रुपये का रिबेट मिलने की वजह से उस व्‍यक्ति को कोई इनकम टैक्‍स नहीं देना होगा.

बजट में 5 लाख रुपये के रिबेट का आप पर क्‍या होगा असर

अब आते हैं बजट में किए गए 5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर रिबेट के प्रस्‍ताव पर. टैक्‍स एक्‍सपर्ट और इन्‍वेस्‍टमेंट एडवाइजर बलवंत जैन कहते हैं कि मान लीजिए आपकी आय 8 लाख रुपये सालाना है और आप धारा 80सी, 80डी और 80 सीसीडी (1बी) (NPS) के जरिए साल में 2.5 लाख रुपये बचाते हैं या खर्च करते हैं (80डी यानी मेडिक्‍लेम के प्रीमियम को खर्च माना गया है). आपकी टैक्‍सेबल इनकम बनी 5.5 लाख रुपये. अभी धारणा यह बन रही है कि भले ही आपकी टैक्‍सेबल इनकम 5.5 लाख रुपये है लेकिन आपको सिर्फ 50,000 रुपये पर टैक्‍स देना होगा. यह धारणा गलत है. जैन कहते हैं कि टैक्‍स स्‍लैब में कोई बदलाव नहीं किया है और न ही टैक्‍स रेट में. ऐसे में अगले वित्‍त वर्ष में 5.5 लाख रुपये पर आपको 22500 रुपये टैक्‍स देना होगा.