Income Tax Return: देश में इनकम टैक्स रिटर्न भरने का सीजन चल रहा है और इसकी डेडलाइन 31 जुलाई है. अगर किसी भी इंडिविजुअल ने 31 जुलाई तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा तो उसे आगे चलकर जुर्माना भर सकता है. वित्त वर्ष 21-22 के लिए 31 जुलाई 2022 तक आईटीआर (ITR) भरना है. अब इनकम टैक्स रिटर्न भरने में एक दस्तावेज काफी अहम भूमिका निभाता है और वो है फॉर्म -16. ये दस्तावेज काफी महत्वपूर्ण है और कम ही लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती. अगर आपको भी फॉर्म -16 की खासियतों के बारे में नहीं पता तो ये आर्टिकल आपके लिए है. 

क्यों जरूरी है फॉर्म -16?

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इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय फॉर्म -16 काफी अहम दस्तावेज होता है. फॉर्म -16 (Form-16) आपकी कंपनी की ओर से जारी किया जाता है. इस फॉर्म -16 में आपके जरिए ली गई सैलरी, डिडक्शन, काटा गया टैक्स, अलाउंस के अलावा कई सारी जानकारी होती है, जो उस वक्त काम आती है, जब आप इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे होते हैं. 

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Form-16 में होते हैं दो पार्ट

इस फॉर्म की मदद से आप अपने इनकम टैक्स से जुड़े आंकड़ों का मिलान कर सकते हैं. अगर इनकम टैक्स रिटर्न में फाइल किए जा रहे आंकड़े और फॉर्म -16 में दाखिल किए गए आंकड़े अलग-अलग हैं तो आगे चलकर आपको परेशानी हो सकती है. फॉर्म-16 में दो पार्ट होते हैं. एक पार्ट होता है Part-A और दूसरा होता है Part-B. 

Part-A में क्या जानकारी होती हैं

  • कर्मचारी का नाम और पता
  • नियोक्ता का नाम और पता
  • नियोक्ता का पैन नंबर और टैन नंबर
  • कर्मचारी का पैन नंबर
  • आकलन वर्ष
  • TDS कटौती की डिटेल
  • नौकरी की अवधि का विवरण

Part-B में क्या जानकारी होती हैं

  • सैलरी और चार्जेबल आय
  • ग्रॉस इनकम (सैलरी) + अन्य इनकम
  • सेक्शन 80C, 80CCC, 80CCD के तहत कटौती
  • 80D, 80E, 80G और दूसरे सेक्शन के तहत कटौती
  • योग्य कटौतियों का योग