Income tax return filing FY22: इकनम टैक्स रिटर्न भरने की तारीख नजदीक है. आखिरी समय पर रिटर्न फाइल करने की मुश्किलों से बचने के लिए जल्दी इसे फाइल कर दें. 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल करने पर आपको टैक्स रिफंड भी जल्दी मिल सकता है. ऐसे में अगर आपने अब तक ITR फाइल नहीं किया है तो जल्द से जल्द कर दें. लेकिन, एक्सपर्ट्स यहां अलर्ट रहने की सलाह भी देते हैं. अक्सर लोग जल्दबाजी में ITR भरने के चक्कर में गलती कर बैठते हैं. रिटर्न फाइलिंग में 8 बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

सही ITR फॉर्म चुनना जरूरी

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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई ITR फॉर्म जारी किए हैं. इनमें अलग कैटेगरी के हिसाब से फॉर्म दिए गए हैं. आप अपनी इनकम सोर्स के हिसाब से फॉर्म चुनना होता है. ITR फॉर्म चुनने में गलती न करें. अगर यहां गलती हुई तो डिपार्टमेंट आपका फॉर्म रिजेक्ट कर देगा और सेक्शन 139(5) के तहत रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने को कहेगा.

इनकम प्रूफ जरूरी है

ITR में इनकम की जानकारी सही देना बेहद जरूरी है. इसी आधार पर आपका रिटर्न सही भरा जाता है. जल्दबाजी या जानबूझकर इनकम की गलत जानकारी भारी पड़ सकती है. कई बार टैक्सपेयर्स अपनी इनकम के सभी स्रोत नहीं बताते हैं. ऐसा नहीं करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है. बचत खाते के ब्याज और घर के रेंट से होने वाली इनकम जैसी जानकारियां देना जरूरी है.

सारे बैंक अकाउंट की डिटेल्स जरूरी दें

कई बार टैक्सपेयर्स के पास मल्टीपल बैंक अकाउंट होने के बाद भी सिर्फ चुनिंदा बैंक अकाउंट की डिटेल्स देते हैं. ऐसे में उनकी इनकम का सही आकलन नहीं होता. ऐसा करना सही नहीं है. इकनम टैक्स के नियमों में साफ है कि टैक्सपेयर के नाम पर रजिस्टर्ड सभी बैंक अकाउंट्स की डीटेल्स जरूरी हैं.

विदेशी बैंक अकाउंट की डीटेल्स भी दें

देश के अलावा अगर आपका किसी दूसरे देश में भी बैंक अकाउंट हैं तो उसकी डीटेल्स भी ITR में देना जरूरी है. नियमों के मुताबिक, सभी टैक्सपेयर्स को बैंक अकाउंट या दूसरी कैसी भी विदेशी संपत्ति की जानकारी देनी होगी. अगर विदेशी बाजारों में लिस्टेड कंपनियों के शेयर में निवेश किया है या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है तो इसकी जानकारी भी देनी होगी. चूक होने पर नोटिस और पेनाल्टी का प्रावधान है.

गिफ्ट की भी जानकारी दें

इनकम टैक्‍स के नियमों के मुताबिक, अगर आपको एक साल में 50 हजार रुपए से ज्यादा का गिफ्ट मिला है तो उस पर टैक्‍स चुकाना होगा. इसका जिक्र ITR Filing में देना होगा. नहीं देने या भूल जाने पर रिवाइज्ड रिटर्न फाइलिंग का भी प्रावधान है. लेकिन, चूक जाने पर नोटिस मिलने की संभावना है.

फॉर्म 26AS से इनकम डीटेल्स मिलाएं

फॉर्म 26AS या टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट से आप अपनी इनकम या काटे गए TDS की जानकारी हासिल कर सकते हैं. ये जानकारी इनकम टैक्सस रिटर्न में देना जरूरी है. टैक्स रिफंड क्लेम करने से के लिए जरूरी है कि आपकी इनकम डीटेल्स मैच करती हों. टैक्स रिटर्न भरने से पहले Form 26AS और Form 16/16A से इनकम की डीटेल्स को मैच कर लें. टैक्स कैलकुलेशन में किसी भी तरह की गलती पर रिटर्न फाइल नहीं होगा और नोटिस आने की भी संभावना रहती है.

नए और पुराने रिजीम में सही ऑप्शन चुनें

टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिलते हैं. 1 अप्रैल 2020 से नया ऑप्शन ऐड किया गया था. वैसे तो टैक्सपेयर्स फाइनेंशियल ईयर शुरू होते ही अपना टैक्स रिजीम चुन लेते हैं. लेकिन, आयकर रिटर्न के भरते वक्त भी इसका चयन जरूरी है. रिटर्न में जानकारी नहीं देने पर ITR फाइल नहीं होगा.

टैक्स रिटर्न को वेरिफाई करें

रिटर्न भरने के बाद आखिरी स्टेप में ITR को वेरिफाई भी किया जाता है. टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद वेरिफिकेशन बेहद जरूरी है. आप अपने इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल से अपने टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफाई कर सकते हैं या CPC-बेंगलुरू को स्पीड पोस्ट से भेजकर भी वेरिफाई करा सकते हैं.