इस समय सभी टैक्सपेयर्स अपनेअपने ITR को लेकर परेशान हैं टैक्स भरना सबसे ज्यादा नौकरीपेशा लोगों के लिए चिंता का कारण होता है. फिलहाल इनकम टैक्स विभाग (Income Tax department) की ओर से कई बार टैक्स भरने की आखिरी तारीख को बढ़ाया गया है. इस बार विभाग ने टैक्स भरने की तारीख के साथ-साथ इन्वेस्टमेंट की भी लास्ट डेट को बढ़ाकर 31 जुलाई कर दी है. निवेश की तारीख बढ़ाने के साथ-साथ विभाग ने और भी कई तरह के बदलाव किए हैं आइए आपको डिटेल में बताते हैं. आइए जानते हैं आयकर से जुड़े 5 बड़े बदलावों के बारे में-

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विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ओरिजिनल या रिवाइज इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को भी बढ़ाकर 31 जुलाई 2020 कर दिया है. इससे पहले इस काम की तारीख भी 30 जून 2020 थी.

विभाग ने फाइनेंशियल ईयर 2019-20 के लिए टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख को 30 नवंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया है. यानी अब जो रिटर्न 31 जुलाई और 31 अक्टूबर 2020 तक फाइल करना था उसे अब 30 नवंबर तक फाइल किया जा सकता है.

इसके अलावा विभाग ने पैन-आधार लिंक करने की आखिरी तारीख को भी बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दिया है. लॉकडाउन को देखते हुए इसे 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया था, लेकिन इसे एक बार फिर बढ़ाकर 31 मार्च 2021 बढ़ाया गया है.

कर्मचारियों को उनकी कंपनी से फॉर्म 16 आमतौर पर मई के महीने में मिल जाता था. आयकर विभाग की ओर से टीडीएस काटे जाने का सर्टिफिकेट यानी फॉर्म 16 और फॉर्म 16ए जारी करने की आखिरी तारीख भी बढ़ाकर 15 अगस्त 2020 कर दी है.  

सबसे जरूरी है कि आप इनकम टैक्स रिटर्न समय से फाइल करें यानी आखिरी तारीख से पहले फाइल कर दें. इस बार ये तारीख 31 जुलाई है. जो लोग समय से आईटीआई फाइल नहीं करते हैं, उन्हें आयकर विभाग का नोटिस मिलना तय है.

अगर आपने आईटीआर फाइल करते समय गलत आईटीआर फॉर्म भर दिया तो भी आपको आयकर विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता है.आपकी आय के स्रोत और अन्य कई वजहों के आधार पर ये तय किया जाता है कि कौन सा फॉर्म भरना है.

अगर आप जानबूझकर या गलती से भी अपनी आय के सभी स्रोत नहीं बताते हैं तो आपको आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है. बता दें कि आपको खाते में जमा पैसों से ब्याज और घर से रेंट की कमाई होती है. ऐसे में आपको ध्यान रखना होगा कि कौन-कौन से स्रोत से आपकी कमाई हो रही है. ये भी ध्यान रहे कि अगर किसी जानकारी का सही मिलान नहीं होता है तो स्क्रूटनी हो सकती है.

अगर आप आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन करवाने से चूक जाते हैं तो आपका आईटीआर अवैध हो जाता है. ऐसे में वह प्रोसेस नहीं हो पाता और आपको आयकर विभाग का नोटिस आ जाता है. यानी ऐसी स्थिति में यही माना जाता है कि आपने आईटीआर फाइल नहीं किया है. हर किसी को आयकर फाइल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन के लिए 120 दिनों का वक्त दिया जाता है.

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फॉर्म 26एएस के जरिए आपको पपता चलता है कि आपकी तमाम आय स्रोतों पर कितना टैक्स लगा है. ये जानकारी आपके पैन के आधार पर मिलती है. ऐसे में आपको अपने फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस की तुलना करने की जरूरत होती है. मिलान ना होने पर आपको नोटिस आ सकता है.